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भीषण गर्मी में अपना सब काम छोड़, राहगीरों की प्यास बुझा रहा है यह शख्स

इस प्याऊ पर सुबह से शाम तक आने-जाने वाले राहगीर की भीड़ लगी रहती है. रितेश खुद लोगों की सेवा में लगे रहते है.

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Published : Jun 1, 2019, 3:51 PM IST

भीषण गर्मी प्यास बुझाते लोग

समस्तीपुर: समस्तीपुर बहेड़ी मुख्य सड़क मार्ग स्थित बल्लीपुर चौक के नजदीक एक प्याऊ दिन भर प्यासे राहगीरों का प्यास बुझा रहा है. भीषण गर्मी व पानी के समस्या के बीच यह प्याऊ लोगों के लिए जीवनदायक साबित हो रहा है.

इसकी अहममियत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि यहां से दूर-दूर तक पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. इस प्याऊ को चलाने वाला कोई बड़ा समाजिक संस्था नहीं है बल्कि पास का ही रहने वाला एक गरीब शख्स है. इस भीषण गर्मी में शख्स ने अपनी रोजी रोटी के साधन को भी दरकिनार कर दिया है. इसके बदले में बीते कई दिनों से प्यासे राहगीर की प्यास बुझा रहा है. हालांकि प्रतिदिन इसके पीछे वह काफी पैसे भी खर्च कर रहा है.

एक गरीब शख्स लोगों के लिए मुफ्त में चला रहा प्याऊ

आसपास में नहीं है पानी का साधन
दरअसल इस शख्स एक घटना से प्ररिरत होकर प्याऊ खोलने की ठानी. पानी को लेकर बढ़ती एक बड़े खतरे को भांपते हुए यह फैसला लिया. बीते कुछ दिन पहले इस इलाके के बैंक से लौटती कुछ महिलाएं पानी को लेकर हलकान थी. आसपास चापाकल और न ही कोई अन्य व्यवस्था होने के कारण एक महिला प्यास के कारण सड़क पर बेहोश हो गयी.

रोजाना 200 से 500 रुपये की खरीदते हैं पानी
पानी की कमी के कारण राहगीरों की स्थिति को देखते हुए स्थानीय रितेश चौधरी काफी आहत हुए. आर्थिक हालात कमजोर होते हुए भी उन्होंने यहां एक सार्वजनिक प्याऊ खोल लोगों की सेवा में जुट गए हैं. प्रतिदिन इसके लिए 200 से 500 रुपये खर्च कर पानी खरीदते है. लेकिन उन्हें इस बात से संतुष्टी है कि आने-जाने वाले प्यासे राहगीरों का प्यास बुझा रहे हैं.

रितेश चौधरी के द्वारा लगाए गए इस प्याऊ पर सुबह से शाम तक आने-जाने वाले राहगीर की भीड़ लगी रहती है. रितेश खुद लोगों की सेवा में लगे रहते है. इस भीषण गर्मी में राहगीर पानी पाकर काफी राहत महसूस पाते है. गौरतलब है कि पूरा जिला भीषण जल संकट से जूझ रहा है. हालांकि पानी का व्यापार करने वाले लोगों की चांदी ही चांदी है. गर्मी में मजबूर असमर्थ राहगीरों के लिए रितेश का प्याऊ अमृत से कुछ कम नही है.

समस्तीपुर: समस्तीपुर बहेड़ी मुख्य सड़क मार्ग स्थित बल्लीपुर चौक के नजदीक एक प्याऊ दिन भर प्यासे राहगीरों का प्यास बुझा रहा है. भीषण गर्मी व पानी के समस्या के बीच यह प्याऊ लोगों के लिए जीवनदायक साबित हो रहा है.

इसकी अहममियत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि यहां से दूर-दूर तक पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. इस प्याऊ को चलाने वाला कोई बड़ा समाजिक संस्था नहीं है बल्कि पास का ही रहने वाला एक गरीब शख्स है. इस भीषण गर्मी में शख्स ने अपनी रोजी रोटी के साधन को भी दरकिनार कर दिया है. इसके बदले में बीते कई दिनों से प्यासे राहगीर की प्यास बुझा रहा है. हालांकि प्रतिदिन इसके पीछे वह काफी पैसे भी खर्च कर रहा है.

एक गरीब शख्स लोगों के लिए मुफ्त में चला रहा प्याऊ

आसपास में नहीं है पानी का साधन
दरअसल इस शख्स एक घटना से प्ररिरत होकर प्याऊ खोलने की ठानी. पानी को लेकर बढ़ती एक बड़े खतरे को भांपते हुए यह फैसला लिया. बीते कुछ दिन पहले इस इलाके के बैंक से लौटती कुछ महिलाएं पानी को लेकर हलकान थी. आसपास चापाकल और न ही कोई अन्य व्यवस्था होने के कारण एक महिला प्यास के कारण सड़क पर बेहोश हो गयी.

