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कब बदलेगी सूरत? मौत के साये में पढ़ने को मजबूर हैं इस स्कूल के छात्र

शिवाजीनगर प्रखंड में स्थित राजकीय मध्य विद्यालय छतौनी में 300 बच्चे पढ़ते हैं. लेकिन आज भी यह विद्यालय झोपड़ी में चल रहा है. यहां हमेशा सांपों और बिच्छू निकल जाते हैं. छात्र यहां जान जोखिम में डाल कर पढ़ रहे हैं.

समस्तीपुर
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Published : Jul 7, 2019, 9:09 AM IST

समस्तीपुर: सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर बड़े बड़े दावे करती है. लेकिन प्रदेश के कई इलाकों में स्थित स्कूल आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है. जिले के एक गांव में स्थित राजकीय मध्य विद्यालय अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है. इस विद्यालय में न पक्की भवन, न शौचायल और न ही पानी की व्यवस्था है.

समस्तीपुर
जर्जर भवन

मामला जिले के शिवाजीनगर प्रखंड में स्थित राजकीय मध्य विद्यालय छतौनी का है. यहां लगभग 300 बच्चे पढ़ते हैं. आज भी यह विद्यालय टूटी फूटी झोपड़ी में चल रही है. इससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. यहां बच्चों के लिए न शौचायल और न ही पानी की व्यवस्था है. इसके साथ ही यहां मिड डे मील योजना का भी व्यवस्था ठीक नहीं है.

समस्तीपुर
कक्षा में पढ़ते बच्चे

'यहां सांप और विषैले कीड़े निकल जाते हैं'
विद्यालय में पढ़ रहे छात्रों ने बताया कि हम यहां जमीन पर बैठ कर पढ़ते हैं. इस विद्यालय का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. विद्यालय के हर तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. यहां हमेशा सांप और विषैले कीड़े आ जाते हैं. विद्यालय से बहुत दूर पानी पीने के लिए जाना पड़ता है.

छात्र और शिक्षकों का बयान

'भवन को लेकर विभाग उदासीन है'
वहीं, विद्यालय प्रधानाध्यापक का कहना है कि ग्रामीणों के सहयोग से टूटी फूटी झोपड़ी को ही ठीक करके बच्चों का पढ़ाई कराया जा रहा है. शिक्षा विभाग विद्यालय के भवन निर्माण को लेकर उदासीन बना हुआ है. विभाग भवन बनाने के लिए पैसा मुहैया कराता तो विद्यालय का भवन बनवा दिया जाएगा. चापाकल खराब है उसे भी ठीक कराने की व्यवस्था की जा रही है.

समस्तीपुर: सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर बड़े बड़े दावे करती है. लेकिन प्रदेश के कई इलाकों में स्थित स्कूल आज भी मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है. जिले के एक गांव में स्थित राजकीय मध्य विद्यालय अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है. इस विद्यालय में न पक्की भवन, न शौचायल और न ही पानी की व्यवस्था है.

समस्तीपुर
जर्जर भवन

मामला जिले के शिवाजीनगर प्रखंड में स्थित राजकीय मध्य विद्यालय छतौनी का है. यहां लगभग 300 बच्चे पढ़ते हैं. आज भी यह विद्यालय टूटी फूटी झोपड़ी में चल रही है. इससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. यहां बच्चों के लिए न शौचायल और न ही पानी की व्यवस्था है. इसके साथ ही यहां मिड डे मील योजना का भी व्यवस्था ठीक नहीं है.

समस्तीपुर
कक्षा में पढ़ते बच्चे

'यहां सांप और विषैले कीड़े निकल जाते हैं'
विद्यालय में पढ़ रहे छात्रों ने बताया कि हम यहां जमीन पर बैठ कर पढ़ते हैं. इस विद्यालय का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. विद्यालय के हर तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. यहां हमेशा सांप और विषैले कीड़े आ जाते हैं. विद्यालय से बहुत दूर पानी पीने के लिए जाना पड़ता है.

