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समस्तीपुर: सरकारी उदासीनता से किसान औने-पौने दाम पर गेहूं बेचनों को हैं मजबूर

पैक्स में गेहूं नहीं खरीदने से किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इससे किसानों को गेहूं औने- पौने कीमत पर बेचने पड़ रहे हैं.

समस्तीपुर
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Published : May 15, 2019, 10:23 PM IST

समस्तीपुर: सरकार किसानों को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है. लेकिन जमीन पर किसानों के लिए सुविधाएं सिर्फ खानापूर्ति है. जिले में अब तक पैक्सो में गेहूं खरीद की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है. इससे किसान अपने अनाज को औने- पौने में बेचने को मजबूर हैं.

जिले में सरकारी उदासीनता की वजह से किसानों को गेहूं बेचने के लिए बाजार नहीं है. इससे किसान अपने अनाज को औने पौने दामों में बिचौलियों के हाथों बेच रहे हैं. इस साल गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1 हजार 800 से अधिक तय किया गया है. लेकिन कृषि क्रय केंद्र नहीं खुलने से किसान 1 हजार 400 से 1 हजार 500 रुपये में गेहूं बेचने को मजबूर हैं.

किसान और पैक्स अध्यक्ष बातते हुए

जल्द फसल खरीदना होगा शुरू
वहीं, इस मामले में पैक्स अध्यक्ष ने कहा कि अब तक गेहूं खरीद को लेकर ऊपर से किसी प्रकार का दिशा निर्देश नहीं आया है. जिसके कारण हमें लक्ष्य को पूरा करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. फसलों के खरीदने के आदेश के बाद से गेहूं खरीद की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.

समस्तीपुर: सरकार किसानों को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है. लेकिन जमीन पर किसानों के लिए सुविधाएं सिर्फ खानापूर्ति है. जिले में अब तक पैक्सो में गेहूं खरीद की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई है. इससे किसान अपने अनाज को औने- पौने में बेचने को मजबूर हैं.

जिले में सरकारी उदासीनता की वजह से किसानों को गेहूं बेचने के लिए बाजार नहीं है. इससे किसान अपने अनाज को औने पौने दामों में बिचौलियों के हाथों बेच रहे हैं. इस साल गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1 हजार 800 से अधिक तय किया गया है. लेकिन कृषि क्रय केंद्र नहीं खुलने से किसान 1 हजार 400 से 1 हजार 500 रुपये में गेहूं बेचने को मजबूर हैं.

किसान और पैक्स अध्यक्ष बातते हुए

जल्द फसल खरीदना होगा शुरू
वहीं, इस मामले में पैक्स अध्यक्ष ने कहा कि अब तक गेहूं खरीद को लेकर ऊपर से किसी प्रकार का दिशा निर्देश नहीं आया है. जिसके कारण हमें लक्ष्य को पूरा करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. फसलों के खरीदने के आदेश के बाद से गेहूं खरीद की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.

Intro:जिले में गेहूं की फसल को लेकर जहां इस साल मौसम के मार से किसान हलकान रहे। पहले नमी की समस्या फिर कोहरे की कमी ने गेहूं की पैदावार को बर्बाद कर दिया। यही नहीं प्रकृति का प्रकोप इस पर सूखे के कारण भी कहर बनकर टूटा। जैसे-तैसे अब किसानों की मेहनत बोरी में बंद हुई तो, अब सिस्टम ने सताना शुरू कर दिया। गेहूं को लेकर जिले में अब तक क्रय केंद्र नहीं खोले जाने के कारण, बेचारे किसान औने पौने दामों में अपनी मेहनत बिचौलियों के हाथों बेचने को विवश हैं।


Body:एक बार फिर जिले के अन्नदाता दोहरी मार से पस्त है। पहले प्रकृति और अब सरकारी मशीनरी इनके जान का दुश्मन बन बैठा है। दरअसल जैसे तैसे प्रकृति से लड़कर इन किसानों ने गेहूं की चेती तो जरूर की ,लेकिन अब उसे बेचने को लेकर बाजार नहीं है। जिले में क्रय केंद्र को लेकर सरकारी उदासीनता का नतीजा यह है की, जिले में अब तक गेहूं खरीद को लेकर सरकारी सिस्टम सोया है। बाहरहाल बेहद परेशानी में इस साल गेहूं को जाने वाले किसान अपनी मेहनत को औने पौने दामों में बिचौलियों के हाथों अपने फसल को बेच रहे हैं। किसानों के अनुसार अब तक पैक्सो में गेहूं खरीद की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। अब पैसे की जरूरत को लेकर आखिर क्या करें।

बाईट- किसान।

वीओ- दरअसल इस साल गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1800 से अधिक तय किया गया है ।लेकिन किसान इस क्रय केंद्र नहीं खुलने के वजह से1400से1500 के दाम में गेहूं बेचने को विवश हैं। वैसे इस मामले पर पैक्स ने सफाई देते हुए कहा कि, अब तक गेहूं खरीद को लेकर ऊपर से किसी प्रकार का दिशा निर्देश नहीं दिया गया है। जिसके कारण हमे लक्ष्य को पूरा करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ,और ऊपर से जवाब भी दिया जाता है कि आप अपने लक्ष्य को पूरा करें। जैसे ही क्रय केंद्र को लेकर आदेश आयेगा ,किसानों से गेहूं की खरीद शुरू हो जाएग।

बाईट- राम शंकर ,पैक्स अध्यक्ष।


Conclusion:गौरतलब है कि जिले में धान खरीद के मामले में भी लचर सरकारी व्यवस्था का खामियाजा अन्नदाताओं को उठाना पड़ा। एक बार फिर गेहूं के मामले में भी किसानों के कमर तोड़ने में जुटा है यह सिस्टम।


अमित कुमार की रिपोर्ट।
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