रोजाना 200 से 500 रुपये की खरीदते हैं पानी
पानी की कमी के कारण राहगीरों की स्थिति को देखते हुए स्थानीय रितेश चौधरी काफी आहत हुए. आर्थिक हालात कमजोर होते हुए भी उन्होंने यहां एक सार्वजनिक प्याऊ खोल लोगों की सेवा में जुट गए हैं. प्रतिदिन इसके लिए 200 से 500 रुपये खर्च कर पानी खरीदते है. लेकिन उन्हें इस बात से संतुष्टी है कि आने-जाने वाले प्यासे राहगीरों का प्यास बुझा रहे हैं.

रितेश चौधरी के द्वारा लगाए गए इस प्याऊ पर सुबह से शाम तक आने-जाने वाले राहगीर की भीड़ लगी रहती है. रितेश खुद लोगों की सेवा में लगे रहते है. इस भीषण गर्मी में राहगीर पानी पाकर काफी राहत महसूस पाते है. गौरतलब है कि पूरा जिला भीषण जल संकट से जूझ रहा है. हालांकि पानी का व्यापार करने वाले लोगों की चांदी ही चांदी है. गर्मी में मजबूर असमर्थ राहगीरों के लिए रितेश का प्याऊ अमृत से कुछ कम नही है.

Intro:पानी को लेकर जिले में मचे कोहराम के बीच एक शख्स यैसा जिसने अपनी रोजी रोटी का परवाह किये वगैर , प्यासे राहगीरों का प्यास बुझाने में लगा है । उसे इस बात की परवाह नही की , प्रतिदिन कितने रुपये का पानी यंहा इस्तेमाल होगा । लेकिन उसे यह फिक्र जरूर है की , उसके प्याऊ से कोई राहगीर प्यासा न जाये ।


Body:समस्तीपुर बहेड़ी मुख्य सड़क मार्ग के बल्लीपुर चौक के करीब एक प्याऊ दिन भर प्यासे राहगीरों का प्यास बुझा रहा । भीषण गर्मी व पानी के समस्या के बीच यह प्याऊ इसलिए भी अहम है की , यंहा से दूर दूर तक पानी की कोई व्यवस्था नही । वंही इसे चलाने वाला कोई बड़ा समाजिक संस्था नही , यही पास के ही रहने वाला एक गरीब शख्स है । जिसने अपने रोजी रोटी के साधन को भी दरकिनार कर बीते कई दिनों से यंहा प्यासे राहगीर की प्यास बुझा रहा । वैसे प्रतिदिन इसके पीछे वह काफी पैसे भी खर्च कर रहा । दरअसल इस प्याऊ को खोलने की प्रेरणा पानी को लेकर बढ़ती एक बड़े खतरे के तरफ भी इशारा कर रहा । बीते कुछ दिन पहले इस इलाके के बैंक से लौटती कुछ महिलाएं पानी को लेकर हलकान थी । आसपास न कोई ठीक चापाकल और न ही कोई अन्य व्यवस्था । हालात यंहा तक हो गए की , एक महिला प्यास के वजह से यंही सड़क पर बेहोश हो गयी । पानी को लेकर राहगीरों के इस हालात को देखते हुए यंहा रहने वाले रितेश चौधरी इतने आहत हुए की , आर्थिक हालात बेहतर नही होते हुए भी उन्होंने यंहा एक सार्वजनिक प्याऊ खोला । प्रतिदिन भले वे इसको लेकर 200 से 500 रुपये खर्च कर पानी खरीदते है , लेकिन उन्हें यह संतोष है की , वे आने जाने वाले प्यासे राहगीरों का प्यास बुझा रहे ।

बाईट - रितेश चौधरी , प्याऊ संचालक ।

वीओ - वैसे उनके इस प्याऊ पर सुबह से शाम तक आने जाने वाले राहगीर की भीड़ लगी रहती है । रितेश खुद इन लोगों के सेवा में लगे रहते है । आने जाने वाले राहगीर भी इस भीषण गर्मी पानी पाकर काफी राहत पाते है ।

बाईट - राहगीर ।


Conclusion:गौरतलब है की , पूरा जिला जंहा भीषण जल संकट से जूझ रहा । वंही पानी का व्यापार करने वालो की चांदी ही चांदी । लेकिन वैसे लोग जो पानी को लेकर खर्च करने में असमर्थ है , उनके लिए रितेश के इस प्याऊ का पानी , अमृत से कुछ कम नही ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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