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लॉकडाउन के कारण किसान परेशान, जिला प्रशासन ने हार्वेस्टर चालकों को किया क्वारंटीन

गेहूं की कटाई के लिए किसानों ने दूसरे राज्यों से हार्वेस्टर चालकों को बुलाया था. इनमें से 20 से अधिक हार्वेस्टर चालकों को जिला प्रशासन ने क्वारंटीन सेंटर में बंद कर किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.

क्वारंटीन सेंटर
क्वारंटीन सेंटर
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Published : Apr 12, 2020, 11:07 AM IST

रोहतास: कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण किसानों का हाल बेहाल है . भले ही सरकार ने फसल की कटाई की अनुमति दे दी हो. बावजूद इसके किसान भूखे मरने की कगार पर हैं. जिला मुख्यालय के बिक्रमगंज में किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. खेतों में लगी गेहूं के फसल पूरी तरह से पककर तैयार हो गई है. ऐसे में किसानों ने दूसरे राज्यों से हार्वेस्टर चालकों को बुलाया था. लेकिन, जिला प्रशासन ने इनलोगों को क्वारंटीन पर रख दिया है.

गौरतलब है कि गेहूं के कटनी का महीना चल रहा है. कटनी के लिए पहले तो प्रशासनिक अनुमति लेकर हार्वेस्टर चालकों को उत्तर प्रदेश और पंजाब से बुलाया गया. लेकिन, जब हार्वेस्टर चालक रोहतास के बिक्रमगंज इलाकों में पहुंचे और गेहूं काटना शुरू किया तो बिहार सरकार ने इन तमाम हार्वेस्टर चालकों को क्वॉरेंटाइन सेंटर भेजना शुरू कर दिया है.

rohtas
किसानों ने बताई आपबीती

20 से अधिक हार्वेस्टर चालक किए गए आइसोलेट
बता दें कि बिक्रमगंज के अनुमंडल अस्पताल को क्वॉरंटीन सेंटर बनाया गया है. यहां 20 से अधिक हार्वेस्टर चालक को रखा गया है. जिसमें ज्यादातर लोग उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के रहने वाले हैं. इन लोगों को स्वास्थ्य जांच के नाम पर बुलाया गया, लेकिन 24 घंटे बीत जाने के बाद भी अभी तक इन लोगों का कोई टेस्ट नहीं हुआ है. इनका बताना है कि सेंटर पर रहने की व्यवस्था तो है लेकिन खाने-पीने की दिक्कत है. ऐसा खाना दिया जा रहा है जो खाने लायक नहीं है.

क्वारंटीन सेंटरों पर सुविधाएं नहीं
क्वारंटीन कर रखे गए लोगों का कहना है कि उन्हें क्वॉरेंटाइन के नाम पर बंधक की तरह रखा गया है. सेंटरों पर ना कोई स्वास्थ्य जांच हो रही है और ना ही खाने-पीने की व्यवस्था है. ऐसे में वे लोग और बीमार हो जाएंगे. बता दें कि सासाराम और डेहरी ऑन सोन में भी हार्वेस्टर चालकों को क्वॉरेंटीन में रखा गया है. जिससे गेहूं की कटाई प्रभावित हो गई रही है. किसानों के सामने भूखे मरने की नौबत आन पड़ी है.

रोहतास: कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण किसानों का हाल बेहाल है . भले ही सरकार ने फसल की कटाई की अनुमति दे दी हो. बावजूद इसके किसान भूखे मरने की कगार पर हैं. जिला मुख्यालय के बिक्रमगंज में किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. खेतों में लगी गेहूं के फसल पूरी तरह से पककर तैयार हो गई है. ऐसे में किसानों ने दूसरे राज्यों से हार्वेस्टर चालकों को बुलाया था. लेकिन, जिला प्रशासन ने इनलोगों को क्वारंटीन पर रख दिया है.

गौरतलब है कि गेहूं के कटनी का महीना चल रहा है. कटनी के लिए पहले तो प्रशासनिक अनुमति लेकर हार्वेस्टर चालकों को उत्तर प्रदेश और पंजाब से बुलाया गया. लेकिन, जब हार्वेस्टर चालक रोहतास के बिक्रमगंज इलाकों में पहुंचे और गेहूं काटना शुरू किया तो बिहार सरकार ने इन तमाम हार्वेस्टर चालकों को क्वॉरेंटाइन सेंटर भेजना शुरू कर दिया है.

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किसानों ने बताई आपबीती

20 से अधिक हार्वेस्टर चालक किए गए आइसोलेट
बता दें कि बिक्रमगंज के अनुमंडल अस्पताल को क्वॉरंटीन सेंटर बनाया गया है. यहां 20 से अधिक हार्वेस्टर चालक को रखा गया है. जिसमें ज्यादातर लोग उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के रहने वाले हैं. इन लोगों को स्वास्थ्य जांच के नाम पर बुलाया गया, लेकिन 24 घंटे बीत जाने के बाद भी अभी तक इन लोगों का कोई टेस्ट नहीं हुआ है. इनका बताना है कि सेंटर पर रहने की व्यवस्था तो है लेकिन खाने-पीने की दिक्कत है. ऐसा खाना दिया जा रहा है जो खाने लायक नहीं है.

क्वारंटीन सेंटरों पर सुविधाएं नहीं
क्वारंटीन कर रखे गए लोगों का कहना है कि उन्हें क्वॉरेंटाइन के नाम पर बंधक की तरह रखा गया है. सेंटरों पर ना कोई स्वास्थ्य जांच हो रही है और ना ही खाने-पीने की व्यवस्था है. ऐसे में वे लोग और बीमार हो जाएंगे. बता दें कि सासाराम और डेहरी ऑन सोन में भी हार्वेस्टर चालकों को क्वॉरेंटीन में रखा गया है. जिससे गेहूं की कटाई प्रभावित हो गई रही है. किसानों के सामने भूखे मरने की नौबत आन पड़ी है.

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