ETV Bharat / state

पूर्णिया में शिक्षा विभाग ने छात्रों के लिए शुरू किया 'किताब दान' अभियान - 500 किताबों का संग्रह

अभियान किताब दान का असल मकसद वंचित वर्ग के बच्चों को ज्ञानवर्धक पुस्तकें उपलब्ध कराना है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में जिला शिक्षा पदाधिकारी श्याम बाबू राम ने बताया कि इसके तहत तकरीबन 2300 विद्यालयों में पुस्तकालय खोले जाएंगे.

purnea
purnea
author img

By

Published : Feb 8, 2020, 10:47 AM IST

पूर्णियाः जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने एक अनूठी पहल की शुरुआत की है. सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के ज्ञानवर्धन के लिए 'अभियान किताब दान' चलाया जा रहा है. इसके तहत लोगों से नई या पुरानी किताबें दान देने की अपील की गई है. जिससे छात्र अब आर्थिक परेशानी की वजह से किताबें पढ़ने से वंचित नहीं रहेंगे.

2300 विद्यालयों में खोले जाएंगे पुस्तकालय
अभियान किताब दान का असल मकसद वंचित वर्ग के बच्चों को ज्ञानवर्धक पुस्तकें उपलब्ध कराना है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में जिला शिक्षा पदाधिकारी श्याम बाबू राम ने बताया कि इसके तहत तकरीबन 2300 विद्यालयों में पुस्तकालय खोले जाएंगे. यहां बच्चों के पढ़ने के लिए सिलेबस की किताबों के अलावा साहित्य, संस्कृति, तकनीक, विज्ञान, महापुरुषों की जीवनी, प्रेरणादायक पुस्तकों से जुड़ी दान की गई किताबें उपलब्ध रहेंगी.

छात्रों के लिए शुरू किया गया अभियान किताब दान

2 लाख 60 पुस्तकों का रखा गया लक्ष्य
विभाग के आंकड़ों के मुताबिक सरकारी और प्राइवेट शैक्षणिक संस्थानों को मिलाकर जिले भर में तकरीबन 2600 विद्यालय हैं. इस अनूठे अभियान के तहत हर विद्यालय प्रधान से 6 किताब दान करने की अपील की गई है. 31 मार्च तक कुल 2 लाख 60 पुस्तकों के संग्रह का लक्ष्य रखा गया है.

डीपीओ को किताब संग्रह की जिम्मेदारी
नोडल विभाग के तौर पर शिक्षा विभाग के डीपीओ को किताब संग्रह की जिम्मेदारी दी गई है. इसके लिए ब्लॉक के साथ संकुल लेवल पर भी एक कमेटी बनाई गई है. स्कूली बच्चे इन पुस्तकों को रिकॉर्ड रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराकर घर ले जा सकेंगे. जिसे एक तय तारीख पर पढ़कर लौटना होगा.

purnea
संग्रह की गई किताबें

500 किताबों का संग्रह
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि पुस्तकालय के लिए प्राइमरी स्कूलों में 5,000 मिडिल स्कूलों में 10,000 रुपए की राशि आवंटित की जाएगी. वहीं अभियान के शुरुआती सप्ताह में ही तकरीबन 500 किताबें संग्रह कर ली गई हैं. डीएम राहुल कुमार ने अभियान की शुरुआत करते हुए अपनी हस्ताक्षर की हुई 57 किताबें दान दी.

पूर्णियाः जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग ने एक अनूठी पहल की शुरुआत की है. सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के ज्ञानवर्धन के लिए 'अभियान किताब दान' चलाया जा रहा है. इसके तहत लोगों से नई या पुरानी किताबें दान देने की अपील की गई है. जिससे छात्र अब आर्थिक परेशानी की वजह से किताबें पढ़ने से वंचित नहीं रहेंगे.

2300 विद्यालयों में खोले जाएंगे पुस्तकालय
अभियान किताब दान का असल मकसद वंचित वर्ग के बच्चों को ज्ञानवर्धक पुस्तकें उपलब्ध कराना है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में जिला शिक्षा पदाधिकारी श्याम बाबू राम ने बताया कि इसके तहत तकरीबन 2300 विद्यालयों में पुस्तकालय खोले जाएंगे. यहां बच्चों के पढ़ने के लिए सिलेबस की किताबों के अलावा साहित्य, संस्कृति, तकनीक, विज्ञान, महापुरुषों की जीवनी, प्रेरणादायक पुस्तकों से जुड़ी दान की गई किताबें उपलब्ध रहेंगी.

