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समस्तीपुर: बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए बच्चों को नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ

समस्तीपुर जिले के करीब 150 बाल श्रमिकों को बीते दो वर्षों के अंदर जयपुर, गुजरात आदि जगहों से मुक्त कराया गया. इन बालकों का नाम सीएलटीएस में नहीं डाला गया, जिससे केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ इन्हें नहीं मिल पा रहा है.

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बाल मजदूरी से मुक्त कराए गए बच्चों को नहीं मिला सरकारी योजनाओं का लाभ.
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Published : Jul 16, 2020, 10:51 PM IST

समस्तीपुर: जिला प्रसाशन बाल श्रमिकों को लेकर पूरी तरह संवेदनहीन है. विभागीय सूत्रों की मानें तो 2018 के बाद से चाइल्ड ट्रैफिकिंग से छुड़ाए गए बाल श्रमिकों का नाम चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम में नहीं डाला गया, जिससे इन पीड़ित बच्चों को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

जिले के करीब 150 बाल श्रमिकों को कराया गया था मुक्त
श्रम विभाग कार्यालय सूत्रों की माने तो जिले के करीब 150 से अधिक बाल मजदूरों को बीते दो वर्षों के अंदर जयपुर, गुजरात आदि जगहों से मुक्त कराया गया. ऐसे बाल श्रमिकों को केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से आजीविका शुरू करने के लिए सीएम राहत कोष से 25-25 हजार रुपये और केंद्र सरकार के ओर से 23-23 हजार रुपये मिलने थे, लेकिन विभागीय जानकारी के अनुसार 2018 के बाद से अब तक बाहर से आए बच्चों का नाम सीएलटीएस यानी चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम पर नहीं डाला गया.

बाल मजदूरों को नहीं मिला कोई फायदा
बहरहाल विभागीय उदासीनता के वजह से पीड़ित बाल मजदूरों को इसका फायदा नहीं मिल सका. वैसे इस मामले पर श्रम विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. जिले के पूसा, शिवाजीनगर, कल्याणपुर, हसनपुर, रोसड़ा समेत अन्य कई ब्लॉक में बिचौलियों के द्वारा ऐसे बच्चों के माता पिता को लालच देकर, लहठी, प्लास्टिक आदि के निर्माण में इन बाल मजदूरों को ले जाया जा रहा है.

समस्तीपुर: जिला प्रसाशन बाल श्रमिकों को लेकर पूरी तरह संवेदनहीन है. विभागीय सूत्रों की मानें तो 2018 के बाद से चाइल्ड ट्रैफिकिंग से छुड़ाए गए बाल श्रमिकों का नाम चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम में नहीं डाला गया, जिससे इन पीड़ित बच्चों को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

जिले के करीब 150 बाल श्रमिकों को कराया गया था मुक्त
श्रम विभाग कार्यालय सूत्रों की माने तो जिले के करीब 150 से अधिक बाल मजदूरों को बीते दो वर्षों के अंदर जयपुर, गुजरात आदि जगहों से मुक्त कराया गया. ऐसे बाल श्रमिकों को केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से आजीविका शुरू करने के लिए सीएम राहत कोष से 25-25 हजार रुपये और केंद्र सरकार के ओर से 23-23 हजार रुपये मिलने थे, लेकिन विभागीय जानकारी के अनुसार 2018 के बाद से अब तक बाहर से आए बच्चों का नाम सीएलटीएस यानी चाइल्ड लेबर ट्रैकिंग सिस्टम पर नहीं डाला गया.

बाल मजदूरों को नहीं मिला कोई फायदा
बहरहाल विभागीय उदासीनता के वजह से पीड़ित बाल मजदूरों को इसका फायदा नहीं मिल सका. वैसे इस मामले पर श्रम विभाग के अधिकारी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे हैं. जिले के पूसा, शिवाजीनगर, कल्याणपुर, हसनपुर, रोसड़ा समेत अन्य कई ब्लॉक में बिचौलियों के द्वारा ऐसे बच्चों के माता पिता को लालच देकर, लहठी, प्लास्टिक आदि के निर्माण में इन बाल मजदूरों को ले जाया जा रहा है.

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