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'यहां मरीजों को तसल्ली के लिए किया जाता है ICU वार्ड में भर्ती, भगवान भरोसे होता है इलाज' - मरीज के परिजन

अपने रिश्तेदार का इलाज कराने आए अरविंद कुमार बताते हैं कि यहां सुविधाओं का धोर अभाव है. यहां मेरी पत्नी का इलाज आईसीयू वार्ड में चल रहा है. लेकिन वह वार्ड केवल नाम मात्र का आईसीयू है. वहां पर बेसिन का गंदा पानी हमेशा से फर्श पर बिखरा रहता है.

ICU वार्ड रोहतास अस्पताल
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Published : Nov 24, 2019, 3:03 PM IST

रोहतास: प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली किसी से छुपी नहीं है. ये हालत तब है जब केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे खुद प्रदेश के निवासी हैं. ताजा मामला जिला मुख्यालय सासाराम में अवस्थित सदर अस्पताल का है. जहां मरीजों का इलाज भगवान के भरोसे चल रहा है. अस्पताल में आईसीयू वार्ड तो है, लेकिन इसमें मरीजों को भर्ती सिर्फ उनकी तसल्ली के लिए किया जाता है.

एसी को चलाने की कोशीश में नर्स
एसी को चलाने की कोशीश में अस्पताल कर्मी

'सुविधाओं के नाम पर हो रही खानापूर्ती'
इस बाबत अस्पताल में अपने रिश्तेदार का इलाज कराने आए अरविंद कुमार बताते हैं कि यहां सुविधाओं का धोर अभाव है. यहां मेरी पत्नी का इलाज आईसीयू वार्ड में चल रहा है. लेकिन वह वार्ड केवल नाम मात्र का आईसीयू है. वहां पर बेसिन का गंदा पानी हमेशा से फर्श पर बिखरा रहता है. शौचालय के हालात तो और भी ज्यादा खराब है. वार्ड में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था भी नहीं है.

रोहतास
ICU वार्ड में लगा हुआ बेसिन

ये भी पढ़ें- पूर्णिया: सदर अस्पताल में लगा है गंदगी का अंबार, बीमारियां फैलने का बढ़ा खतरा

'नहीं काम कर रहा आईसीयू वार्ड'
इस मामले में जब ईटीवी भारत की टीम ने अस्पताल के सीएस डॉ. जनार्दन शर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि अस्पताल में आईसीयू वार्ड है, लेकिन वह अभी काम नहीं कर रहा है. उन्होंने बताया कि ECG अभी हो रहा है, लेकिन EG नही हो रहा है. वहीं अल्ट्रासाउंड पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अभी अस्पातल में अल्ट्रासाउंड मशीन का ऑपरेटर नही है. जिस वजह से अल्ट्रासाउंड विभाग भी काम नही कर रहा है. यहां पर कर्मियों की कमी है. हमलोग इस कमी को दूर करने के लिए प्रयासरत है. जल्द ही अल्ट्रासाउंड विभाग भी काम करने लगेगा.

पेश है एक खास रिपोर्ट

मरीजों की जान के साथ खिलवाड़
गौरतलब है कि जिला मुख्यालय में एक मात्र बड़े अस्पताल होने के वजह से वहां पर काफी संख्या में दूर-सूदूर ग्रामीण क्षेत्र के लोग अच्छे उपाचार का सपना संजोए अस्पताल में आते है. लेकिन यहां पर आते ही उनका भ्रम दूर हो जाता है. अस्पताल में आईसीयू वार्ड चालू हालात में नहीं है, ऐसे में अब यह सवाल उठता है कि मरीजों को कैसे उस वार्ड में भर्ती किया जाता है. अगर उन्हें भर्ती किया जाता है, तो उनका उपचार कौन करता है?

रोहतास: प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली किसी से छुपी नहीं है. ये हालत तब है जब केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे खुद प्रदेश के निवासी हैं. ताजा मामला जिला मुख्यालय सासाराम में अवस्थित सदर अस्पताल का है. जहां मरीजों का इलाज भगवान के भरोसे चल रहा है. अस्पताल में आईसीयू वार्ड तो है, लेकिन इसमें मरीजों को भर्ती सिर्फ उनकी तसल्ली के लिए किया जाता है.

एसी को चलाने की कोशीश में नर्स
एसी को चलाने की कोशीश में अस्पताल कर्मी

'सुविधाओं के नाम पर हो रही खानापूर्ती'
इस बाबत अस्पताल में अपने रिश्तेदार का इलाज कराने आए अरविंद कुमार बताते हैं कि यहां सुविधाओं का धोर अभाव है. यहां मेरी पत्नी का इलाज आईसीयू वार्ड में चल रहा है. लेकिन वह वार्ड केवल नाम मात्र का आईसीयू है. वहां पर बेसिन का गंदा पानी हमेशा से फर्श पर बिखरा रहता है. शौचालय के हालात तो और भी ज्यादा खराब है. वार्ड में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था भी नहीं है.

