सहरसा: 13 मार्च यानी शनिवार का दिन कोसी , सीमांचल और मिथिलांचल के लिए ऐतिहासिक बन गया है. 87 साल के बाद पहली बार कोसी प्रमंडल के जिला मुख्यालय सहरसा से ट्रेन चलाई गई. ट्रेन सुपौल स्टेशन से गुजरते हुए कोसी नदी पर बने रेल पुल को पार करती हुई झंझारपुर के रास्ते दरभंगा समस्तीपुर पहुंचेगी.
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औद्योगिक क्रांति
पूर्व मध्य रेलवे के जीएम ललित चंद्र त्रिवेदी, स्पेशल सैलून निरीक्षण के क्रम में नई बनी रेल पटरी पर पहली बार ट्रेन से यात्रा किया. उनके निरीक्षण में अगर सबकुछ दुरुस्त रहा तो जल्द अंतिम प्रक्रिया सीआरएस निरीक्षण करवाया जाएगा. जिसे भी मार्च के अंतिम सप्ताह तक कर लिए जाने के संकेत दिए जा चुके हैं. जिसके बाद अप्रैल के पहले सप्ताह तक सीधे कोसी से गुजरते हुए ट्रेन मिथिलांचल की हृदय स्थली दरभंगा तक पहुंचेगी.
87 साल का इंतजार खत्म
पूर्वोत्तर राज्यों सहित अन्य राज्यों से भी ट्रेन सेवा सहरसा के लिए बहाल की जाएगी. ऐसे में सहरसा जल्द ही देश के सबसे महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में से एक बनने जा रहा है.
पहले ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट का उद्घाटन
इतना ही नहीं सहरसा रेलवे स्टेशन पर इसी क्रम में जीएम ने बिहार का पहला ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट का उद्घाटन किया. इसके बाद फुट ओवर ब्रिज व कोच गाइडेंस बोर्ड और इंडिकेडर का उद्घाटन किया गया.
अधिकारियों के साथ समीक्षा
इसके अलावे जीएम, रेलवे के वरीय अधिकारियों के साथ रेलवे में चल रहे विकासात्मक कार्यों की समीक्षा करते हुये सुपौल दरभंगा के लिये प्रस्थान कर गये. मौके पर उन्होंने कहा कि
अररिया से गलगलिया के बीच भी रेलवे का निर्माण प्रगति पर है. यदि एक बार यह निर्माण हो जाता है तो हमारा लिंकेज पूर्वोत्तर भारत सहित रेलवे से हो जाएगा. जिससे हमलोग नॉर्थ ईस्ट होते हुए बांग्लादेश सहित अन्य देशों से जो सामग्री मसलन सीमेंट अयस्क आदि जो आते ही उनकी आपूर्ति बांग्लादेश व असम सहित पूरे देश मे औद्योगिक क्रांति आएगी और रोजगार के अवसर प्रदान करेगी.-ललित चंद्र त्रिवेदी,जीएम, पूर्व मध्य रेलवे
1934 में भूकंप के बाद से टूटा था संपर्क
87 साल पहले 1934 में आए बिहार में भूकंप के कारण सुपौल में छोटी लाइन की पटरी ध्वस्त हो गई थी. इस कारण निर्मली-सरायगढ़ के बीच ट्रेन सेवा बंद हो गई थी. आमान परिवर्तन के बाद इस रूट पर फिर से रेल सेवा बहाल हो गई है. आपको बता दें कि 6 जून 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने निर्मली महाविद्यालय से कोसी नदी पर महासेतु का शिलान्यास किया था.