सहरसा : सावन महीने में खासकर के ब्राह्मण समाज की सुहागिन महिलाओं के द्वारा मधुश्रावणी का विशिष्ट पर्व बड़ी ही निष्ठा और समर्पण के साथ मनाया जाता है. यह पर्व अमूमन 15 दिनों तक चलता है, जिसमें सुहागिनें महादेव और माता पार्वती के साथ-साथ विषहरी से अपने सुहाग की रक्षा और उनके दीर्घायु होने की कामना करती हैं. साफ सफाई और गीत नाद के साथ ये नवविवाहित महिला इस पर्व को काफी उत्साह और मनोरम तरीके से मनाती हैं.
15 दिनों तक चलता है यह पर्व
दरअसल मधुश्रावणी पर्व 15 दिनों तक चलता है. प्रतिदिन शाम में नवविवाहिताए फूल तोड़ती हैं, फिर उसे अगले दिन महादेव और पार्वती के साथ-साथ माता विषहरी के चरणों मे अर्पण करती हैं. वहीं साँपों की देवी से ये नवविवाहिताएं याचना करती हैं कि माता उनके पति को ना केवल सर्पदंश से बचाए बल्कि उनको लंबी आयु भी दें. नवविवाहिताएं इस पूजा को बड़ी निष्ठा के साथ करती हैं.
गौरी और विषहरी माता की होती है पूजा
पर्व के दौरान सबसे खास बात यह भी है कि मायके में रहने वाली सुहागिनें अपनी ससुराल से भेजे गए अरवा अन्न का ही सेवन करती हैं. इस पर्व को लेकर नवविवाहित बताती हैं कि पति की लंबी आयु के लिए यह पर्व बहुत ही निष्ठा से मनाते हैं. यह पर्व करीब 15 दिन तक चलता है. इस पर्व में गौरी और विषहरी माता की पूजा होती है. दिन भर उपवास में रहने के बाद ससुराल से भेजा गया अरवा अन्न और फल खाते हैं. वहीं इस पर्व को लेकर पंडितजी का कहना है कि यह पर्व खासकर के नवविवाहिताएं अपने पति के दीर्घायु होने के लिए मनाती हैं. इस पर्व में गौरी और विषहरी माता की पूजा की जाती है.