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Exclusive: 'HUMAN TRAFFICKING के शक में बरामद बच्चे पढ़ाई के लिए जा रहे थे'

छत्तीसगढ़ पहुंची हावड़ा-मुंबई मेल से 33 बच्चों को मानव तस्करी के शक के आधार पर रेस्क्यू कर रेलवे पुलिस ने बरामद किया था. जिसमें 13 बच्चे पूर्णिया के हैं. ईटीवी भारत संवाददाता उनके गांव पहुंचे और हालात का जायजा लिया.

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Published : Jun 30, 2019, 3:21 PM IST

Updated : Jun 30, 2019, 4:25 PM IST

परेशान ग्रामीण

पूर्णिया: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हावड़ा-मुंबई मेल से जिन 33 बच्चों को ह्यूमन ट्रैफिकिंग के शक पर बरामद किया गया था, उस मामले में अब नया मोड़ सामने आया है. दरअसल, इन 33 बच्चों में 13 बच्चे पूर्णिया जिले के थे, जो यवतमाल मदरसे में तालिम के लिए ले जाए जा रहे थे. मामले में ईटीवी भारत संवाददाता ने बच्चों के गांव में जाकर पड़ताल की. पड़ताल में पता चला कि मानव तस्करी का शक गलत है. बच्चों की फिक्र में मां की आखों से आंसू नहीं थम रहे हैं. वहीं, पूरा बच्छड़देव गांव उदास और परेशान हैं.

ग्राउंड जीरो पर जाकर जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने बच्चों के परिजनों से बात की तो उन्होंने बताया कि यहां से बच्चों को हर साल महाराष्ट्र में तालीम के लिए भेजा जाता है. पुलिस ने शक के आधार पर उनकी बरामदगी की है. परिजनों ने ईटीवी भारत के माध्यम से बच्चों को जल्द से जल्द रिहा करने की गुहार भी लगाई है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

क्या है पूरा मामला?
छत्तीसगढ़ पहुंची हावड़ा-मुंबई मेल से 33 बच्चों को मानव तस्करी के शक के आधार पर रेस्क्यू कर रेलवे पुलिस ने बरामद किया. यह कार्रवाई एक महिला एडवोकेट के शक के आधार पर की गई. इसके बाद बच्चों को वहां के स्थानीय बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया. इस मामले में जाकिर हुसैन समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. जानकारी के मुताबिक बच्चों को छत्तीसगढ़ राज्य के पद्यनाभपुर बाल दुर्ग गृह एवं खुला आश्रय में रखा गया है. इसमें 13 बच्चे पूर्णिया के हैं.

पूर्णिया के इस गांव के हैं 13 बच्चे
ईटीवी भारत इन बच्चों का पता तलाशते हुए पूर्णिया जिले में स्थित भाजपा विधायक महमूद असरफ के मशहूर बैरिया गांव पहुंचा. ग्राउंड जीरो पर जाकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब इन बच्चों के परिजनों से इस बाबत जानकारी ली, तो उन्होंने बताया कि पकड़े गए सभी बच्चे पूर्णिया के मीनापुर पंचायत के वार्ड 9 में रहने वाले बच्छड़देव गांव और कनहारिया मीनापुर के हैं.

purnea
रोती बिलखती मां

मदरसे में दाखिले के लिए जा रहे थे बच्चे- परिजन
पुलिस की ओर से बच्चों की गिरफ्तारी के बाद बच्चों के परिजनों के चेहरों पर चिंता की लकीरें देखी जा सकती हैं. हाथ में बच्चों के टिकट, तस्वीर और आधारकार्ड लिए बच्चों के माता-पिता केवल रो रहे हैं. परिजन बताते हैं कि वह बकायदा अपने बच्चों को छोड़ने के लिए दालकोला स्टेशन गए थे. यह बच्चे शिक्षक के साथ सियालदह शालीमार के लिए निकले थे. जहां से उन्हें निर्धारित यात्रा के तहत धामनगांव जाना था. जिसके बाद इन बच्चों को महाराष्ट्र के विदर्भ स्थित यवतमाल के प्रसिद्ध घाटनजी मदरसा अहमदिया में दाखिले के लिए जाना था.

