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बिहार का 'डार्क विलेज': सोलर पैनल से उम्मीदें टूटी, 3 साल से अंधेरे में कट रहीं रातें - BAGHA DARK VILLAGE

एक ऐसा गांव है जहां सोलर प्लांट होने के बावजूद पिछले तीन साल से इलाका अंधेरे में है. अब इसे लोग 'डार्क विलेज; कहते हैं-

बिन बिजली झंडू टोला
बिन बिजली झंडू टोला (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : 14 hours ago

बगहा : बिहार के बगहा जिले का 'झंडू टोला' गांव, जो इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित है, पिछले तीन वर्षों से ग्रामीण अंधेरे में जीने को मजबूर है. यह गांव गंडक नदी और घने जंगल के किनारे बसा हुआ है, जिससे यहां के लोग रात के अंधेरे में बड़ी मुश्किल से जीवन यापन कर रहे हैं. उनकी दिनचर्या पूरी तरह से प्राकृतिक खतरों और अंधेरे से जूझते हुए चलती है. यहां के लोग रात का खाना या तो दिन के उजाले में बना लेते हैं, या मोबाइल और टॉर्च की रोशनी में रात का समय काटते हैं.

बिहार का 'डार्क विलेज' : गांव के आस-पास जंगल और नदी के कारण यहां के लोगों को जंगली जानवरों का खतरा हमेशा बना रहता है. बाघ, तेंदुआ, जंगली सूअर, गैंडा और विषैले सांप गांव में घुसने के कारण लोग दिन-रात डर के साये में जीने को विवश हैं. ग्रामीणों के अनुसार, जब भी प्रशासन से इस बारे में शिकायत की जाती है, तो कोई भी सुनवाई नहीं होती, और वे अपनी रातें अंधेरे और भय के माहौल में बिताने के लिए मजबूर होते हैं.

बिहार का 'डार्क विलेज' (ETV Bharat)

"हम लोग चारों तरफ से प्राकृतिक रूप से खतरों के बीच में हैं. एक तरफ गंडक का किनारा है दूसरी तरफ बगहा का जंगल. जंगली जानवरों का खतरा रहता है. हम लोग पिछले 3 साल से अंधेरे में हैं. गांव में सोलर प्लांट लगा भी लेकिन वो भी 2 साल चला फिर काम करना बंद कर दिया. हमारी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है."- स्थानीय निवासी, झंडू टोला

अंधेरे में गांव : झंडू टोला गांव में 2018 में सोलर पैनल से बिजली सप्लाई के लिए एक पावर प्लांट स्थापित किया गया था, लेकिन कुछ वर्षों बाद ही उसमें खराबी आ गई, जिससे अब यह क्षेत्र पूरी तरह से अंधेरे में डूबा हुआ है. ग्रामीणों को बिजली के लिए 1 किलोमीटर दूर नेपाल या 2 किलोमीटर दूर भेड़िहारी चौक जाना पड़ता है.

3 साल से बिन बिजली झंडू टोला
3 साल से बिन बिजली झंडू टोला (ETV Bharat)

"हम लोगों को मोबाइल चार्ज करने के लिए 2 किलोमीटर नेपाल या फिर बगहा जाना पड़ता है. हमारी सरकार से मांग है कि हम लोगों के लाइट का इंतजाम करे." - स्थानीय निवासी, झंडू टोला

गांव में ठप पड़ा सोलर पावर प्लांट
गांव में ठप पड़ा सोलर पावर प्लांट (ETV Bharat)

प्रशासनिक उपेक्षा और नई योजना : यहां के ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन और जिला प्रशासन को कई बार अपनी समस्या से अवगत कराया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. SSB द्वारा भी कई बार प्रशासन को सूचित किया गया कि इस क्षेत्र में बिजली पहुंचाई जाए. हालांकि, राज्य सरकार द्वारा 139 करोड़ रुपये की लागत से एक ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड विद्युत पावर स्टेशन बनाने की योजना बनाई गई है, ताकि इस इलाके में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके.

झोपड़ी में बिजली का इंतजार करता इलेक्ट्रिक उपकरण
झोपड़ी में बिजली का इंतजार करता इलेक्ट्रिक उपकरण (ETV Bharat)

''जिन इलाकों में ऑन ग्रिड बिजली नहीं पहुंची है, वहां हमने ऑफ ग्रिड बिजली पहुंचाया है. इसी क्रम में सीमाई इलाका झंडू टोला, चकदहवा और बिन टोली में MGP प्लांट स्थापित किया गया है. लेकिन सोलर पैनल की बैटरी खराब होने के कारण झंडू टोला गांव के लोगों को बिजली नहीं मिल पा रही है. शीघ्र हीं 139 करोड़ की लागत से ऑन ग्रिड-ऑफ ग्रिड विद्युत पावर स्टेशन बनेगा, जिससे झंडू टोला, चकदहवा और बिन टोली समेत दोन इलाके में 24 घंटे बिजली आपूर्ति की जाएगी.''- आलोक अमृतांशु, कार्यपालक अभियंता, बिजली विभाग

झंडू टोला गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव
झंडू टोला गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव (ETV Bharat)

बिन बिजली 'झंडू' टोला : अब सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा दी गई इस योजना को धरातल पर उतरने में कितना समय लगेगा? फिलहाल, झंडू टोला गांव के लोग अंधेरे में संघर्ष कर रहे हैं, और यह देखना होगा कि भविष्य में उनके जीवन में कितनी रोशनी आती है? इस स्थिति को देखते हुए, झंडू टोला को 'बगहा का डार्क विलेज' कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