छात्रों के लिए शुरू किया गया अभियान किताब दान

2 लाख 60 पुस्तकों का रखा गया लक्ष्य
विभाग के आंकड़ों के मुताबिक सरकारी और प्राइवेट शैक्षणिक संस्थानों को मिलाकर जिले भर में तकरीबन 2600 विद्यालय हैं. इस अनूठे अभियान के तहत हर विद्यालय प्रधान से 6 किताब दान करने की अपील की गई है. 31 मार्च तक कुल 2 लाख 60 पुस्तकों के संग्रह का लक्ष्य रखा गया है.

डीपीओ को किताब संग्रह की जिम्मेदारी
नोडल विभाग के तौर पर शिक्षा विभाग के डीपीओ को किताब संग्रह की जिम्मेदारी दी गई है. इसके लिए ब्लॉक के साथ संकुल लेवल पर भी एक कमेटी बनाई गई है. स्कूली बच्चे इन पुस्तकों को रिकॉर्ड रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराकर घर ले जा सकेंगे. जिसे एक तय तारीख पर पढ़कर लौटना होगा.

purnea
संग्रह की गई किताबें

500 किताबों का संग्रह
जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि पुस्तकालय के लिए प्राइमरी स्कूलों में 5,000 मिडिल स्कूलों में 10,000 रुपए की राशि आवंटित की जाएगी. वहीं अभियान के शुरुआती सप्ताह में ही तकरीबन 500 किताबें संग्रह कर ली गई हैं. डीएम राहुल कुमार ने अभियान की शुरुआत करते हुए अपनी हस्ताक्षर की हुई 57 किताबें दान दी.

Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)
special report।

जिला प्रशासन और शिक्षा महकमें ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के ज्ञानवर्धन के लिए 'अभियान किताब दान' नाम की एक अनूठी पहल की शुरुआत की है। जिसके तहत लोगों से नई या फिर पुरानी किताबें दान देने की अपील की गई है। इसी के साथ पूर्णिया ऐसा पहला जिला बन गया है जहां सरकारी महकमे ने इस तरह का अनूठा प्रयोग किया है। वहीं सिस्टम के इस सराहनीय पहल के बाद अब आगे न ही यहां के स्टूडेंट्स को सूबे के बाकी जिलों की तरह मनपसंदीदा पुस्तकों के पीछे कोई रुपये खर्च करने की जरूरत होगी। न ही आर्थिक परेशानी आगे कभी किताबों के आड़े आएगी।









Body:अभियान के तहत 2300 विद्यालयों में खोले जाएंगे पुस्तकालय....

दरअसल जिला प्रशासन व शिक्षा महकमे के इस अनूठी पहल का असल मकसद जिले भर के सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले वंचित वर्ग के बच्चों को ज्ञानवर्धक पुस्तकें उपलब्ध कराना है। ईटीवी भारत से खास बातचीत में जिला शिक्षा पदाधिकारी श्याम बाबू राम कहते हैं कि इसके तहत तकरीबन 2300 विद्यालयों में पुस्तकालय खोले जाएंगे। यहां बच्चों के पढ़ने के लिए सिलेबस की किताबों के अलावा साहित्य ,संस्कृति, तकनीक व विज्ञान , महापुरुषों की जीवनी ,प्रेरणादायक पुस्तकों से जुड़ी दान की गई किताबें मौजूद होंगी।


बना अभियान की शुरुआत करने वाला पहला जिला....

लिहाजा जिला प्रशासन और शिक्षा महकमें के शिक्षा पर किए गए प्रयोग के बाद पूर्णिया ऐसा पहला जिला बन गया है। जहां इस तरह के अनूठे अभियान को लांच किया गया है। शिक्षा महकमें के आंकड़ों के मुताबिक सरकारी व प्राइवेट शैक्षणिक संस्थानों को मिलाकर जिले भर में तकरीबन 2600 विद्यालय मौजूद हैं। इस अनूठे अभियान के तहत हर विद्यालय प्रधान से 6 किताब दान करने की अपील जिला प्रशासन व शिक्षा महकमे ने की है। इस हिसाब से 31 मार्च तक कुल 2 लाख 60 पुस्तकों के संग्रह का लक्ष्य रखा गया है। इनमें नए और पुराने दोनों तरह की दान की गई किताबें शामिल होंगी।


4 लाख किताबों का होगा संग्रह....