सरकार से हस्तक्षेप की मांग
बच्चों के फिक्र में परेशान परिजनों और रिश्तेदारों की मानें तो इस संबंध में यवतमाल के घाटनजी मदरसे की अथॉरिटी से उनकी बात कराई गई है. मगर रेलवे के अधिकारी कुछ मानने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में परिजनों का साफ कहना है कि यदि बच्चों को वापस उनके गांव भेजा जाता है तो मदरसे में दाखिले का समय निकल जायेगा. जिस कारण बच्चों का साल बेवजह बर्बाद हो जाएगा. ऐसे में यह लोग सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं.

पुलिस में नहीं की गई है शिकायत
इस मामले को लेकर जब बायसी प्रखंड के डीएसपी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई सूचना उन्हें नहीं मिली है. हालांकि, उन्होंने डगरुआ थाने के लोकल थाने से कंसल्ट करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि इस तरह की सूचना मिलते ही तुरन्त कार्रवाई की जाएगी. हालांकि परिजनों ने भी यह स्वीकार किया है कि वे अब तक इस मामले को लेकर पुलिस से नहीं मिले हैं.

purnea
जानकारी देते परिजन

जानें बच्चे और उनके परिजनों के नाम:

हिरासत में लिए गए बच्चों के नाम पिता का नाम
शादाब शमसुल
मो. बसीर शब्बीर
आशाद रजा तज्जमुल हुसैन
मो रहमान मो असफाक आलम
मो नबाज आलम मो इसाद
नुर्शिद डब्लू
हसीन रजा तजम्मुल हुसैन
रजक कुर्बान
कैसर रजा व क्वाइस रजा मुस्ताक
नूर नवाज इसाक
अरबाज शाह नवाज
अजहर व तौसीफ कलीम
इरशाद मौसीन

पूर्णिया: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हावड़ा-मुंबई मेल से जिन 33 बच्चों को ह्यूमन ट्रैफिकिंग के शक पर बरामद किया गया था, उस मामले में अब नया मोड़ सामने आया है. दरअसल, इन 33 बच्चों में 13 बच्चे पूर्णिया जिले के थे, जो यवतमाल मदरसे में तालिम के लिए ले जाए जा रहे थे. मामले में ईटीवी भारत संवाददाता ने बच्चों के गांव में जाकर पड़ताल की. पड़ताल में पता चला कि मानव तस्करी का शक गलत है. बच्चों की फिक्र में मां की आखों से आंसू नहीं थम रहे हैं. वहीं, पूरा बच्छड़देव गांव उदास और परेशान हैं.

ग्राउंड जीरो पर जाकर जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने बच्चों के परिजनों से बात की तो उन्होंने बताया कि यहां से बच्चों को हर साल महाराष्ट्र में तालीम के लिए भेजा जाता है. पुलिस ने शक के आधार पर उनकी बरामदगी की है. परिजनों ने ईटीवी भारत के माध्यम से बच्चों को जल्द से जल्द रिहा करने की गुहार भी लगाई है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

क्या है पूरा मामला?
छत्तीसगढ़ पहुंची हावड़ा-मुंबई मेल से 33 बच्चों को मानव तस्करी के शक के आधार पर रेस्क्यू कर रेलवे पुलिस ने बरामद किया. यह कार्रवाई एक महिला एडवोकेट के शक के आधार पर की गई. इसके बाद बच्चों को वहां के स्थानीय बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया. इस मामले में जाकिर हुसैन समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. जानकारी के मुताबिक बच्चों को छत्तीसगढ़ राज्य के पद्यनाभपुर बाल दुर्ग गृह एवं खुला आश्रय में रखा गया है. इसमें 13 बच्चे पूर्णिया के हैं.

