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मिथिलांचल में भोजपुरी गानों की धूम, चुनाव प्रचार में धुंआधार बज रहे गाने

रिकॉर्डिंग संचालक ने बताया कि हिंदी और मैथली में भी कुछ सियासी दलों ने प्रचार बनवाया है. लेकिन ज्यादातर लोग भोजपुरी में हीं अपना प्रचार रिकॉर्ड करवा रहे हैं.

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Published : Apr 24, 2019, 5:26 PM IST

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समस्तीपुर: मिथिलांचल के वोटर्स को भोजपुरी खूब लुभा रही है. समस्तीपुर जिले के दोनों लोकसभा सीटों को लेकर प्रचार पूरे जोर पर है. लेकिन प्रचार के इन तरीकों में सबसे ज्यादा भोजपुरी गानों पर नेताओं व दलों के प्रचार की डिमांड है. प्रचार में हिंदी व मैथली की मांग काफी कम है, वहीं भोजपुरी इस बार सभी दलों की पहली पसंद है.


समस्तीपुर के प्रमुख रिकॉर्डिंग सेंटर पर अपने-अपने दल व नेता के अनुरूप सियासी प्रचार रिकॉर्ड की धूम मची है. बड़े सियासी दल हों या फिर निर्दलीय उम्मीदवार, सभी ने अपने-अपने मुताबिक मन लुभावन प्रचार बनाया है. मिथिलांचल की मुख्य भाषा मैथिली व बज्जिका है, लेकिन लगभग सभी सियासी दलों ने अपने प्रचार में भोजपुरी भाषा को प्राथमिकता दी है.

जानकारी देते दुकानदार

चुनाव प्रचारों में भोजपुरी की धूम

रिकॉर्डिंग संचालक ने बताया कि हिंदी और मैथली में भी कुछ सियासी दलों ने प्रचार बनवाया है, लेकिन ज्यादातर लोग भोजपुरी में हीं अपना प्रचार रिकॉर्ड करवा रहे हैं. कुछ दलों ने राष्ट्रीय गीत को भी अपने प्रचार में अहम स्थान दिया है. कैसेट रिकॉर्ड करवाने आने वाले कुछ लोगों का मानना है कि भोजपुरी गानों के प्रति लोगों का रुझान ज्यादा होता है. आसपास भी अधिकतर लोग भोजपुरी गानों को पसंद करते है. इसी कारण से चुनावी प्रचारों में भी भोजपुरी गानों को खास तरजीह दी गई है.
भोजपुरी गानों से लुभाया जा रहा वोटरों को
भोजपुरी के धुन पर विभिन्न सियासी दल जनता तक अपनी बात पंहुचाने की कोशिश कर रहे हैं. वैसे यह तो चुनाव परिणाम ही तय करेगा की, इस तरीके से ये सियासी दलों को कितना फायदा हुआ.

समस्तीपुर: मिथिलांचल के वोटर्स को भोजपुरी खूब लुभा रही है. समस्तीपुर जिले के दोनों लोकसभा सीटों को लेकर प्रचार पूरे जोर पर है. लेकिन प्रचार के इन तरीकों में सबसे ज्यादा भोजपुरी गानों पर नेताओं व दलों के प्रचार की डिमांड है. प्रचार में हिंदी व मैथली की मांग काफी कम है, वहीं भोजपुरी इस बार सभी दलों की पहली पसंद है.


समस्तीपुर के प्रमुख रिकॉर्डिंग सेंटर पर अपने-अपने दल व नेता के अनुरूप सियासी प्रचार रिकॉर्ड की धूम मची है. बड़े सियासी दल हों या फिर निर्दलीय उम्मीदवार, सभी ने अपने-अपने मुताबिक मन लुभावन प्रचार बनाया है. मिथिलांचल की मुख्य भाषा मैथिली व बज्जिका है, लेकिन लगभग सभी सियासी दलों ने अपने प्रचार में भोजपुरी भाषा को प्राथमिकता दी है.

