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ठंड के कारण मजदूरों को नहीं मिल पा रहा है काम, परिवार चलाना हुआ मुश्किल - रोजगार की कमी

एक मजदूर ने बताया कि वो सासाराम काम की तलाश में आते हैं और यहां घंटों खड़े रहते हैं. लेकिन, पिछले कई दिनों से पड़ रही ठंड के कारण उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. इस कारण अब उनका परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है.

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Published : Jan 11, 2020, 1:11 PM IST

रोहतास: बिहार में बढ़ती ठंड ने लोगों का जीना दुश्वार कर रखा है. इसका खासा असर मजदूर तबके के लोगों पर पड़ रहा है. ठंड के कारण मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है, जिसके कारण वो सभी दर-ब-दर भटकने को मजबूर हैं. रोजगार नहीं मिलने के कारण मजदूर अपने परिवार का पालन पोषण नहीं कर पा रहे हैं.

ठंड के कारण नहीं मिलता है काम
सासाराम के सिविल लाइन चौक पर सुबह होते ही मजदूरों का बाजार सजने लगता है. यहां मजदूर इकट्ठा होते हैं और अपनी दिहाड़ी की तलाश में घंटों खड़े रहते हैं. लेकिन इन मजदूरों को बाजार में फिलहाल ठंड के कारण काम देने वाला कोई मालिक नहीं मिल पा रहा है. इस कारण अब मजदूरों के सामने अपने परिवार का पालन पोषण एक बड़ी समस्या बनती जा रही है.

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काम की तलाश में खड़े मजदूर

काम की तलाश में पहुंचते हैं सासाराम
आमतौर पर मजदूर दिवाली के मौके पर काम की तलाश में सासाराम पहुंचते हैं. लेकिन पिछले कई दिनों से लगातार ठंड के कारण इन मजदूरों को दिहाड़ी पर काम नहीं मिल पा रहा है. जिससे मजदूर अब परेशान नजर आ रहे हैं. वहीं, कई मजदूरों का ये भी कहना है कि ठेकेदारों के कारण भी उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. अगर ठेकेदार के जरिए वो काम करने जाते हैं तो उनके पैसे में कटौती की जाती है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

क्या कहते हैं मजदूर
संझौली से काम करने आए एक मजदूर ने बताया कि वो सासाराम काम की तलाश में आते हैं और यहां घंटों खड़े रहते हैं. लेकिन, पिछले कई दिनों से पड़ रही ठंड के कारण उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. इस कारण अब उनका परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है.

सरकार नहीं दे रही है ध्यान
वहीं, एक अन्य मजदूर ने बताया कि गांव में मजदूरी का काम नहीं मिलने के कारण वो सासाराम आकर मजदूरी का काम करते हैं. लेकिन यहां भी उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. वहीं ठेकेदार कम दामों में झारखंड और बंगाल जैसे राज्यों से मजदूर लाकर काम करवाते हैं. ऐसे में अगर सरकार हम लोगों पर ध्यान नहीं देती है तो आने वाले दिनों में हम लोगों के लिए परिवार चलाना मुश्किल हो जाएगा.

रोहतास: बिहार में बढ़ती ठंड ने लोगों का जीना दुश्वार कर रखा है. इसका खासा असर मजदूर तबके के लोगों पर पड़ रहा है. ठंड के कारण मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है, जिसके कारण वो सभी दर-ब-दर भटकने को मजबूर हैं. रोजगार नहीं मिलने के कारण मजदूर अपने परिवार का पालन पोषण नहीं कर पा रहे हैं.

ठंड के कारण नहीं मिलता है काम
सासाराम के सिविल लाइन चौक पर सुबह होते ही मजदूरों का बाजार सजने लगता है. यहां मजदूर इकट्ठा होते हैं और अपनी दिहाड़ी की तलाश में घंटों खड़े रहते हैं. लेकिन इन मजदूरों को बाजार में फिलहाल ठंड के कारण काम देने वाला कोई मालिक नहीं मिल पा रहा है. इस कारण अब मजदूरों के सामने अपने परिवार का पालन पोषण एक बड़ी समस्या बनती जा रही है.

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काम की तलाश में खड़े मजदूर

काम की तलाश में पहुंचते हैं सासाराम
आमतौर पर मजदूर दिवाली के मौके पर काम की तलाश में सासाराम पहुंचते हैं. लेकिन पिछले कई दिनों से लगातार ठंड के कारण इन मजदूरों को दिहाड़ी पर काम नहीं मिल पा रहा है. जिससे मजदूर अब परेशान नजर आ रहे हैं. वहीं, कई मजदूरों का ये भी कहना है कि ठेकेदारों के कारण भी उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. अगर ठेकेदार के जरिए वो काम करने जाते हैं तो उनके पैसे में कटौती की जाती है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

क्या कहते हैं मजदूर
संझौली से काम करने आए एक मजदूर ने बताया कि वो सासाराम काम की तलाश में आते हैं और यहां घंटों खड़े रहते हैं. लेकिन, पिछले कई दिनों से पड़ रही ठंड के कारण उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. इस कारण अब उनका परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है.

