समस्तीपुर: बिहार (Bihar) के सरकारी विद्यालय (Government School) में पढ़ने वाले पहली से आठवीं तक के बच्चों को किताब खरीदने के लिये शिक्षा विभाग (Education Department) की ओर से अकाउंट में पैसा भेजा गया, लेकिन अकाउंट में पैसा आने के बावजूद आधे से अधिक बच्चों के पास पढ़ने के लिये किताबें नहीं हैं. किताब खरीद को लेकर विभाग की ओर से पुस्तक मेले (Book Fair) का भी आयोजन किया गया, लेकिन बच्चों के अभिभावकों पर इसका कोई खास असर नहीं दिखा.
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समस्तीपुर जिले में पहली से आठवीं तक पढ़ने वाले करीब 55 फीसदी बच्चों के पास पढ़ने के लिए किताबें नहीं हैं. जिसको लेकर विभाग गंभीर है. सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले पहली से आठवीं क्लास के करीब सात लाख बच्चे हैं. इनमें से आधे से अधिक बच्चे बिना किताब के ही पढ़ाई कर रहे हैं. शिक्षा विभाग की ओर से किताब खरीद को लेकर बच्चों के खाते में राशि जरूर भेज दी गई, लेकिन किताब खरीद को लेकर बहुत से अभिभावकों ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई.
डीपीओ कार्यालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक जिले में पहली से पांचवीं तक के 4 लाख 62 हजार 105 और क्लास छह से आठवीं तक के 2 लाख 51 हजार 630 बच्चे नामांकित हैं. विभागीय आंकड़ों के अनुसार इसमें से अब तक महज 3 लाख 19 हजार 55 बच्चों के पास ही नई और पुरानी किताब हैं. विभाग की ओर से बच्चों को सहजता से पुस्तक उपलब्ध कराने के लिये जिले के सभी ब्लॉक के बीआरसी केंद्र पर 3 से 30 सितंबर तक पुस्तक मेला लगाया गया था, लेकिन इसके बावजूद भी आधे से अधिक बच्चों के पास किताब नहीं है.
बहरहाल बीते दो वर्षों से कोरोना के कारण जहां बच्चों की पढ़ाई प्रभावित है. वहीं अब किताब के पैसे एकाउंट में आने के बावजूद अभिवावक किताब को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. जिसको लेकर विभाग काफी गंभीर है. डीपीओ कार्यालय के वरीय अधिकारियों के मुताबिक जो अभिवावक इस वर्ष किताब का खरीद नहीं करेंगे, उन्हें अगले वर्ष इस मद में मिलने वाली राशि को रोका जा सकता है.
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