पूर्णिया: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हावड़ा-मुंबई मेल से जिन 33 बच्चों को ह्यूमन ट्रैफिकिंग के शक पर बरामद किया गया था, उस मामले में अब नया मोड़ सामने आया है. दरअसल, इन 33 बच्चों में 13 बच्चे पूर्णिया जिले के थे, जो यवतमाल मदरसे में तालिम के लिए ले जाए जा रहे थे. मामले में ईटीवी भारत संवाददाता ने बच्चों के गांव में जाकर पड़ताल की. पड़ताल में पता चला कि मानव तस्करी का शक गलत है. बच्चों की फिक्र में मां की आखों से आंसू नहीं थम रहे हैं. वहीं, पूरा बच्छड़देव गांव उदास और परेशान हैं.
ग्राउंड जीरो पर जाकर जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने बच्चों के परिजनों से बात की तो उन्होंने बताया कि यहां से बच्चों को हर साल महाराष्ट्र में तालीम के लिए भेजा जाता है. पुलिस ने शक के आधार पर उनकी बरामदगी की है. परिजनों ने ईटीवी भारत के माध्यम से बच्चों को जल्द से जल्द रिहा करने की गुहार भी लगाई है.
क्या है पूरा मामला?
छत्तीसगढ़ पहुंची हावड़ा-मुंबई मेल से 33 बच्चों को मानव तस्करी के शक के आधार पर रेस्क्यू कर रेलवे पुलिस ने बरामद किया. यह कार्रवाई एक महिला एडवोकेट के शक के आधार पर की गई. इसके बाद बच्चों को वहां के स्थानीय बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया. इस मामले में जाकिर हुसैन समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. जानकारी के मुताबिक बच्चों को छत्तीसगढ़ राज्य के पद्यनाभपुर बाल दुर्ग गृह एवं खुला आश्रय में रखा गया है. इसमें 13 बच्चे पूर्णिया के हैं.
पूर्णिया के इस गांव के हैं 13 बच्चे
ईटीवी भारत इन बच्चों का पता तलाशते हुए पूर्णिया जिले में स्थित भाजपा विधायक महमूद असरफ के मशहूर बैरिया गांव पहुंचा. ग्राउंड जीरो पर जाकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब इन बच्चों के परिजनों से इस बाबत जानकारी ली, तो उन्होंने बताया कि पकड़े गए सभी बच्चे पूर्णिया के मीनापुर पंचायत के वार्ड 9 में रहने वाले बच्छड़देव गांव और कनहारिया मीनापुर के हैं.
मदरसे में दाखिले के लिए जा रहे थे बच्चे- परिजन
पुलिस की ओर से बच्चों की गिरफ्तारी के बाद बच्चों के परिजनों के चेहरों पर चिंता की लकीरें देखी जा सकती हैं. हाथ में बच्चों के टिकट, तस्वीर और आधारकार्ड लिए बच्चों के माता-पिता केवल रो रहे हैं. परिजन बताते हैं कि वह बकायदा अपने बच्चों को छोड़ने के लिए दालकोला स्टेशन गए थे. यह बच्चे शिक्षक के साथ सियालदह शालीमार के लिए निकले थे. जहां से उन्हें निर्धारित यात्रा के तहत धामनगांव जाना था. जिसके बाद इन बच्चों को महाराष्ट्र के विदर्भ स्थित यवतमाल के प्रसिद्ध घाटनजी मदरसा अहमदिया में दाखिले के लिए जाना था.
सरकार से हस्तक्षेप की मांग
बच्चों के फिक्र में परेशान परिजनों और रिश्तेदारों की मानें तो इस संबंध में यवतमाल के घाटनजी मदरसे की अथॉरिटी से उनकी बात कराई गई है. मगर रेलवे के अधिकारी कुछ मानने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में परिजनों का साफ कहना है कि यदि बच्चों को वापस उनके गांव भेजा जाता है तो मदरसे में दाखिले का समय निकल जायेगा. जिस कारण बच्चों का साल बेवजह बर्बाद हो जाएगा. ऐसे में यह लोग सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं.
पुलिस में नहीं की गई है शिकायत
इस मामले को लेकर जब बायसी प्रखंड के डीएसपी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई सूचना उन्हें नहीं मिली है. हालांकि, उन्होंने डगरुआ थाने के लोकल थाने से कंसल्ट करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि इस तरह की सूचना मिलते ही तुरन्त कार्रवाई की जाएगी. हालांकि परिजनों ने भी यह स्वीकार किया है कि वे अब तक इस मामले को लेकर पुलिस से नहीं मिले हैं.
जानें बच्चे और उनके परिजनों के नाम:
हिरासत में लिए गए बच्चों के नाम | पिता का नाम |
शादाब | शमसुल |
मो. बसीर | शब्बीर |
आशाद रजा | तज्जमुल हुसैन |
मो रहमान | मो असफाक आलम |
मो नबाज आलम | मो इसाद |
नुर्शिद | डब्लू |
हसीन रजा | तजम्मुल हुसैन |
रजक | कुर्बान |
कैसर रजा व क्वाइस रजा | मुस्ताक |
नूर नवाज | इसाक |
अरबाज | शाह नवाज |
अजहर व तौसीफ | कलीम |
इरशाद | मौसीन |