रोहतास: एक तरफ जहां आज बेटियां आसमान की बुलंदियां छू रही हैं. बेटियां कल्पना चावला, पीटी ऊषा, मैरीकॉम और पीवी सिंधु बन रही हैं. वहीं, आज भी कई बच्चे गर्भ में सुरक्षित नहीं हैं, भ्रूण हत्याएं हो रही हैं. लेकिन बिहार के डेहरी की महिला चिकित्सक के प्रयास से गर्भ में पल रही एक जान जाते-जाते बची. अब परिवार आने वाले संतान को जन्म देकर डॉक्टर बनाने की बात कह रहा है.
चौथी लड़की होने का डर सताने लगा
दरअसल झारखंड के पलामू स्थित पाटन जिला के बिशनपुर गांव के रहने वाले राजीव रंजन की शादी 2012 में आरती कुमारी से हुई थी. शादी के बाद से आरती की तीन बेटियां 5 साल की अमृता, 3 साल की जूही और डेढ़ साल की पूजा हुई. फिर जब इस बार आरती गर्भवती हुई तो उसे चौथी लड़की होने का डर सताने लगा. कहीं से जांच में पता चला कि उसे इस बार भी बच्ची ही होगी, एक तो परिवार वालों का दबाव ऊपर से गरीबी आरती को लगा कि इससे बेहतर है कि गर्भ गिरा ही दिया जाए.
डॉक्टर ने लगाई फटकार
यही सोच लेकर वो अपनी बहन के साथ डेहरी में डॉक्टर नीलम के यहां अबॉर्शन कराने पहुंची. लेकिन जैसे ही दोनों पति-पत्नी महिला चिकित्सक के चेंबर में पहुंचे. डॉक्टर तुरंत दंपति की मंशा भांप गई और दोनों पति-पत्नी को डॉक्टर ने फटकार लगाना शुरू कर दिया. वहीं, जब डॉक्टर नीलम ने प्रस्ताव दिया कि अगर तुम्हें चौथी बार भी बेटी जन्म होगी, तब बेटी को मुझे दे देना, मैं उसे पढ़ा-लिखाकर अपने जैसा डॉक्टर बनाऊंगी.
'मैं भटक गया था'
लेडी डॉक्टर के इस प्रस्ताव से गर्भपात कराने आया यह परिवार सन्न रह गया और अपना इरादा बदल दिया. जिसके बाद इस परिवार ने निर्णय लिया कि अब चौथे बच्चे के रूप में लड़की को जन्म देंगे और उसे डॉक्टर बनाएंगे. आरती के पति राजीव रंजन कहते हैं कुछ देर के लिए मैं भटक गया था. लेकिन डॉक्टर की सलाह ने एक नई जिंदगी दी है. किसी भी सूरत में आरती के गर्भ में पल रहे बच्चे को मैं स्वीकार करूंगा.
राष्ट्र निर्माण में भी बेटियों की अहम भूमिका
बहरहाल, आज बेटी आसमान की बुलंदियां छू रही हैं. महिलायें कई क्षेत्रों में पुरुषों से कहीं आगे निकल चुकी हैं. परिवार का भरण-पोषण ही नहीं राष्ट्र निर्माण में भी अपनी भूमिका का निर्वहन कर रही हैं. ऐसे में आज भी गर्भ में पल रहे बच्चे अगर सुरक्षित नहीं हैं, तो यह हमारे सभ्य समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है.