सारण: रक्षाबंधन प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. रक्षाबंधन में राखी या रक्षासूत्र का सबसे अधिक महत्व होता है. सबसे पहले प्रातः स्नान करके लड़कियां या महिलाएं पूजा की थाली सजाती हैं. फिर थाली में राखी के साथ-साथ रोली, चावल, दीपक और मिठाई रखती हैं.
भाई-बहन के प्यार को मजबूत बनाता है त्योहार
भाई नए कपड़े पहनकर तैयार होते हैं. फिर बहन अपने भाई की पहले आरती उतारती है. उसके बाद चंदन लगाकर चावल को माथे पर चढ़ाती है. फिर भाई की कलाई पर राखी बांधती है. रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्यार को मजबूत बनाता है.
राखी बांधने के बाद बहन को उपहार
रक्षाबंधन के इस पर्व को मनाने को लेकर लोग यह मानते हैं कि भाई इस दिन अपनी बहन की रक्षा का प्रण लेकर हमेशा उसकी रक्षा करता है. बहन भगवान से भाई की तरक्की की मंगल कामना करती है. वहीं भाई राखी बांधने के बाद बहन को उपहार भी देता है.
ब्राह्मण पुरोहित भी जजमान को बांधते हैं राखी
यहीं नहीं आज के दिन ब्राह्मणों द्वारा भी सभी को राखी बांधी जाती है. कच्चे सूत की राखी जजमान को बांधते हैं. ये परम्परा सदियों से चली आ रही है. आज के दिन लोगों द्वारा पेड़ को भी राखी बांधने की परम्परा है. बिहार के मुख्यमंत्री भी रक्षाबन्धन के दिन पेड़ में राखी बांध इस त्योहार को मनाते हैं.
कोरोना से बचाव करते हुए लोग मना रहे रक्षाबंधन
अपने भाई को राखी बांधने वाली दीप्ति सिंह बताती हैं कि साल में एक बार तो यह पर्व आता है. ऐसे में कोरोना हो या और कुछ भी, भाई-बहन का प्यार की बात है तो मनाना तो पड़ेगा. वहीं अंजलि कुमारी ने बताया कि कोरोना महामारी से थोड़ी परेशानी तो है पर इसका ध्यान रख कर हमलोग रक्षाबंधन मना रहे हैं. जबकि भाई रोशन कुमार ने बताया कि यह भाई-बहन का त्योहार है. बहन की रक्षा करना और सुख-दुख में साथ देना भाई का फर्ज होता है.