पूर्णिया:पूर्णिया (Purnea Crime News) के सहायक थाना क्षेत्र (Sahayak Thana) अंतर्गत सुभाष नगर (Subhash Nagar) की रहने वाली दो मासूम बच्चियों ने अपनी सूझबूझ से अपराधियों के चंगुल से खुदको मुक्त कराया. बच्चियां दुकान से सामान खरीद रही थी, तभी 4 लड़कों ने इन दोनों को जबरन ऑटो में बैठा लिया. इस दौरान दोनों मासूमों के मुंह को कपड़े से बांध दिया गया था.
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दोनों बच्ची पूर्णिया के टीकापट्टी थाना क्षेत्र के गोरिया गांव के मनोज यादव की पुत्री हैं. दोनों अपने चाचा के यहां पूर्णिया के सुभाष नगर में रह कर पढ़ाई करती हैं. बताया जा रहा है कि शिवानी अपनी बहन के साथ मोहल्ले के ही एक दुकान में सामान लेने के लिए गई थी. दुकान से वापस लौटने के दौरान चार की संख्या में अपराधियों ने इनके मुंह को बंद कर ऑटो में बैठा लिया और भागने की कोशिश कर रहे थे.
घटना की जानकारी देते हुए बच्ची शिवानी ने बताया कि वह अपनी छोटी बहन के साथ मोहल्ले के एक दुकान से सामान लेने के लिए निकली थी. सामान लेकर लौटने के दौरान ये घटना हुई.
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"हम दोनों अपने घर लौट रहे थे. 4 की संख्या में लड़के आए और दोनों का मुंह बंद कर उठाकर ऑटो में बैठा लिया. लड़के दुकान से कुछ खरीदने लगे तो हम मौका देखकर भाग गए"- शिवानी कुमारी, अपराधियों के चंगुल से बची मासूम
बच्चियों को लेकर अपराधी सुभाष नगर निगम पूर्णिया बस स्टैंड की ओर पहुंचे और स्टैंड के बगल में ऑटो लगाकर कुछ सामान खरीदने के लिए दुकान की ओर गए. तभी शिवानी अपनी बहन को ऑटो से उतरकर भाग गई. दोनों बच्चियां भागते हुए ऑटो स्टैंड के पास पहुंचीं और लोगों को इस बात की जानकारी दी. अपराधियों ने जब दोनों बच्चियों को स्थानीय लोगों के बीच में देखा, तो ऑटो लेकर फरार हो गए. दोनों बच्ची पूर्णिया के टीकापट्टी थाना क्षेत्र के गोरिया गांव निवासी मनोज यादव की बेटियां हैं.
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वहीं पड़ोसी पल्लव ठाकुर बताते हैं कि वह कोई सामान लेने के लिए बाजार गए हुए थे. जब वापस घर लौटे तो दोनों बच्चियों को घर में न देख उनकी खोजबीन शुरू की. तब तक पूर्णिया ऑटो स्टैंड में स्थानीय लोगों ने शिवानी से उसके परिजनों का मोबाइल नंबर लेकर फोन किया और पूरी घटना की जानकारी दी. उसके बाद पल्लव को परिवारवालों ने फोन किया और घटना के बारे में जानकारी दी. जिसके बाद पल्लव मौके पर पहुंचे और दोनों बच्चियों को सही सलामत अपने घर ले गए.
इन दो मासूमों ने हिम्मत और सूझबूझ का परिचय देते हुए खुद को अपराधियों के चंगुल से मुक्त कराया, नहीं तो कोई बड़ी घटना हो सकती थी. दोनों बच्चियां डरी हुई हैं, लेकिन परिवार के बीच खुद को पाकर सुरक्षित भी महसूस कर रही हैं. साथ ही यह एक चेतावनी है कि अपने बच्चों को लेकर सतर्क रहें क्योंकि किस्मत हर बार साथ दे ये जरुरी नहीं होता. फिलहाल शिवानी और उसकी बहन की बहादुरी की सभी तारीफ कर रहे हैं.
नोट: इस तरह के मामलों की शिकायत बाल सहायता केंद्र 1098 पर की जा सकती है.