समस्तीपुर: जिले में उम्र की आखिरी दहलीज पर पहुंचे बुजुर्गों को उनके अपने ही परिजन प्रताड़ित कर रहे हैं. कई ऐसे मामले हैं जिसमें बुजुर्गों को बुढ़े होने के कारण उनके परिजनों ने उन्हें घर से बाहर कर दिया. कई जगहों पर जमीन-जायदाद के लिए बुजुर्गों की हत्या भी कर दी गई. वैसे बुजुर्गों के हितों को लेकर सामाजिक और कानूनी बंदिशें जरूर हैं. लेकिन बुढ़े-बुजुर्ग जानकारी और जागरूकता के अभाव में इससे अंजान हैं.
जिले के पेंशनर्स समाज समेत वरिष्ठ नागरिकों के हितों से जुड़े कई सामाजिक संस्थाओं ने इसको लेकर जागरुकता फैलाना शुरू कर दिया है. ऐसे संस्थाओं से जुड़े लोगों ने कहा कि अब जरूरी हो गया है कि वरिष्ठ नागरिक अपने हक को लेकर कानूनी अधिकार को समझे. अपने ऊपर हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाये.
'बुजुर्गों के लिए जरूरी है कानून'
वरिष्ठ नागरिक वीरेंद्र चौधरी ने इस मामले पर कहा कि बुजुर्गों को इस कानून की समझ होने से बच्चे उनका सम्मान करेंगे. इससे समाज में उनका मान बढ़ेगा. उनको अपना जीवन यापन करने में कोई परेशानी नहीं होगी. इसलिए बुजुर्गों के लिए सरकार के द्वारा इस तरह का कानून लाना बहुत ही अच्छी बात है. वहीं, वरिष्ठ नागरिक नरेंद्र कुमार का कहना है कि समाज के लिए यह कानून बहुत ही महत्वपूर्ण है. क्योंकि समाज में अभी के समय में वरिष्ठ लोगों का सम्मान नहीं होता है.
बने हैं वरिष्ठ नागरिकों के जुड़े कई कानून
बता दें कि वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े कानून में इनके देखरेख, स्वास्थ्य, चिकित्सा आदि को लेकर वृद्ध माता-पिता भरण पोषण कानून 2012, 2018 और 2007 बनाये गए हैं. इस कानून के तहत वरिष्ठ नागरिकों के प्रताड़ना मामले में छह माह का जेल और 10 हजार रूपये तक के जुर्माना का प्रावधान है. वैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस मामले को समाजिक स्तर पर सुलझाने की जरूरत है. ना की कानून बनाकर थोपने की.
पीड़ित करवा सकते हैं डीएम ऑफिस में मामला दर्ज
गौरतलब है कि इस कानूनी प्रक्रिया के तहत पीड़ित बुजुर्ग एसडीओ और डीएम कार्यालय में मामला दर्ज करवा सकते हैं. यहीं नहीं प्रत्येक थाना के एसएचओ को 60 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों का सूची रखने का निर्देश जारी किया गया है.