रोहतास
ICU वार्ड में लगा हुआ बेसिन

ये भी पढ़ें- पूर्णिया: सदर अस्पताल में लगा है गंदगी का अंबार, बीमारियां फैलने का बढ़ा खतरा

'नहीं काम कर रहा आईसीयू वार्ड'
इस मामले में जब ईटीवी भारत की टीम ने अस्पताल के सीएस डॉ. जनार्दन शर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि अस्पताल में आईसीयू वार्ड है, लेकिन वह अभी काम नहीं कर रहा है. उन्होंने बताया कि ECG अभी हो रहा है, लेकिन EG नही हो रहा है. वहीं अल्ट्रासाउंड पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि अभी अस्पातल में अल्ट्रासाउंड मशीन का ऑपरेटर नही है. जिस वजह से अल्ट्रासाउंड विभाग भी काम नही कर रहा है. यहां पर कर्मियों की कमी है. हमलोग इस कमी को दूर करने के लिए प्रयासरत है. जल्द ही अल्ट्रासाउंड विभाग भी काम करने लगेगा.

पेश है एक खास रिपोर्ट

मरीजों की जान के साथ खिलवाड़
गौरतलब है कि जिला मुख्यालय में एक मात्र बड़े अस्पताल होने के वजह से वहां पर काफी संख्या में दूर-सूदूर ग्रामीण क्षेत्र के लोग अच्छे उपाचार का सपना संजोए अस्पताल में आते है. लेकिन यहां पर आते ही उनका भ्रम दूर हो जाता है. अस्पताल में आईसीयू वार्ड चालू हालात में नहीं है, ऐसे में अब यह सवाल उठता है कि मरीजों को कैसे उस वार्ड में भर्ती किया जाता है. अगर उन्हें भर्ती किया जाता है, तो उनका उपचार कौन करता है?

Intro:रोहतास। जिला मुख्यालय के सदर अस्पताल इन दिनों रामभरोसे चलने को मजबूर है। सदर अस्पताल में सुविधा के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है।


Body:सुशासन बाबू लाख दावा कर ले कि बिहार में स्वास्थ्य सेवा बेहतर है। लेकिन सुशासन बाबू के सारे दावों की पोल सासाराम के सदर अस्पताल में आखिर खुल ही जाता है। गौरतलब है कि सासाराम सदर अस्पताल के कंधे पर जिले सहित खुद शहर के डेढ़ लाख आबादी का भार है। ऐसे में अस्पताल के अंदर सुविधाओं का घोर अभाव है। खुद इतने बड़े अस्पताल में अबतक आईसीयू काम नहीं करता है। लेकिन गौर करने की बात है कि अस्पताल में आईसीयू वार्ड बनाया गया है। जिसमें मरीजो को एडमिट भी किया जाता है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि खुद सदर अस्पताल सासाराम के सिविल सर्जन यह कहते हैं कि अस्पताल के आईसीयू काम नहीं करता है तो आखिर आईसीयू वार्ड में मरीजों को भर्ती कैसे लिया जाता है। जाहिर है मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करना सासाराम सदर अस्पताल के प्रशासन की अब आम बात सी हो गई है। एक तरफ जहां खुद सिविल सर्जन इस बात को कैमरे पर क़बूल करते हैं कि सदर अस्पताल का आईसीयू काम नहीं करता लेकिन दूसरी तरफ मरीजों को भर्ती किया जाता है। जाहिर है आखिर भर्ती हुए मरीजों को इलाज कौन करता है। वहीं आईसीयू में दी जाने वाली सुविधाएं और देखरेख कौन करता है। इसका जवाब ना तो सिविल सर्जन के पास था और ना ही आईसीयू में काम करने वाले कर्मियों के पास था। वही आईसीयू वार्ड में लगा एसी भी काम नहीं करता है। जबकि आईसीयू एक ऐसी जगह है जहां पर मक्खियां तक नहीं परमार सकती है। लेकिन सासाराम के सदर अस्पताल के आईसीयू में फर्श पर बेसिन का गंदा पानी बिखरा रहा होता है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन के सफाई पर भी सवालिया निशान लगना लाज़मी है। जहीर है अस्पताल प्रशासन की लापरवाही किसी से छिपी नहीं है लेकिन जब खुद सिविल सर्जन इस बात बात को मान रहे हैं कि आई सी यू चालू नहीं है तो आखिर कैसे आईसीयू वार्ड में मरीजों को भर्ती किया जा रहा है।


Conclusion:बहरहाल सासाराम सदर अस्पताल की यह कारगुजारी किसी मरीजों के साथ जानलेवा स्टंट से कम नहीं है। ऐसे में सिविल सर्जन खोज इस बात को मानते हैं कि अस्पताल में आईसीयू काम नहीं करता है।

बाइट। सिविल सर्जन
बाइट। मरीज़ के परिजन
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