जानकारी देते दुकानदार

चुनाव प्रचारों में भोजपुरी की धूम

रिकॉर्डिंग संचालक ने बताया कि हिंदी और मैथली में भी कुछ सियासी दलों ने प्रचार बनवाया है, लेकिन ज्यादातर लोग भोजपुरी में हीं अपना प्रचार रिकॉर्ड करवा रहे हैं. कुछ दलों ने राष्ट्रीय गीत को भी अपने प्रचार में अहम स्थान दिया है. कैसेट रिकॉर्ड करवाने आने वाले कुछ लोगों का मानना है कि भोजपुरी गानों के प्रति लोगों का रुझान ज्यादा होता है. आसपास भी अधिकतर लोग भोजपुरी गानों को पसंद करते है. इसी कारण से चुनावी प्रचारों में भी भोजपुरी गानों को खास तरजीह दी गई है.
भोजपुरी गानों से लुभाया जा रहा वोटरों को
भोजपुरी के धुन पर विभिन्न सियासी दल जनता तक अपनी बात पंहुचाने की कोशिश कर रहे हैं. वैसे यह तो चुनाव परिणाम ही तय करेगा की, इस तरीके से ये सियासी दलों को कितना फायदा हुआ.

Intro:मिथिलांचल के वोटर को खूब लुभा रहा भोजपुरी । समस्तीपुर जिले के दोनों लोकसभा सीटों को लेकर प्रचार पूरे जोर पर है । लेकिन प्रचार के इन तरीकों में सबसे ज्यादा भोजपुरी गाने पर नेताओं व दलों का प्रचार का डिमांड है । यैसे सियासी प्रचार केंद्रों के अनुसार , हिंदी व मैथली की मांग काफी कम है । वंही भोजपुरी इस बार सभी दलों की पहली पसंद है ।


Body:समस्तीपुर के प्रमुख रेकॉर्डिंग सेंटर पर अपने अपने दल व नेता के अनुरूप सियासी प्रचार रिकॉर्ड की धूम मची है । बड़े सियासी दल हो या फिर निर्दलीय उम्मीदवार , सबों ने अपने अपने मन मुताबिक मन लुभावन प्रचार बनाया है । लेकिन जो इन तमाम सियासी दलों में कॉमन है वह यह की , प्रचार में भोजपुरी का सहारा । दरअसल चुनाव भले इस मिथिलांचल के धरती पर हो रहा । जंहा की मुख्य बोलचाल भाषा बज्जिका एव मैथली है । लेकिन लगभग सभी सियासी दलों ने अपने प्रचार में भोजपुरी भाषा को प्राथमिकता दिया है । वैसे यैसे कैसेट रेकॉर्डिंग संचालक के अनुसार , हिंदी व मैथली में भी कुछ सियासी दलों ने प्रचार बनवाया है । लेकिन ज्यादातर लोगों ने भोजपुरी में हीं अपना प्रचार रेकॉर्डिंग करवाया है । वैसे कुछ दलों ने राष्ट्रीय गीत को भी अपने प्रचार में अहम स्थान दिया है ।

बाईट - आर एन दास , कैसेट रेकॉर्डिंग संचालक ।

वीओ - वैसे यंहा अपना कैसेट रेकॉर्ड करवाने आने वाले कुछ लोगो का मानना है की , दरअसल भोजपुरी गानों के प्रति लोगो का रुझान ज्यादा होता है । आसपास भी अधिकतर लोग भोजपुरी गानों को पसंद करते । यही कारण है की , इन चुनावी प्रचारों में भोजपुरी गानों को खास तरजीह दी गयी है ।

बाईट - गुलशन , भोजपुरी गायक ।


Conclusion:वैसे भोजपुरी के धुन पर विभिन्न सियासी दलों ने जनता तक अपनी व अपने दल की बात पंहुचाने का बेहतरीन कोशिश की है । वैसे यह तो नतीजा तय करेगा की , ये सियासी दल इसमें कितना कामयाब होते है । वैसे चुनावी जंग में होने वाले जुबानी जंग से अच्छा है की , मतदाता इन सियासी संगीतो का लुफ्त उठाये ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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