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भगवान पर चढ़ने वाले फूल-बेलपत्र से बनेगी खाद, कृषि विभाग ने शुरू की पहल - राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय

केंद्रीय विश्विद्यालय के वीसी के अनुसार फूल व बेलपत्र से बनने वाले खाद जहां खेती के लिए काफी बेहतर हैं. वहीं, यह मिट्टी और पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी सही है.

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Published : Jan 7, 2020, 2:28 PM IST

Updated : Jan 7, 2020, 3:03 PM IST

समस्तीपुर: भगवान भोलेनाथ पर चढ़ने वाले फूल और बेलपत्र अब खेतों के लिए भी वरदान साबित होंगे. दरअसल, एग्रीकल्चर कॉलेज पूसा ने बाबा गरीबनाथ पर चढ़ने वाले फूल और बेलपत्र से जैविक खाद बनाने की योजना पर काम शुरू किया है. खास बात यह होगी कि ऐसे खाद पर्यावरण और फसलों के लिए काफी अनुकूल होंगे. साथ ही मंदिर से निकले कचरे का भी निपटान होगा.

जानकारी के मुताबिक राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने एक अनूठा प्रयास शुरू किया है. अब यहां के कृषि वैज्ञानिक मंदिरों में भक्तों के चढ़ाए फूल और बेलपत्रों का उपयोगी खेती उपयोगी खेती में करेंगे. इस कड़ी के पहले चरण में मुजफ्फरपुर के बाबा गरीबनाथ पर चढ़ाए जाने वाले फूल और बेलपत्र का इस्तेमाल होगा.

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पूसा कर रहा प्रयोग

कई मायनों में है फायदेमंद
केंद्रीय विश्विद्यालय के वीसी के अनुसार फूल व बेलपत्र से बनने वाले खाद जहां खेती के लिए काफी बेहतर हैं. वहीं, यह मिट्टी और पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी सही है. इतना ही नही मंदिरों में आस्थापूर्ण चढ़ाए जाने वाले फूल भी कूड़े में नहीं फेंके जाएंगे.

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लोगों की आस्था का सही इस्तेमाल

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70-80 दिनों का लगेगा टाइम
बता दें कि 70 किलो फूल और बेलपत्र में 30 से 35 किलो गोबर मिलाया जाएगा. उसके बाद इसमें उत्तम नस्ल के करीब दो किलो केंचुए छोड़े जायेंगे. 70 से 80 दिनों बाद इस अवशिष्ट से करीब 40 किलो जैविक खाद तैयार होगा. मिट्टी और पर्यावरण को समझने वाले जानकरों के अनुसार पूसा एग्रीकल्चर के इस प्रयोग से पैदावार में भी बढ़ोतरी होगी.

Intro:ओपनिंग पीटीसी ----
भगवान भोलेनाथ पर चढ़ने वाले फूल व बेलपत्र अब खेतों के लिए भी वरदान साबित होंगे । दरअसल एग्रीकल्चर कॉलेज पूसा ने बाबा गरीबनाथ पर चढ़ने वाले फूल और बेलपत्र से जैविक खाद बनाने की योजना पर काम शुरू किया है । खासबात यह होगा की , यैसे खाद पर्यावरण व फसलों के लिए काफी अनुकूल होंगे ।


Body:राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने एक अनूठा प्रयास शुरू किया है , अब यंहा के कृषि वैज्ञानिक मंदिरों में भक्तों के चढ़ाए फूल व बेलपत्र से खेती उपयोगी जैविक खाद बनाने की तैयारी शुरू की है । वैसे इस कड़ी में पहले चरण में मुजफ्फरपुर स्थित बाबा गरीबनाथ पर अर्पित होने वाले फूल व बेलपत्र का इस्तेमाल होगा । इस केंद्रीय विश्विद्यालय के वीसी के अनुसार , फूल व बेलपत्र से बनने वाले खाद जंहा खेती के लिए काफी बेहतर है वंही यह मिट्टी व पर्यावरण के लिए काफी अनुकूल है । यही नही मंदिरों में चढ़ने वाले आस्था से जुड़े फूल व बेलपत्र अब कूड़े में फेंके नही जायेंगे , इसका सही इस्तेमाल होगा ।

बाईट - डॉ आर सी श्रीवास्तव , वीसी , राजेन्द्र एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ।

वीओ - दरअसल यैसे 70 किलो फूल व बेलपत्र में 30 से 35 किलो गोबर मिलाया जायेगा । वंही इसमें उत्तम नस्ल के करीब दो किलो केंचुए छोड़े जायेंगे । जिसके 70 से 80 दिनों बाद इस अवशिष्ट से करीब 40 किलो जैविक खाद तैयार होंगे । मिट्टी व पर्यावरण को समझने वाले जानकर के अनुसार , पूसा एग्रीकल्चर का यह प्रयोग , सही मायनों में मिट्टी व पर्यावरण के लिए काफी लाभदायक है , वंही यैसे जैविक खाद से पैदावार में भी बढ़ोतरी होगी ।

बाईट - डॉ भोला चौरसिया , विशेषज्ञ ।


Conclusion:बहरहाल जल्द भगवान पर अर्पित आस्था के फूल व बेलपत्र खेतो के लिए वरदान बनने जा रहा । यही नही राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय ने बाबा गरीबनाथ मंदिर से चढ़े यैसे फूल व बेलपत्र मंगाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है ।

क्लोजिंग पीटीसी ।
Last Updated : Jan 7, 2020, 3:03 PM IST

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