पूर्णिया के इस गांव के हैं 13 बच्चे
ईटीवी भारत इन बच्चों का पता तलाशते हुए पूर्णिया जिले में स्थित भाजपा विधायक महमूद असरफ के मशहूर बैरिया गांव पहुंचा. ग्राउंड जीरो पर जाकर ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब इन बच्चों के परिजनों से इस बाबत जानकारी ली, तो उन्होंने बताया कि पकड़े गए सभी बच्चे पूर्णिया के मीनापुर पंचायत के वार्ड 9 में रहने वाले बच्छड़देव गांव और कनहारिया मीनापुर के हैं.

purnea
रोती बिलखती मां

मदरसे में दाखिले के लिए जा रहे थे बच्चे- परिजन
पुलिस की ओर से बच्चों की गिरफ्तारी के बाद बच्चों के परिजनों के चेहरों पर चिंता की लकीरें देखी जा सकती हैं. हाथ में बच्चों के टिकट, तस्वीर और आधारकार्ड लिए बच्चों के माता-पिता केवल रो रहे हैं. परिजन बताते हैं कि वह बकायदा अपने बच्चों को छोड़ने के लिए दालकोला स्टेशन गए थे. यह बच्चे शिक्षक के साथ सियालदह शालीमार के लिए निकले थे. जहां से उन्हें निर्धारित यात्रा के तहत धामनगांव जाना था. जिसके बाद इन बच्चों को महाराष्ट्र के विदर्भ स्थित यवतमाल के प्रसिद्ध घाटनजी मदरसा अहमदिया में दाखिले के लिए जाना था.

सरकार से हस्तक्षेप की मांग
बच्चों के फिक्र में परेशान परिजनों और रिश्तेदारों की मानें तो इस संबंध में यवतमाल के घाटनजी मदरसे की अथॉरिटी से उनकी बात कराई गई है. मगर रेलवे के अधिकारी कुछ मानने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में परिजनों का साफ कहना है कि यदि बच्चों को वापस उनके गांव भेजा जाता है तो मदरसे में दाखिले का समय निकल जायेगा. जिस कारण बच्चों का साल बेवजह बर्बाद हो जाएगा. ऐसे में यह लोग सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं.

पुलिस में नहीं की गई है शिकायत
इस मामले को लेकर जब बायसी प्रखंड के डीएसपी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस तरह की कोई सूचना उन्हें नहीं मिली है. हालांकि, उन्होंने डगरुआ थाने के लोकल थाने से कंसल्ट करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि इस तरह की सूचना मिलते ही तुरन्त कार्रवाई की जाएगी. हालांकि परिजनों ने भी यह स्वीकार किया है कि वे अब तक इस मामले को लेकर पुलिस से नहीं मिले हैं.

purnea
जानकारी देते परिजन

जानें बच्चे और उनके परिजनों के नाम:

हिरासत में लिए गए बच्चों के नाम पिता का नाम
शादाब शमसुल
मो. बसीर शब्बीर
आशाद रजा तज्जमुल हुसैन
मो रहमान मो असफाक आलम
मो नबाज आलम मो इसाद
नुर्शिद डब्लू
हसीन रजा तजम्मुल हुसैन
रजक कुर्बान
कैसर रजा व क्वाइस रजा मुस्ताक
नूर नवाज इसाक
अरबाज शाह नवाज
अजहर व तौसीफ कलीम
इरशाद मौसीन
Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)
exclusive ground report।

छत्तीसगढ़ में कुर्ला एक्सप्रेस ट्रेन से चाइल्ड ट्रैफिकिंग के शक में आरपीएफ, जीआरपी व स्टेशन प्रबंधक की संयुक्त कार्रवाई मामले में आज एक नया मोड़ सामने आया है। दरअसल चाइल्ड ट्रैफिकिंग के शक में छत्तीसगढ़ के दुर्ग स्टेशन पर कस्टडी में रखे गए इन बच्चों के परिजनों के मुताबिक 33 में से 13 बच्चे पूर्णिया के हैं। जो यवतमाल स्थित प्रसिद्ध घाटनजी मदरसा अहमदिया में दाखिले के लिए जा रहे थे। वहीं बच्चों की फिक्र में मां आखों में आसूं तो वहीं बच्छड़देव गांव का हर एक ग्रामीण उदास परेशान हैं।




Body:जानें क्या है माझरा...

