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ODF की हकीकत: शौचालय निर्माण का कार्य अधूरा, खुले में शौच जाते हैं लोग - बिहार न्यूज

रोहतास में हर घर में शौचालय निर्माण के बाद उसे खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा रहा है. लेकिन जिला मुख्यालय सासाराम प्रखंड के एक ओडीएफ पंचायत की असलियत ये है कि यहां कोई शौचालय के निर्माण का काम पूरा नहीं हुआ है.

Sasaram
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Published : Feb 10, 2019, 10:02 AM IST

सासाराम: लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत पंचायत में शौचालय निर्माण कराना है. इसके लिए सरकार की तरफ से 12,000 भी दिए जाते हैं. पंचायत में शौचालय निर्माण होने के बाद उसे खुले में शौच मुक्त घोषित किया जाता है, लेकिन सासाराम प्रखंड के इस महादलित टोला के एक भी घर में शौचालय का काम पूरा नहीं हो पाया है.

ग्रामीण

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सबसे अहम सवाल यह है कि सासाराम से सांसद छेदी पासवान दलित परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उसके बावजूद सांसद इस महादलित बस्ती की तस्वीर बदलने में पूरी तरह से नाकाम दिख रहे हैं.
इस महादिलत टोला के लोग काफी खफा है. अपने सांसद और विधायक से पूरी तरह से गुस्से में है और आरोप लगा रहे हैं कि सांसद या विधायक चुनाव जीत जाने के बाद कभी भी इस गांव में कदम नहीं रखते है. गांव की महिला बताती है कि तकरीबन 100 घरों के इस महादलित गांव में किसी भी परिवार के पास शौचालय नहीं है, लिहाजा वह खुले में शौच करने को मजबूर हैं.
ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि पूरे प्रखंड को प्रशासन ने ओडीएफ घोषित कर दिया है. उसके बावजूद आज भी इस महादलित के परिवार के लोग खुले में शौच को मजबूर हैं. वहीं, सीएम नीतीश कुमार की सात निश्चय योजना भी यहां पर सफल नहीं दिख रही है.
इसकी पड़ताल में जब ईटीवी भारत संवाददाता इस महादलित गांव में पहुंचे तो वहां की तस्वीर बिल्कुल हैरान कर देने वाली थी. रोड पर खड़ी महिला से जब यह सवाल किया गया कि क्या आपके यहां शौचालय बना है तो उस महिला का सीधे-सीधे यही जवाब था कि नहीं हमारे यहां कोई शौचालय नहीं है.

सासाराम: लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत पंचायत में शौचालय निर्माण कराना है. इसके लिए सरकार की तरफ से 12,000 भी दिए जाते हैं. पंचायत में शौचालय निर्माण होने के बाद उसे खुले में शौच मुक्त घोषित किया जाता है, लेकिन सासाराम प्रखंड के इस महादलित टोला के एक भी घर में शौचालय का काम पूरा नहीं हो पाया है.

ग्रामीण

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सबसे अहम सवाल यह है कि सासाराम से सांसद छेदी पासवान दलित परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उसके बावजूद सांसद इस महादलित बस्ती की तस्वीर बदलने में पूरी तरह से नाकाम दिख रहे हैं.
इस महादिलत टोला के लोग काफी खफा है. अपने सांसद और विधायक से पूरी तरह से गुस्से में है और आरोप लगा रहे हैं कि सांसद या विधायक चुनाव जीत जाने के बाद कभी भी इस गांव में कदम नहीं रखते है. गांव की महिला बताती है कि तकरीबन 100 घरों के इस महादलित गांव में किसी भी परिवार के पास शौचालय नहीं है, लिहाजा वह खुले में शौच करने को मजबूर हैं.
ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि पूरे प्रखंड को प्रशासन ने ओडीएफ घोषित कर दिया है. उसके बावजूद आज भी इस महादलित के परिवार के लोग खुले में शौच को मजबूर हैं. वहीं, सीएम नीतीश कुमार की सात निश्चय योजना भी यहां पर सफल नहीं दिख रही है.
इसकी पड़ताल में जब ईटीवी भारत संवाददाता इस महादलित गांव में पहुंचे तो वहां की तस्वीर बिल्कुल हैरान कर देने वाली थी. रोड पर खड़ी महिला से जब यह सवाल किया गया कि क्या आपके यहां शौचालय बना है तो उस महिला का सीधे-सीधे यही जवाब था कि नहीं हमारे यहां कोई शौचालय नहीं है.
Intro:रोहतास। पंचायत में के हर घर में शौचालय निर्माण के बाद उसे खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा रहा है। लेकिन जिला मुख्यालय सासाराम प्रखंड के एक ओडीएफ पंचायत में एक भी शौचालय के निर्माण का काम पूरा नहीं हुआ है।


Body: लोहिया स्वच्छता अभियान के तहत पंचायत में शौचालय निर्माण कराना है और इसके लिए सरकार की तरफ से ₹12000 भी दिए जाते हैं। पंचायत में शौचालय निर्माण होने के बाद उसे खुले में शौच मुक्त घोषित किया जाता है। लेकिन सासाराम प्रखंड के इस महादलित टोला के एक भी घरों में शौचालय का आज तक नहीं बन सका है। सबसे अहम सवाल यह है कि सासाराम से सांसद छेदी पासवान दलित परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उसके बावजूद सांसद इस महादलित बस्ती की तस्वीर बदलने में पूरी तरह से नाकाम दिख रहे हैं। जाहिर है महादिलत टोला के बस्ती के कई लोग खफा है अपने संसद और विधायक से पूरी तरह से गुस्से में है और आरोप लगा रहे हैं कि सांसद या विधायक चुनाव जीत जाने के बाद कभी भी इस गांव में कदम नहीं रखते है। गांव की महिला बताती है कि तकरीबन 100 घरों के इस महादलित गांव में किसी भी परिवार के पास शौचालय नहीं है। लिहाजा वह खुले में शौच करने को मजबूर हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि पूरे प्रखंड को प्रशासन ने ओडीएफ घोषित कर दिया है। उसके बावजूद आज भी इस महादलित के परिवार के लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं। जाहिर है सूबे के मुखिया नीतीश कुमार जिस तरह से सात निश्चय योजना की धुआंधार तारीफों के पुल बांधने में लगे हैं। हकीकत में वह सात निश्चय योजना वीरान होता दिख रहा है। बरहाल इसकी पड़ताल में जब हमारे ईटीवी के संवादाता इस महादलित गांव में पहुंचे तो वहां की तस्वीर बिल्कुल हैरान परेशान कर देने वाली थी। रोड पर खड़ी महिला से जब यह सवाल किया गया कि क्या आपके यहां शौचालय बना है तो उस महिला का सीधे सीधे यही जवाब था कि नहीं हमारे यहां कोई शौचालय नहीं है। हम लोग खुले में शौच करते हैं। लिहाजा इस बारे में जब हम गांव के मुखिया से सवाल किया गया तो गांव के मुखिया ने कहा कि काम हुआ है लेकिन महादलित टोला का काम होना फिलहाल बाकी है जो बहुत जल्द पूरा कर लिया जाएगा।


Conclusion:जाहिर है महादलित परिवारों को अभी भी मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजनाओं का बेसब्री से इंतजार है। ताकि उनके भी गांव की तस्वीर बदली जा सके। वहीं चुनाव करीब है ऐसे में महादलित परिवारों को इस बात की ज्यादा उम्मीद जगी है कि चुनाव आते ही सारे काम पूरे होने लगते हैं।

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