पूर्णियाः ऑटो चालक रवि आठ महीने से परेशान था. खाने की भी तंगी थी. परेशान होकर पत्नी मायके चली गई. बेटे और बेटी को भी साथ में ले गई. ऑटो भी खराब ही रहता था. ऑटो शोरूम वाले एक्सचेंज करने के लिए मोटी रकम मांग रहे थे. ऑटो जैसे-तैसे चलती तो कुछ खाने को रुपए हाथ आ जाते लेकिन लॉकडाउन लगा था. खाने के लिए रुपए लाता भी तो कैसे. रिश्तेदार भी लॉकडाउन का हवाला देकर मदद नहीं कर रहे थे. लॉकडाउन खुलने वाला था तो उसे थोड़ी खुशी थी लेकिन उल्टे अवधि बढ़ गयी. यह सुनते ही उसने ऑटो में आग लगा दी.
इसे भी पढ़ेंः तेजस्वी यादव के 'ऑपरेशन धप्पा' से टेंशन में सरकार, स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की खुल रही पोल
कबाड़ बेचकर खाने के कुछ पैसे निकल सकेंगे
रवि रोजी-रोटी पर संकट और दूसरी तरफ ऑटो एक्सचेंज नहीं करने को लेकर परेशान था. ऑटो कंपनी से बार-बार लॉकडाउन का हवाला दिया जा रहा था. ऑटो भी नहीं चला पा रही थी जिससे दाना-पानी का जुगाड़ हो सके. इन्हीं बातों से तंग आकर ऑटो चालक रवि ने यह कदम उठाया. उसने कहा कि कम से कम जले अवशेष को बेच कर कुछ राशन खरीद लूंगा. परिवार भूखा तो नहीं रहेगा.
ऑटो से ही निकाला पेट्रोल और लगा दी आग
ऑटो ड्राइवर रवि कुमार उस दिन खुश था. खुशी इसलिए थी कि अब लॉकडाउन खत्म होने वाला था. इसी खुशी में वह दोस्तों से मिलने पहुंचा. तभी किसी ने उसे एक बार फिर लॉकडाउन की अवधि 1 जून तक बढ़ने की खबर दी. जिससे नाराज होकर उसने अपनी ही ऑटो से पेट्रोल निकाला. ऑटो पर छिड़का और आग लगा दी.
यह भी पढ़ें- आज लॉकडाउन 3.0 का पहला दिन, घर से निकलने से पहले पढ़ लें ये खबर
तंगहाली से था परेशान
ऑटो में आग लगाए जाने के चंद मिनटों में ही ऑटो धु-धुकर जल उठी. ऑटो जलता देख लोग वहां पहुंचे. परेशान हाल ऑटो चालक रवि कुमार को देखते ही लोगों को सारा माजरा समझ में आ गया. देखते ही देखते काफी भीड़ उमड़ पड़ी. वहां मौजूद हर एक शख्स अपने मोबाइल से ऑटो चालक रवि और उसके ऑटो का वीडियो बनाने लगा.
ऑटो चालक ने लोगों से अपनी तंगहाली बतायी. उसने कहा, 8 महीने से ऑटो को एक्सचेंज करने को लेकर परेशान था. 15 दिन से टालमटोल किया जा रहा था. लॉकडाउन फर्स्ट से ही ऑटो चलाना बंद कर दिया था. जो बचे-खुचे रुपए थे. उससे अब तक किसी तरह घर का राशन चला रहा था. अपने घरवालों की जरूरतों को पूरा कर रहा था.
पत्नी चली गई मायके
रवि ने कहा, पत्नी अपने मायके चली गई. दाना-पानी नहीं दे पा रहा हूं. क्या कर सकता हूं. बेटा और बेटी हैं. उनका पेट कैसे भरूं. आठ महीने से कमाई नहीं हो रही है. बेटे की उम्र 13 साल है, बेटी की 11. उन्हें तो कम से कम अपने नाना-नानी के घर खाना मिल जाएगा.
"लॉकडाउन के कारण गाड़ी खड़ी थी. रिश्तेदार भी मदद को तैयार नहीं थे. ऑटो को एक्सचेंज करने लिए कंपनी ले जाते-जाते थक चुका था. एक्सचेंज करने के नाम से कहा जाता था कि अभी लॉकडाउन है. इसलिए जलाकर राख कर दिया. अब कबाड़ी के भाव से बेचेंगे तो खाना-खुराकी निकलेगा. 8 महीने से परिवार अपनी जगह और हम अपनी जगह हैं. राशन कार्ड भी नहीं है. केवल दो लीटर किरोसिन तेल मिलता है. क्या करूं? छिड़क के आग लगा लूं?"- रवि कुमार, ऑटो चालक
इसे भी पढ़ेंः लॉकडाउन में बच्चे हो रहे सबसे ज्यादा परेशान, मनोचिकित्सक से जानिए कैसे रखें मासूमों का ख्याल
एक जून तक बढ़ा दिया गया है लॉकडाउन
बता दें कि पिछले 5 मई से बिहार में लॉकडाउन लागू है. पहली बार इसे 15 मई तक प्रभावी किया गया था. दूसरी बार लॉकडाउन की मियाद को बढ़ाकर 25 मई कर दिया गया. सीएम नीतीश कुमार ने मामलों में कमी देखते हुए इसे 1 जून तक राज्य में प्रभावी कर दिया.
यह भी पढ़ें- गयाः लॉकडाउन के समय का उपयोग कर लगाए पौधे, फल्गु नदी की बंजर भूमि घा गई हरियाली