दरअसल तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में 33 बच्चों की चाइल्ड ट्रैफिकिंग से जुड़ा एक मामला प्रकाशित होता है। राजनांदगांव स्टेशन कुर्ला एक्सप्रेस ट्रेन से एक दो नहीं बल्कि 33 बच्चों को साथ ले जा रहे एक यात्री पर चाइल्ड ट्रैफिकिंग का शक रेलवे पुलिस को होता है। जिसके बाद रेस्क्यू के लिए छत्तीसगढ़ के दुर्ग
स्टेशन पर उतार लिया जाता है। वहीं इसके साथ ही यह भी खबर आती है। कि पकड़े गए बच्चों में से 6 बच्चे बिहार के पूर्णिया जिले से हैं।


जानें कौन है वह गांव जहां से हैं यह 13 बच्चे...


हालांकि ईटीवी भारत इन 6 बच्चों के पते तलाशते हुए ठीक ग्राउंड जीरो यानी इन बच्चों के गांव पहुंचा। जिन बच्चों की तादाद 6 बताई जा रही है। वह संख्या असल मे 13 बताई जा रही है। ग्रामीण के सगे-संबंधियों व इन्हें ट्रेन पर बिठाने वाले परिजनों की मानें तो ट्रेन में महज 6 ही नहीं बल्कि 13 बच्चों को बिठाया गया था। लिहाजा ईटीवी भारत इन बच्चों के पते तलाशते हुए बिहार के पूर्णिया जिले में स्थित भाजपा विधायक महमूद असरफ के लिए मशहूर बैरिया गांव पहुंचा। पकड़े गए सभी बच्चे पूर्णिया के मीनापुर पंचायत के वार्ड 9 में पड़ने वाले बच्छड़देव गांव व कनहारिया मीनापुर के हैं।



ग्राउंड जीरो से जानें क्या है मामले का दूसरा पक्ष....

चाइल्ड ट्रैफिकिंग के शक में छत्तीसगढ़ के दुर्ग स्टेशन पर आरपीएफ की कस्टडी में सुरक्षित रख लिए गए सभी 13 बच्चों के परिजनों के मुताबिक ये सभी बच्चे मदरसे में दाखिले के लिए महाराष्ट्र के विदर्भ स्थित प्रसिद्ध घाटनजी मदरसा अहमदिया के लिए मदरसे के शिक्षक मौलाना तज्जमुल हुसैन के साथ जा रहे थे। सभी बच्चों की कुर्ला एक्सप्रेस की गाड़ी संख्या 18030 की टिकट थी। जिन्हें पश्चिम बंगाल के सियालदह शालीमार से गंतव्य स्थान धामनगांव के लिए जाना था। इनकी मानें तो यह कोई नहीं बात नहीं। पूर्व से ही यहां के बच्चे मदरसे की शिक्षा के लिए यवतमाल जाते रहें हैं। यह पहली दफा है जब ऐसा हुआ।



परिजनों का दावा मदरसे में दाखिले को जा रहे थे बच्चे...


हालांकि इस घटना के बाद समूचे गांव के लोगों के चेहरे पर अपने चिरागों को लेकर शिकन साफ देखा जा सकता है। हाथों में बच्चों के टिकट के तस्वीर व हाथों में आधारकार्ड लिए मो० शहनवाज हुसैन व ऐसे ही कुछ परिजन बताते हैं की बकायदा वे अपने बच्चों को छोड़ने दालकोला स्टेशन भी गए थे। ये बच्चे मदरसे के शिक्षक के साथ सियालदह शालीमार के लिए निकले थे। यहीं से बच्चे शिक्षक के साथ कुर्ला एक्सप्रेस ट्रेन में सवार हुए थे । जहां से उन्हें निर्धारित यात्रा के तहत धामनगांव जाना था। जिसके बाद इन बच्चों को महाराष्ट्र के विदर्भ स्थित यवतमाल के प्रसिद्ध घाटनजी मदरसा अहमदिया में दाखिले के लिए जाना था।



सरकार से हस्तक्षेप की मांग...