सरकार नहीं दे रही है ध्यान
वहीं, एक अन्य मजदूर ने बताया कि गांव में मजदूरी का काम नहीं मिलने के कारण वो सासाराम आकर मजदूरी का काम करते हैं. लेकिन यहां भी उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है. वहीं ठेकेदार कम दामों में झारखंड और बंगाल जैसे राज्यों से मजदूर लाकर काम करवाते हैं. ऐसे में अगर सरकार हम लोगों पर ध्यान नहीं देती है तो आने वाले दिनों में हम लोगों के लिए परिवार चलाना मुश्किल हो जाएगा.

Intro:रोहतास.जिला मुख्यालय के सासाराम में इन दिनों मजदूरों के लिए ठंड मुसीबत बनकर टूट पड़ी है. गौरतलब है कि ठंड से मजदूर तबके के लोग अपनी जिंदगी गुजर-बसर करने पर भी मजबूर हो रहे हैं.


Body:सासाराम के सिविल लाइन चौक पर सुबह होते ही मजदूरों का बाजार सजने लगता है. यहां मजदूर इकट्ठा होते हैं और अपने दिहाड़ी के काम की तलाश में घंटों खड़े रहते हैं. लेकिन इस मजदूर बाजार में फिलहाल ठंड के कारण मजदूरों को खरीदारी करने वाला कोई ग्राहक नहीं मिल पा रहा है. जिससे अब मजदूरों के परिवार का पालन पोषण करना भी मुसीबत होते जा रहा है. गौरतलब है कि दिवाली पर मजदूरी करने वाले तमाम वैसे मजदूर काम की तलाश में सासाराम पहुंचते हैं। लेकिन पिछले कई दिनों से लगातार ठंड के कारण इन तमाम मजदूरों को दिहाड़ी पर काम नहीं मिल पा रहा है। जिससे मजदूर अब परेशान नजर आ रहे हैं। वहीं कई मजदूरों ने यह भी कहा कि ठेकेदारों के कारण भी उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है। अगर ठेकेदार के जरिए वह काम करने जाते हैं तो उन्हें पैसे में कटौती करके मजदूरी कराया जाता है। लेकिन इन सबके बावजूद ग्रामीण क्षेत्र में आने वाले मजदूरों को गांव के अंदर ही सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली योजना मनरेगा के तहत भी उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है। जाहिर है सरकार मनरेगा के तहत रोजगार देने की बात करती है।

V0:1 संझौली से काम करने आए मजदूर मिथिलेश कुमार ने बताया कि गांव से वह सासाराम आते है और काम की तलाश में घंटों खड़े रहते हैं। लेकिन पिछले दिनों लगता सर्दी के कारण उन्हें मजदूरी का काम नहीं मिल पा रहा है। नतीजा अब उनका परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है.

VO:2 करगहर बाजार से आए मजदूर प्रेम कुमार ने बताया कि गांव में मनरेगा के तहत उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण वह सासाराम आकर मजदूरी का काम करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। लेकिन यहां भी आने के बाद काम नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ठेकेदारों को काम देती है जिससे गरीब मजदूरों का शोषण होता है।

VO:3 कड़ाके की ठंड में मजदूरी करने आए चेनारी गांव के अमित पासवान ने बताया कि गांव में मजदूरी का काम ना मिलने के कारण वह सासाराम आकर मजदूरी का काम करते हैं। लेकिन यहां भी उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है। वहीं उन्होंने कहा ठेकेदारी के कारण भी मजदूरी का काम नहीं मिल पाता है क्योंकि ठेकेदार कम दामों में झारखंड और बंगाल जैसे राज्यों से मजदूर लाकर काम करवाते हैं जो यहां के मजदूरों पर खासा असर पड़ता है। ऐसे में अगर सरकार हम लोगों पर ध्यान नहीं देती है तो आने वाले दिनों में हम लोगों के लिए परिवार चलाना मुश्किल हो जाएगा।


Conclusion:बहरहाल दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों के लिए फिलहाल अच्छे दिन देखने को नहीं मिल रहे हैं। उन्हें अब भी इंतजार है कि गांव में ही उन्हें ग्रंटी रोजगार सरकार की तरफ से दिया जाए ताकि वह अपने परिवार का पालन-पोषण सही ढंग से एक कर सकें।
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