सारणः छपरा के मदर टेरेसा स्कूल में स्वतंत्रता सेनानी स्वर्णलता देवी की 46 वीं पुण्यतिथि मनाई गई. जिसमें स्थानीय लोगों ने उनकी तस्वीर पर फूल-माला अर्पण कर उन्हें श्रद्धांजली दी. बताया जाता है कि स्वर्णलता देवी ने ही गांधी जी को दधीचि की संज्ञा दी थी और चरखा को सुदर्शन चक्र कहा था.
घर के माहौल से हुई थी प्रेरित
स्वर्णलता देवी का जन्म 20 जनवरी 1910 को पश्चिम बंगाल में हुआ था. इनके पिता ललित मोहन घोषाल बंगाल के प्रसिद्ध क्रांतिकारी नेता थे. राष्ट्र गुरु श्री सुरेन्द्रनाथ बनर्जी के साथ उनकी खासी मित्रता थी. घर का माहौल और देश के उस समय के हालात ने स्वर्णलता देवी को आजादी की लड़ाई में कूदने के लिए प्रेरित किया था.
पिता के साथ की थी सत्याग्रह का प्रचार
समाजसेवी कश्मीरा सिंह ने बताया कि स्वर्णलता देवी अपने पिता के साथ घूम-घूमकर सत्याग्रह का प्रचार-प्रसार भी की थी. उनके क्रांतिकारी विचार से पंडित मोतीलाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय, दीनबंधु, सुभाषचन्द्र बोस और डॉ राजेन्द्र प्रसाद जैसे दिग्गज नेता भी प्रभावित थे. बता दें कि उनकी शादी बनारस के क्रांतिकारी नेता अमरनाथ चटर्जी के साथ हुई थी. उनकी मृत्यु 27 अगस्त 1973 को सारण में हुई थी.