बच्चों के फिक्र में परेशान इन बच्चों के परिजनों व रिश्तेदारों की मानें तो इन्होंने इस संबंध में यवतमाल के घाटनजी मदरसे की अथॉरिटी से बात कराई गई है। मगर रेलवे के अधिकारी कुछ मानने को तैयार नहीं। ऐसे में परिजनों का साफ कहना है कि यदि बच्चों को वापस उनके गांव भेजा जाता है तो ऐसे में मदरसे में दाखिले का समय निकल जायेगा। इस तरह 13 बच्चों का एक साल बेवजह बर्बाद हो जाएगा। ऐसे में देश का यह अल्पसंख्यक समुदाय अब सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग कर रहा है।


गौर करने लायक अल्पसंख्यकों का यह आधार ..


परिजनों का साफ कहना है पुलिस अपने हिसाब से काम करे। शंका हो तो यवतमाल स्थित मदरसे में जाकर मामले की तफ्तीश करे। अगर दाखिले से जुड़ी बातें आधारहीन निकले। तो पुलिस सभी के परिजनों पर कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्रत है। मगर बच्चों का एक साल बर्बाद होने से बचा लिया जाए।


जानें क्यों बिलख रही एक मां, क्यों रो रहा समूचा गांव..

दरअसल जिस गांव ने खुशी -खुशी अपने लाडलों को मदरसे के लिए भेजा था। जैसे ही लोगों को रेलवे अधिकारियों की ओर से इन्हें कस्टडी में लेने की सूचना मिली समूचे गांव में कौतुहल मच गया। हर कोई रेलवे के अधिकारियों से ये समझने में जुट गया कि दरअसल माझरा क्या है। वहीं अब जब बच्चों को कस्टडी में लिए एक लंबा वक्त बीत चला है। अपने बच्चों की सलामती की फिक्र में कई आंखों में आसूं हैं। ईटीवी के कैमरे के आगे अपने आसुओं को नहीं रोक सकी। लाडले रमन रजा की फिक्र में एक मां मुर्शदा बेगम फुट-फुटकर रो पड़ी।


पुलिस में नहीं की गयी है शिकायत...


वहीं ईटीवी भारत इस मामले को लेकर बायसी प्रखंड में आने वाले बायसी डीएसपी से बात की। जिसके बाद इस तरह की सूचना मिलने से उन्होंने साफ इंकार किया। हालांकि उन्होंने डगरुआ थाने के लोकल थाने से कंसल्ट करने की सलाह दी। लिहाजा थानाध्यक्ष ने भी इस तरह की कोई सूचना मिलने से इनकार किया। इन्होंने कहा कि इस तरह सूचना मिलते ही तुरन्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि परिजनों ने भी यह स्वीकार किया है। कि वे अब तक इस मामले को लेकर पुलिस से नहीं मिले। क्योंकि यह मामला रेलवे का है।


जानें बच्चे व इनके परिजन के नाम....

शादाब - पिता -शमसुल
मो बसीर- पिता-शब्बीर
आशाद रजा-पिता-तज्जमुल हुसैन
मो रहमान- पिता- मो असफाक आलम
मो नबाज आलम-पिता- मो इसाद
नुर्शिद- पिता- डब्लू
हसीन रजा -पिता तजम्मुल हुसैन।
रजक -पिता कुर्बान
कैसर रजा व क्वाइस रजा -पिता मुस्ताक
नूर नवाज-पिता इसाक
अरबाज- पिता शाह नवाज
अजहर व तौसीफ पिता कलीम
इरशाद- पिता मौसीन



Conclusion:
Last Updated : Jun 30, 2019, 4:25 PM IST
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