पूर्णिया: भारत सरकार के एमएसएमई और स्टार्ट अप योजना (MSME and Start up Scheme Of Government of India) के तहत पूर्णिया के युवा उद्यमी मनीष और सुमित ने मूल्य संवर्धन आधारित मखाना उद्योग लगाकर (Unique Initiative Of Young Entrepreneur In Purnea) अपने उत्पाद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी है. इनके द्वारा अलग अलग फ्लेवर में बने मखाना का यूरोपियन देशों में काफी डिमांड है. हाल ही में आयोजित अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में इनके द्वारा लगाए गए मखाना स्टॉल ने खूब धूम मचाया था.
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पूर्णिया जिले के रहुआ गांव में 'फार्म टू फैक्ट्री' नाम से मखाना आधारित उद्योग लगा कर विकास की नई कहानी लिखने वाले मनीष और सुमित ने खेत से लेकर उत्पादन तक, निर्माण से लेकर बाजार तक, मखाना के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है. इनके इस प्रयास से पूर्णिया में मखाना की खेती (Makhana farming in Purnea) करने वाले 22 किसानों के समूह 50 एकड़ में खेती कर रहे हैं.
'हमारी फैक्ट्री का मखाना यूरोपीय देशों के अलावा कनाडा, यूएई, यूस समेत 5 कंट्री में भेजा जाता है. वहां इसकी खूब डिमांड है. आगे भी हमारा प्लान है कि अपने मखाने को अन्य देशों में भी लॉन्च करेंगे ताकि मखाना की डिमांड बढ़े और पूर्णिया के मखाना किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाए'- मनीष, को-फाउंडर, 'फार्म टू फैक्ट्री' कंपनी
इससे बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार मिल रहा है. मनीष और सुमित द्वारा अलग अलग फ्लेवर में बने मखाना के विभिन्न उत्पादों की मांग कनाडा, यूएसए, सिंगापुर और यूएई में है. यहां से कई फ्लेवर में एक्सपोर्ट क्वालिटी का मखाना निर्मित कर विदेशों में भेजा जाता है.
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'50 एकड़ की खेती मैं किसानों से करवा रहा हूं. इससे किसानों को आर्थिक लाभ भी हो रहा है. किसानों की आय बढ़ी है. पूर्णिया में मखाना की खेती की तरफ काफी तेजी से रुझान बढ़ा है'- सुमित, डायरेक्टर, 'फार्म टू फैक्ट्री' कंपनी
सुमित और मनीष कहते हैं कि सरकार द्वारा स्टार्टअप ने उन्हें मंजिल देने का काम किया, वरना यह सब संभव नहीं था कि इस उद्योग को इस मुकाम तक ला सकें. मनीष ने तो अपनी माटी अपना घर की सोच के तहत विदेश की नौकरी छोड़ गांव में ही समान बना कर विदेश भेजने का सपना देखा था. जो आज पूरा होता दिख रहा है.
'फार्म टू फैक्ट्री' में काम कर रहे मजदूर बताते है. कि पहले वे दूसरे प्रदेश में रोजगार की तलाश में जाते थे लेकिन अब रोजगर घर में ही मिल रहा है, वो भी सुरक्षित तरीके से. एक तरफ पूर्णिया में विकसित मखाना के नए किस्म को नई पहचान मिली है, तो वहीं भारत सरकार ने जीआई टैगिंग कर मखाना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है.
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सुमित और मनीष की मेहनत के साथ सरकार द्वारा किए गए प्रयास का ही नतीजा है कि गांव में बैठकर अपने उत्पाद को वो विदेशों तक एक्सपोर्ट करते हैं. साथ ही दूसरी ओर इस कारोबार से दूसरों को जोड़कर गांव में ही रोजगार का संसाधन भी मुहैया करा रहे हैं. सुमित और मनीष दूसरों को भी इस कारोबार से जुड़ने की सलाह दे रहे हैं.
'इस फैक्ट्री के लगने से हमें गांव में ही रोजगार मिल जा रहा है. यहां पर मखाने का अलग-अलग फ्लेवर तैयार करते हैं. यहां हम जैसे 18 लड़के काम करते हैं. पहले घर से दूर रहकर काम करने पर काफी दिक्कत होती थी. अब घर पर रहकर नौकरी मिल रही है'- सुमन कुमार, वर्कर, 'फार्म टू फैक्ट्री'
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