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टॉर्च की रोशनी में काम करते ग्रामीण (ETV Bharat)

ये भी पढ़ें- नीतीश राज में लालटेन युग, बेतिया के इस गांव में सुशासन के 19 साल बाद भी बिजली नहीं

बगहा : बिहार के बगहा जिले का 'झंडू टोला' गांव, जो इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित है, पिछले तीन वर्षों से ग्रामीण अंधेरे में जीने को मजबूर है. यह गांव गंडक नदी और घने जंगल के किनारे बसा हुआ है, जिससे यहां के लोग रात के अंधेरे में बड़ी मुश्किल से जीवन यापन कर रहे हैं. उनकी दिनचर्या पूरी तरह से प्राकृतिक खतरों और अंधेरे से जूझते हुए चलती है. यहां के लोग रात का खाना या तो दिन के उजाले में बना लेते हैं, या मोबाइल और टॉर्च की रोशनी में रात का समय काटते हैं.

बिहार का 'डार्क विलेज' : गांव के आस-पास जंगल और नदी के कारण यहां के लोगों को जंगली जानवरों का खतरा हमेशा बना रहता है. बाघ, तेंदुआ, जंगली सूअर, गैंडा और विषैले सांप गांव में घुसने के कारण लोग दिन-रात डर के साये में जीने को विवश हैं. ग्रामीणों के अनुसार, जब भी प्रशासन से इस बारे में शिकायत की जाती है, तो कोई भी सुनवाई नहीं होती, और वे अपनी रातें अंधेरे और भय के माहौल में बिताने के लिए मजबूर होते हैं.

बिहार का 'डार्क विलेज' (ETV Bharat)

"हम लोग चारों तरफ से प्राकृतिक रूप से खतरों के बीच में हैं. एक तरफ गंडक का किनारा है दूसरी तरफ बगहा का जंगल. जंगली जानवरों का खतरा रहता है. हम लोग पिछले 3 साल से अंधेरे में हैं. गांव में सोलर प्लांट लगा भी लेकिन वो भी 2 साल चला फिर काम करना बंद कर दिया. हमारी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है."- स्थानीय निवासी, झंडू टोला

अंधेरे में गांव : झंडू टोला गांव में 2018 में सोलर पैनल से बिजली सप्लाई के लिए एक पावर प्लांट स्थापित किया गया था, लेकिन कुछ वर्षों बाद ही उसमें खराबी आ गई, जिससे अब यह क्षेत्र पूरी तरह से अंधेरे में डूबा हुआ है. ग्रामीणों को बिजली के लिए 1 किलोमीटर दूर नेपाल या 2 किलोमीटर दूर भेड़िहारी चौक जाना पड़ता है.

3 साल से बिन बिजली झंडू टोला
3 साल से बिन बिजली झंडू टोला (ETV Bharat)

"हम लोगों को मोबाइल चार्ज करने के लिए 2 किलोमीटर नेपाल या फिर बगहा जाना पड़ता है. हमारी सरकार से मांग है कि हम लोगों के लाइट का इंतजाम करे." - स्थानीय निवासी, झंडू टोला

गांव में ठप पड़ा सोलर पावर प्लांट
गांव में ठप पड़ा सोलर पावर प्लांट (ETV Bharat)

प्रशासनिक उपेक्षा और नई योजना : यहां के ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन और जिला प्रशासन को कई बार अपनी समस्या से अवगत कराया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. SSB द्वारा भी कई बार प्रशासन को सूचित किया गया कि इस क्षेत्र में बिजली पहुंचाई जाए. हालांकि, राज्य सरकार द्वारा 139 करोड़ रुपये की लागत से एक ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड विद्युत पावर स्टेशन बनाने की योजना बनाई गई है, ताकि इस इलाके में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके.

झोपड़ी में बिजली का इंतजार करता इलेक्ट्रिक उपकरण
झोपड़ी में बिजली का इंतजार करता इलेक्ट्रिक उपकरण (ETV Bharat)

''जिन इलाकों में ऑन ग्रिड बिजली नहीं पहुंची है, वहां हमने ऑफ ग्रिड बिजली पहुंचाया है. इसी क्रम में सीमाई इलाका झंडू टोला, चकदहवा और बिन टोली में MGP प्लांट स्थापित किया गया है. लेकिन सोलर पैनल की बैटरी खराब होने के कारण झंडू टोला गांव के लोगों को बिजली नहीं मिल पा रही है. शीघ्र हीं 139 करोड़ की लागत से ऑन ग्रिड-ऑफ ग्रिड विद्युत पावर स्टेशन बनेगा, जिससे झंडू टोला, चकदहवा और बिन टोली समेत दोन इलाके में 24 घंटे बिजली आपूर्ति की जाएगी.''- आलोक अमृतांशु, कार्यपालक अभियंता, बिजली विभाग

झंडू टोला गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव
झंडू टोला गांव में बुनियादी सुविधाओं का अभाव (ETV Bharat)

बिन बिजली 'झंडू' टोला : अब सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा दी गई इस योजना को धरातल पर उतरने में कितना समय लगेगा? फिलहाल, झंडू टोला गांव के लोग अंधेरे में संघर्ष कर रहे हैं, और यह देखना होगा कि भविष्य में उनके जीवन में कितनी रोशनी आती है? इस स्थिति को देखते हुए, झंडू टोला को 'बगहा का डार्क विलेज' कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

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टॉर्च की रोशनी में काम करते ग्रामीण (ETV Bharat)

ये भी पढ़ें- नीतीश राज में लालटेन युग, बेतिया के इस गांव में सुशासन के 19 साल बाद भी बिजली नहीं

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