समस्तीपुर: जिले में स्मार्ट गांव का सपना लोगों के लिए सपने जैसा ही बनकर रह गया है. गांव के विकास को लेकर केंद्र सरकार ने आदर्श ग्राम योजना की घोषणा तो कर दी लेकिन शिवाजीनगर प्रखंड में इस योजना का असर नहीं दिख रहा है. हाल यह है कि जिले के कुछ पंचायत स्मार्ट विलेज को लेकर चयनित तो हुए लेकिन वह कब तक स्मार्ट बन पाएंगे इस पर संशय बरकरार है.
स्मार्ट गांव के लिए 3 पंचायत का चयन
महात्मा गांधी ने कहा था असली भारत तो गांव में बसता है. जब तक गांव का सामाजिक और आर्थिक विकास नहीं होगा, तब तक भारत का विकास संभव नहीं है. इसी सोच को साकार करने का सपना लेकर स्मार्ट विलेज योजना की शुरुआत की गई. जिले के शिवाजीनगर प्रखंड के तीन पंचायत को पहले चरण में स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित करने को लेकर चयन किया गया है.
सालभर बीतने के बाद भी काम अधूरा
स्मार्ट विलेज योजना के तहत यहां वाईफाई नेटवर्क, पार्क और खेल का मैदान, सीनियर सेकेंडरी स्कूल, प्राथमिक उप-स्वास्थ्य केंद्र, सोलर स्ट्रीट लाइट, सामुदायिक शौचालय समेत कुल 18 योजना के विकास पर काम होने हैं. लेकिन सालों बीतने के बाद भी काम पूरा नहीं हो पाया है. जिले का यह पंचायत अब तक स्मार्ट गांव में तब्दील नहीं हो सका है.
काम को लेकर केंद्र सरकार को भेजी रिपोर्ट
वैसे इस मामले पर जिले के उप विकास आयुक्त ने कहा कि करियन, बन्धार और राजौर को स्मार्ट गांव में तब्दील करने पर काम चल रहा है. साथ ही विभिन्न एजेंसियों के साथ समीक्षा की जा रही है. जो अधूरे काम हैं उसको लेकर जल्द केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी.
'पूरा नहीं हो रहा स्मार्ट विलेज का सपना'
इस मामले पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाते हुए कहा कि देश तभी स्मार्ट हो सकता है जब हमारे गांव स्मार्ट होंगे. अधिकारियों की इस सुस्ती पर समीक्षा की जरूरत है. गौरतलब है कि विभागीय उदासीनता का ही नतीजा है की वर्षों से सभी पैरामीटर पर खड़ा उतरने वाले इन गांवों को स्मार्ट विलेज बनाने का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है.