छात्र और शिक्षकों का बयान

'भवन को लेकर विभाग उदासीन है'
वहीं, विद्यालय प्रधानाध्यापक का कहना है कि ग्रामीणों के सहयोग से टूटी फूटी झोपड़ी को ही ठीक करके बच्चों का पढ़ाई कराया जा रहा है. शिक्षा विभाग विद्यालय के भवन निर्माण को लेकर उदासीन बना हुआ है. विभाग भवन बनाने के लिए पैसा मुहैया कराता तो विद्यालय का भवन बनवा दिया जाएगा. चापाकल खराब है उसे भी ठीक कराने की व्यवस्था की जा रही है.

Intro:समस्तीपुर जिले के शिवाजीनगर प्रखंड के राजकीय मध्य विद्यालय छतौनी अपने दुर्दशा पर आंसू बहाने को विवश है। यहां पढ़ने वाले बच्चे टूटी फूटी झोपड़ी एवं गंदगीयों के बीच पढ़ने को मजबूर हैं। ना तो इसकी चिंता विद्यालय प्रबंधन को है और ना ही इसकी चिंता शिक्षा विभाग को है।


Body:राजकीय प्राथमिक विद्यालय छतौनी जहां क्लास 1 से लेकर 8 तक के बच्चों का पठन-पाठन कराया जाता है ।और इस विद्यालय में 308 छात्र-छात्राएं नामांकित है ।लेकिन इस विद्यालय में भवन नहीं होने के कारण टूटी फूटी झोपड़ी में ही पठन-पाठन का कार्य चल रहा है ।आसपास के लोग गंदगी का अंबार लगाए हुए हैं ।जिसके कारण बच्चे गंदगी और बदबू के बीच ही बैठकर पठन-पाठन कर रहे हैं। जमीन पर बैठकर पढ़ रहे इन बच्चों का बताना है कि विद्यालय में भवन नहीं है टूटी झोपड़ी को प्रधानाध्यापक के द्वारा बनवा कर हम लोग पढ़ाई कर रहे हैं। जबकि क्लास वन से लेकर छह क्लास तक के बच्चे जमीन पर बैठकर ही टूटी झोपड़ी में बैठकर पठन-पाठन करते हैं ।वहीं पढ़ाई कराने वाले शिक्षिका का बताना है ।कि हम लोगों को डर लगा रहता है सांप बिच्छू निकलकर इन छोटे मासूम बच्चों को काट ना ले । वही बच्चे को बताना है कि बहुत कष्ट में हम लोग पढ़ाई कर रहे हैं ।पढ़ाई करने वाले बच्चे सरकार से मांग कर रहे हैं कि सरकार उनकी दुर्दशा पर ध्यान दें और जल्द से जल्द स्कूल की भवन को बनवा दे।


Conclusion:इस विद्यालय में ना तो पीने के लिए पानी है। ना ही यहां पढ़ने वाले बच्चे के लिए शौचालय ।एक और जहां सरकार स्वच्छ भारत बनाने का सपना देख रही है। वहीं यह स्कूल स्वच्छ भारत अभियान का मुंह चिढ़ा रहा है। विद्यालय प्रबंधन प्रधानाध्यापक का बताना है कि ग्रामीणों के सहयोग से टूटी फूटी झोपड़ी को ही ठीक करके बच्चों का पढ़ाई कराया जा रहा है। विभाग के द्वारा भवन बनाने का पैसा मुहैया कराया जाता है तो विद्यालय का भवन बनवा दिया जाएगा। विद्यालय में लगा एक चापाकल खराब है उसे भी ठीक कराने की व्यवस्था कराई जा रही है।
बाईट: अनिल कुमार छात्र
बाईट : सुधा देवी छात्र
बाईट: दिलीप ठाकुर प्रधानाध्यापक।
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