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पत्तल फैक्ट्री खोलकर रितेश बदल रहे अपनी जिंदगी, युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बने मिसाल - Ritesh Kumar changing his life by opening

सहरसा के सालखुआ प्रखंड अंतर्गत गोरदह गांव निवासी रितेश कुमार सरकार के आत्मनिर्भर भारत योजना (Self reliant India plan) को सफल बना रहे हैं. इंजीनियरिंग का छात्र रितेश मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत पत्तल फैक्टरी खोलकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं और बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार भी मुहैया करा रहे हैं.

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Published : Sep 17, 2022, 12:47 PM IST

सहरसा: बिहार के सहरसा जिले के सालखुआ प्रखंड अंतर्गत गोरदह गांव में इंजीनियरिंग का छात्र रितेश कुमार मुख्यमंत्री उद्यमी योजना (Chief Minister Udyami Yojana) के तहत पत्तल फैक्ट्री खोलकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं और अपनी जिंदगी संवार रहे हैं. रितेश ने दोना पत्तल फैक्ट्री का उद्घाटन अगस्त माह में किया था. जिसके बाद उन्होंने इसी महीने से दोना पत्तल बनाने का काम शुरू कर दिया था. वर्तमान समय में इस फैक्ट्री से हर दिन 10 हजार दोना पत्तल तैयार किया जाता है.

ये भी पढे़ं- मुख्यमंत्री उद्यमी योजना: 16 हजार आवेदकों को मिलेंगे 10-10 लाख, बोले शाहनवाज- 'बिहार की बदलेंगे तस्वीर'

इंजीनियरिंग का छात्र है रितेश: रितेश कुमार ने मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई पुरी करने के बाद भोपाल से इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग (Electric & Electronic Engineering) की पढ़ाई की है. जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत पत्तल फैक्ट्री (Dona Patal Factory Saharsa) खोलकर आज युवाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. रितेश की सफलता गाँव में चर्चा का विषय बना हुआ है. उनकी फैक्ट्री में तैयार दोना पत्तल अनुमंडल क्षेत्र के विभिन पंचायतों में खूब इस्तेमाल हो रहा है.

सड़क दुर्घटना में गंवा चुके है एक पैर

2014 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की अंतिम वर्ष के समय में सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया था और उन्हें अपनी एक पैर गवानी पड़ी थी. इसके बावजूद वो हिम्मत नहीं हारे और खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बिहार सरकार के उद्यमी योजना से दोना पत्तल फैक्टरी खोलकर खुद भी आत्मनिर्भर हो रहे हैं और बेरोजगार युवाओ को भी रोजगार से जोड़ रहे है.

"बेरोजगार युवाओं को अच्छी शिक्षा के बावजूद कोई रोजगार नहीं होने पर खुद आत्मनिर्भर होने के लिए आपको रोजगार से जुड़ना चाहिए".- रितेश कुमार

स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है दोना पत्तल

बदलते परिवेष में लोग थर्मोकोल के पत्ते को शादी समारोह में भोजन करने के लिए उपयोग में लाने लगे थे. जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल असर पड़ने लगा. जिस कारण लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सरकार के द्वारा इसपर प्रतिबंध लगाया गया था. हालांकि रितेश जैसे युवाओं ने लोगों की समस्या को समझा और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद दोना पत्तल की फैक्ट्री लगाया.

ये भी पढे़ं- रोजगार' फिर बना मुद्दा: विपक्ष ने मंशा पर उठाया सवाल तो बोले सरकार के मंत्री- अभी तो 7 महीने ही हुए

सहरसा: बिहार के सहरसा जिले के सालखुआ प्रखंड अंतर्गत गोरदह गांव में इंजीनियरिंग का छात्र रितेश कुमार मुख्यमंत्री उद्यमी योजना (Chief Minister Udyami Yojana) के तहत पत्तल फैक्ट्री खोलकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं और अपनी जिंदगी संवार रहे हैं. रितेश ने दोना पत्तल फैक्ट्री का उद्घाटन अगस्त माह में किया था. जिसके बाद उन्होंने इसी महीने से दोना पत्तल बनाने का काम शुरू कर दिया था. वर्तमान समय में इस फैक्ट्री से हर दिन 10 हजार दोना पत्तल तैयार किया जाता है.

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इंजीनियरिंग का छात्र है रितेश: रितेश कुमार ने मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई पुरी करने के बाद भोपाल से इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग (Electric & Electronic Engineering) की पढ़ाई की है. जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत पत्तल फैक्ट्री (Dona Patal Factory Saharsa) खोलकर आज युवाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. रितेश की सफलता गाँव में चर्चा का विषय बना हुआ है. उनकी फैक्ट्री में तैयार दोना पत्तल अनुमंडल क्षेत्र के विभिन पंचायतों में खूब इस्तेमाल हो रहा है.

सड़क दुर्घटना में गंवा चुके है एक पैर

2014 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की अंतिम वर्ष के समय में सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया था और उन्हें अपनी एक पैर गवानी पड़ी थी. इसके बावजूद वो हिम्मत नहीं हारे और खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बिहार सरकार के उद्यमी योजना से दोना पत्तल फैक्टरी खोलकर खुद भी आत्मनिर्भर हो रहे हैं और बेरोजगार युवाओ को भी रोजगार से जोड़ रहे है.

"बेरोजगार युवाओं को अच्छी शिक्षा के बावजूद कोई रोजगार नहीं होने पर खुद आत्मनिर्भर होने के लिए आपको रोजगार से जुड़ना चाहिए".- रितेश कुमार

स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है दोना पत्तल

बदलते परिवेष में लोग थर्मोकोल के पत्ते को शादी समारोह में भोजन करने के लिए उपयोग में लाने लगे थे. जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल असर पड़ने लगा. जिस कारण लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सरकार के द्वारा इसपर प्रतिबंध लगाया गया था. हालांकि रितेश जैसे युवाओं ने लोगों की समस्या को समझा और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद दोना पत्तल की फैक्ट्री लगाया.

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