सहरसा: जैसे-जैसे बरसात मजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे बिहार की शोक कही जाने वाली कोसी नदी का ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. कोसी के इस रौद्र रूप से इसके तट पर रहने वाले अभी से ही चिन्तित दिख रहे हैं.
आवागमन पर संकट
एक तो कोशी के गर्भ में बसे लोगों के पास आवागमन की असुविधा पहले से ही नदारद थी. ऊपर से कोसी में लगातार बढ़ते जलस्तर ने आम जनजीवन से उनकी दूरी और भी बढ़ा दी है. जिले के सलखुआ प्रखंड के कठडूमर में छह माह पूर्व बना चचरी पुल को कोसी नदी ने लील कर दिया है. चचरी पुल टूट जाने से यहां के लोग के लिए गांव में आवागमन के लिए संकट खड़े हो गए हैं. चचरी पुल के सहारे आने-जाने वाले ग्रामीण फिर से कोसी की उफनती धारा में नाव से पार होने के लिए विवश हो गए हैं.
लोगों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़
लोगों के आवागमन की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कठडूमर घाट पर कोसी नदी की मुख्य धारा में छह माह पूर्व में चचरी पूल बनाया गया. लेकिन नदी की बढ़ती जलप्रवाह इस पुल को अपने साथ बहा ले गई. जिसके कारण नदी के एक छोर से दुसरे छोर तक आना-जाना ठप हो गया है. कोसी तटबंध के अंदर बसे लोगों के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है.
दस लाख में बनकर तैयार हुआ था पुल
गौरतलब है कि जनसहयोग कर दस लाख की लागत से छह माह पहले ही यह पुल बनकर तैयार हुआ था. पुल बह जाने से लोगों के बीच मायूसी छा गई है. ग्रामीण बताते है कि चचरी पुल से आवागमन काफी सुलभ था. इसके अलावे समय की काफी बचत होती थी. देर रात तक कभी भी किसी आपातकालीन स्थिति में नदी पार कर लिया जाता था. जो अब संभव नहीं है. किसी आपातकाल में मरीज को ले जाना हो, ट्रेन पकड़ने के लिए जाना हो या फिर प्रखंड कार्यालय जाना आफत बन जाती है. इसके लिए घंटों नाव का इंतजार पड़ रहा है.
अभिशाप झेल रही बड़ी आबादी
इस चचरी पुल टूट जाने से कोसी तटबंध के अंदर बसी एक बड़ी आबादी मानों अभिशाप का दंश झेल रहा है. कोसी के रहनुमा बने जनप्रतिनिधियों से इस क्षेत्र की पीड़ित जनता को एक अदद पुल निर्माण की दरकार है. जिससे तटबंध के अंदर बसी एक बड़ी आबादी को आवागमन की सुविधा सुलभ तरीके से प्राप्त हो सके