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कोसी के रौद्र रूप से लोगों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़, ध्वस्त हुआ नदी पर बना चचरी पुल - जनप्रतिनिधियों

चचरी पुल के सहारे आने-जाने वाले ग्रामीण पुल टूट जाने के कारण फिर से कोसी की उफनती धारा में नाव से पार होने के लिए विवश है. गए हैं.

चचरी पुल
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Published : Jun 8, 2019, 4:34 AM IST

सहरसा: जैसे-जैसे बरसात मजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे बिहार की शोक कही जाने वाली कोसी नदी का ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. कोसी के इस रौद्र रूप से इसके तट पर रहने वाले अभी से ही चिन्तित दिख रहे हैं.

आवागमन पर संकट
एक तो कोशी के गर्भ में बसे लोगों के पास आवागमन की असुविधा पहले से ही नदारद थी. ऊपर से कोसी में लगातार बढ़ते जलस्तर ने आम जनजीवन से उनकी दूरी और भी बढ़ा दी है. जिले के सलखुआ प्रखंड के कठडूमर में छह माह पूर्व बना चचरी पुल को कोसी नदी ने लील कर दिया है. चचरी पुल टूट जाने से यहां के लोग के लिए गांव में आवागमन के लिए संकट खड़े हो गए हैं. चचरी पुल के सहारे आने-जाने वाले ग्रामीण फिर से कोसी की उफनती धारा में नाव से पार होने के लिए विवश हो गए हैं.

कोसी में बह गई चचरी पुल

लोगों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़
लोगों के आवागमन की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कठडूमर घाट पर कोसी नदी की मुख्य धारा में छह माह पूर्व में चचरी पूल बनाया गया. लेकिन नदी की बढ़ती जलप्रवाह इस पुल को अपने साथ बहा ले गई. जिसके कारण नदी के एक छोर से दुसरे छोर तक आना-जाना ठप हो गया है. कोसी तटबंध के अंदर बसे लोगों के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है.

दस लाख में बनकर तैयार हुआ था पुल
गौरतलब है कि जनसहयोग कर दस लाख की लागत से छह माह पहले ही यह पुल बनकर तैयार हुआ था. पुल बह जाने से लोगों के बीच मायूसी छा गई है. ग्रामीण बताते है कि चचरी पुल से आवागमन काफी सुलभ था. इसके अलावे समय की काफी बचत होती थी. देर रात तक कभी भी किसी आपातकालीन स्थिति में नदी पार कर लिया जाता था. जो अब संभव नहीं है. किसी आपातकाल में मरीज को ले जाना हो, ट्रेन पकड़ने के लिए जाना हो या फिर प्रखंड कार्यालय जाना आफत बन जाती है. इसके लिए घंटों नाव का इंतजार पड़ रहा है.

अभिशाप झेल रही बड़ी आबादी
इस चचरी पुल टूट जाने से कोसी तटबंध के अंदर बसी एक बड़ी आबादी मानों अभिशाप का दंश झेल रहा है. कोसी के रहनुमा बने जनप्रतिनिधियों से इस क्षेत्र की पीड़ित जनता को एक अदद पुल निर्माण की दरकार है. जिससे तटबंध के अंदर बसी एक बड़ी आबादी को आवागमन की सुविधा सुलभ तरीके से प्राप्त हो सके

सहरसा: जैसे-जैसे बरसात मजदीक आता जा रहा है वैसे-वैसे बिहार की शोक कही जाने वाली कोसी नदी का ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. कोसी के इस रौद्र रूप से इसके तट पर रहने वाले अभी से ही चिन्तित दिख रहे हैं.

आवागमन पर संकट
एक तो कोशी के गर्भ में बसे लोगों के पास आवागमन की असुविधा पहले से ही नदारद थी. ऊपर से कोसी में लगातार बढ़ते जलस्तर ने आम जनजीवन से उनकी दूरी और भी बढ़ा दी है. जिले के सलखुआ प्रखंड के कठडूमर में छह माह पूर्व बना चचरी पुल को कोसी नदी ने लील कर दिया है. चचरी पुल टूट जाने से यहां के लोग के लिए गांव में आवागमन के लिए संकट खड़े हो गए हैं. चचरी पुल के सहारे आने-जाने वाले ग्रामीण फिर से कोसी की उफनती धारा में नाव से पार होने के लिए विवश हो गए हैं.