वहीं नोडल विभाग के तौर पर शिक्षा महकमे के डीपीओ के कंधे किताब संग्रह की जिम्मेदारी दी गई है। ससमय लक्ष्य को पूरा कर लिया जाए लिहाजा ब्लॉक के साथ ही पंचायत यानी संकुल लेवल पर भी एक कमेटी बनाई गई है। जो सभी से किताब दान का आग्रह कर रही है। बजापते इन आंकड़ों में आम लोगों द्वारा दान किए जाने वाले किताबों को शामिल करें तो एक अनुमान के मुताबिक इनकी संख्या 4 लाख होगी। विद्यालय की लाइब्रेरी में रखी इन किताबों का लाभ बच्चे मुफ्त में ले सकेंगे। स्कूली बच्चे इन पुस्तकों को रिकॉर्ड रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराकर घर ले जा सकेंगे। जिसे एक तय तारीख पर पढ़कर लौटना होगा।


डीएम राहुल कुमार ने की थी पहल की शुरुआत....


हालांकि जिला शिक्षा पदाधिकारी बताते हैं कि विद्यालय में पुस्तकालय खुले जाने के लिए बजटीय प्रावधान भी किया गया है। इसके तहत प्राइमरी स्कूलों में 5000 व मिडिल स्कूलों के लिए 10000 रुपए की राशि आवंटित की जाएगी। बाकायदा किताब दान की अपील से बच्चों को उसका दुगना लाभ मिल पाएगा। वहीं अभियान के शुरुआती सप्ताह में ही तकरीबन 500 किताबें संग्रह कर ली गई हैं। जिला पदाधिकारी ने अभियान की शुरुआत करते हुए 57 अपनी हस्ताक्षर की हुई 57 किताबें दान दी। वहीं जिला प्रशासन के मुताबिक यह अभियान बच्चों में किताब ना पढ़ने की खत्म होती जा रही ललक को पुनः जीवित करने में सहायक साबित होगा।


अभियान को ले स्टूडेंट्स और शिक्षकों में हर्ष का माहौल...


लिहाजा जिले के सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले स्टूडेंट हो या पढ़ाने वाले शिक्षक हर कोई जिला प्रशासन के इस अनूठी पहल का सराहना करता नहीं थक रहा। जिले के शिक्षक और स्टूडेंट्स कहते हैं कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि उनका जिला प्रदेश भर में ऐसा पहला है जहां अभियान किताब जैसी अनूठी पहल की शुरुआत की गई है। इस पहल के बाद अब वे सिलेबस से इतर दूसरी पाठ सामग्रियों का भी बखूबी लाभ ले सकेंगे। किताबें मुफ्त में पढ़ने को दी जाएगी लिहाजा खरीदने का बोझ न हमारे कंधे होगा न हमारे अभिभावकों के। साथ ही सिलेबस से बाहर की पाठ्य सामग्रियां हमारे ज्ञान को विशाल आकार देने में सहायक साबित होंगी।

1 बाईट- राम देव दास ,प्राचार्य ,भट्टा मध्य विद्यालय बांगला।
2 बाईट- संजय कुमार राय , सहायक शिक्षक ।
3 बाईट- गुनगुन कुजूर व सरोज कुमार ,स्टूडेंट्स
4 बाईट- डीईओ , श्याम बाबू राम


Conclusion:बरहाल जरूरत है इस अनूठी पहल को जिले के साथ ही प्रदेश भर के बाकी जिलों में अमल में लाने की। साथ ही जिला प्रशासन के अभियान किताबदान के मॉडल को देश के बाकी विद्यालयों में लागू किया जाए तो बेशक न सरकारी विद्यालय में पढ़ने वालों वाले बच्चों को महंगे पाठ सामग्रियों की खरीद से जुड़ी परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा और न उनके गरीब अभिभावकों को।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.