समस्तीपुर: बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर स्थिति केवल एक-दो अस्पतालों में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में है. वैसे तो स्वास्थ्य विभाग का लंबा-चौड़ा बजट पेश होता है. बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने का वादा भी किया जाता है. पर जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. अब जरा समस्तीपुर कल्याणपुर प्रखंड के कोयला कुंड गांव का प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र को ही देख लीजिए.
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प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह से खंडहर : बदहाली का आंसू रो रहा है. मरीजों का इलाज भगवान भरोसे है. जिस कारण यहां आने वाले मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर हजारों की आबादी के इलाज का जिम्मा है. प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र खंडहर में तब्दील हो गया है. उसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग इसी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन करवा रही है.
समस्तीपुर का पीएचसी जर्जर : बिहार सरकार मिशन 80 के तहत स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतरीन करने का दावा तो कर रही है लेकिन ग्राउंड रियलीटी कुछ और ही है. समस्तीपुर का प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र को देखकर आप हैरान रह जाएंगे. जिस अस्पताल को खुद इलाज करने वाले डॉक्टर की जरूरत है. उसे अस्पताल में इलाके के गरीब मरीजों का दहशत के साए में इलाज किया जाता है.
''जब से पदस्थापन यहां हुआ है. तब से इसी खंडहर और जर्जर भवन ड्यूटी कर रहा हूं. सबसे हैरत की बात है कि बरसात के समय सांप और बिच्छू निकलता रहता है. फिर भी जान जोखिम में डालकर लोगों का इलाज करते हैं. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है. जो भी सुविधाएं हैं बस उसी के सहारे किसी तरह इलाज होता है.''- दीपक कुमार, स्वास्थ्य कर्मी
30 वर्षों से नहीं दिया गया किराया: मंदिर के महंत विश्वजीत दास ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के द्वारा 30 वर्ष से इसका किराया नहीं दिया गया है. जिसका नतीजा है कि यह भवन तीनों दिन खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. दीवार से लेकर ऊपर छत का खपड़ा तक टूट चुका है. यह भवन अब खंडहर में तब्दील हो चुका है. किराया नहीं मिलने के कारण इस भवन को नहीं बनाया जा रहा है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग का इसपर ध्यान नहीं है. यह खंडहर नुमा भवन कभी भी मालवा में तब्दील हो सकता है.