कोसी में बह गई चचरी पुल

लोगों पर टूटा मुसीबतों का पहाड़
लोगों के आवागमन की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कठडूमर घाट पर कोसी नदी की मुख्य धारा में छह माह पूर्व में चचरी पूल बनाया गया. लेकिन नदी की बढ़ती जलप्रवाह इस पुल को अपने साथ बहा ले गई. जिसके कारण नदी के एक छोर से दुसरे छोर तक आना-जाना ठप हो गया है. कोसी तटबंध के अंदर बसे लोगों के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है.

दस लाख में बनकर तैयार हुआ था पुल
गौरतलब है कि जनसहयोग कर दस लाख की लागत से छह माह पहले ही यह पुल बनकर तैयार हुआ था. पुल बह जाने से लोगों के बीच मायूसी छा गई है. ग्रामीण बताते है कि चचरी पुल से आवागमन काफी सुलभ था. इसके अलावे समय की काफी बचत होती थी. देर रात तक कभी भी किसी आपातकालीन स्थिति में नदी पार कर लिया जाता था. जो अब संभव नहीं है. किसी आपातकाल में मरीज को ले जाना हो, ट्रेन पकड़ने के लिए जाना हो या फिर प्रखंड कार्यालय जाना आफत बन जाती है. इसके लिए घंटों नाव का इंतजार पड़ रहा है.

अभिशाप झेल रही बड़ी आबादी
इस चचरी पुल टूट जाने से कोसी तटबंध के अंदर बसी एक बड़ी आबादी मानों अभिशाप का दंश झेल रहा है. कोसी के रहनुमा बने जनप्रतिनिधियों से इस क्षेत्र की पीड़ित जनता को एक अदद पुल निर्माण की दरकार है. जिससे तटबंध के अंदर बसी एक बड़ी आबादी को आवागमन की सुविधा सुलभ तरीके से प्राप्त हो सके

Intro:सहरसा..बिहार का शोक कही जाने वाली कोशी नदी की अठखेली शुरू हो गयी है।कोशी नदी अपने रौद्र रूप में आ रही है।एक तो कोशी के गर्भ में बसे लोगो को पहले से ही आवागमन की असुविधा थी।कोशी में लगातार बढ़ते जलस्तर से आम जनजीवन से उनकी दूरी और भी बढ़ गयी है।जिले के सलखुआ प्रखंड के कठडूमर में छह माह पूर्व बना चचरी पुल कोशी नदी को भेंट चढ़ गई है।जिससे लोगों को गांव से निकलने और बाहर से वापस जाने की समस्या बन गयी है।एक बार फिर कोशी की उतावली धारा में उन्हें नाव से पार होने की विवशता बन गयी है।


Body:कठडूमर घाट पर लोगो के आवागमन की सुविधा के लिए कोशी नदी की मुख्य धारा में छह माह पूर्व बनाया गया चचरी पूल बीते दिनों नदी की तेज धारा में बह गया।जिससे लोगो को आर-पार होना ठप हो गया है।कोशी तटबंध के अंदर बसे लोगो को काफी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।ज्ञात हो कि लगभग छह माह पूर्व जनसहयोग से चचरी पुल का निर्माण करवाया था जिसपर लगभग दस लाख रूफ की लागत आयी थी।इस चचरी पुल के बह जाने से लोगो को मायूसी छा गयी है।इस बाबत ग्रामीण बताते है कि चचरी पुल के रहने से काफी सुविधा होती थी,समय के बचत के साथ ही न सिर्फ आवागमन काफी सुलभ होता था बल्कि देर रात तक कभी भी किसी आपातकालीन स्थिति में नदी पार कर लिया जाता था।वही अब नदी पार करना एक गंभीर समस्या बन चूंकि है।अब किसी भी परिस्थिति में चाहे मरीज हो या फिर ट्रेन पकड़ना हो या फिर प्रखंड कार्यालय जाना आफत बन जाती है।इसके लिये घंटों नाव का इंतजार पड़ रहा है।


Conclusion:सच मायने चचरी का पूल टूटना कोशी तटबंध के अंदर बसी एक बड़ी आबादी के लिये अभिशाप बन गयीं है।जरूरत है कोशी के रहनुमा बने जनप्रतिनिधियों को इस कोशी पीड़ित क्षेत्र में एक अदद पूल के निर्माण का ।जिससे कोशी तटबंध के अंदर बसी एक बड़ी आबादी के आवागमन सुलभ हो सके।
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