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पूर्णिया: वेतन के लिए हड़ताल पर गए एम्बुलेंस कर्मी, मरीजों की कट रही जेब - पूर्णिया

सरकारी एंबुलेंसकर्मियों के स्ट्राइक पर चल जाने से मरीजों को अस्पताल पहुंचने में काफी दिक्कतें हो रही है. जिसका फायदा उठाकर प्राइवेट एंबुलेंसकर्मी मरीजों को घर से अस्पताल तक पहुंचाने के नाम पर मनमाना किराया वसूल कर रहे है.

धरना प्रदर्शन
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Published : Aug 31, 2019, 1:37 PM IST

पूर्णिया: जिले के 80 एम्बुलेंस कर्मी सैलरी के भुगतान के लिए सीएस ऑफिस के बाहर धरना पर बैठे हैं. जिसके चलते मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. तनख्वाह नहीं मिलने के चलते एम्बुलेंस कर्मियों को घर खर्च परेशानी झेलनी पड़ रही है. इसके बावजूद एनजीओ और स्वास्थ्य विभाग दोनों को इसकी कोई परवाह नहीं है.

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धरना पर बैठे एम्बुलेंस कर्मी

प्राइवेट एम्बुलेंस कर्मी वसूल रहे मनमाना किराया
सरकारी एम्बुलेंस कर्मियों के स्ट्राइक पर चले जाने से मरीजों को अस्पताल पहुंचने में काफी दिक्कतें हो रही है. जिसका फायदा उठाकर प्राइवेट एम्बुलेंस कर्मी मरीजों को घर से अस्पताल तक पहुंचाने के नाम पर मनमाना किराया वसूल कर रहे हैं. आम दिनों में जहां यह तकरीबन 3 हजार रुपये कमाते थे. वहीं इस समय 5 हजार के आस-पास कमा रहे हैं.

5 महीने की तनख्वाह ना मिलने के चलते एम्बुलेंसकर्मी हड़ताल पर बैठे

जिला प्रशासन में किया आवेदन
एम्बुलेंस कर्मचारी संघ के प्रेसिडेंट दिलीप कुमार ने बताया कि 5 महीने से वेतन नहीं मिला है. जैसे-तैसे 2 महीने तक किसी तरह से बचे हुए जमापूंजी से उन्होंने घर खर्च चलाया, लेकिन तीसरे महीने में थक हारकर सभी एम्बुलेंस कर्मियों ने एनजीओ, जिला प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक आवेदन किया, लेकिन किसी ने एक ना सुनी.

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एम्बुलेंस सेवा ठप होने से मरीजों की परेशानी बढ़ी

वेतन नहीं मिलने से बच्चों की रुकी पढ़ाई
एम्बुलेंस कर्मी संजय कुमार ने बताया कि किसी तरह चार महीने तक उधार पर दुकानदारों ने राशन दिया, लेकिन अब उन लोगों ने भी राशन देने से इनकार कर दिया है. वहीं एम्बुलेंस कर्मी दिलीप का कहना है कि, किसी तरह से वो एक-एक पैसा बचा कर अपने बच्चों को जिले के बेस्ट स्कूल और कोचिंग में पढ़ाते थे, लेकिन तनख्वाह नहीं मिलने से वो अपने बच्चों की फीस नहीं जमा कर पाए. जिसके चलते उनके बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया और उनकी पढ़ाई रुक गई.

पूर्णिया: जिले के 80 एम्बुलेंस कर्मी सैलरी के भुगतान के लिए सीएस ऑफिस के बाहर धरना पर बैठे हैं. जिसके चलते मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. तनख्वाह नहीं मिलने के चलते एम्बुलेंस कर्मियों को घर खर्च परेशानी झेलनी पड़ रही है. इसके बावजूद एनजीओ और स्वास्थ्य विभाग दोनों को इसकी कोई परवाह नहीं है.

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धरना पर बैठे एम्बुलेंस कर्मी

प्राइवेट एम्बुलेंस कर्मी वसूल रहे मनमाना किराया
सरकारी एम्बुलेंस कर्मियों के स्ट्राइक पर चले जाने से मरीजों को अस्पताल पहुंचने में काफी दिक्कतें हो रही है. जिसका फायदा उठाकर प्राइवेट एम्बुलेंस कर्मी मरीजों को घर से अस्पताल तक पहुंचाने के नाम पर मनमाना किराया वसूल कर रहे हैं. आम दिनों में जहां यह तकरीबन 3 हजार रुपये कमाते थे. वहीं इस समय 5 हजार के आस-पास कमा रहे हैं.

5 महीने की तनख्वाह ना मिलने के चलते एम्बुलेंसकर्मी हड़ताल पर बैठे

जिला प्रशासन में किया आवेदन
एम्बुलेंस कर्मचारी संघ के प्रेसिडेंट दिलीप कुमार ने बताया कि 5 महीने से वेतन नहीं मिला है. जैसे-तैसे 2 महीने तक किसी तरह से बचे हुए जमापूंजी से उन्होंने घर खर्च चलाया, लेकिन तीसरे महीने में थक हारकर सभी एम्बुलेंस कर्मियों ने एनजीओ, जिला प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग तक आवेदन किया, लेकिन किसी ने एक ना सुनी.

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एम्बुलेंस सेवा ठप होने से मरीजों की परेशानी बढ़ी

वेतन नहीं मिलने से बच्चों की रुकी पढ़ाई
एम्बुलेंस कर्मी संजय कुमार ने बताया कि किसी तरह चार महीने तक उधार पर दुकानदारों ने राशन दिया, लेकिन अब उन लोगों ने भी राशन देने से इनकार कर दिया है. वहीं एम्बुलेंस कर्मी दिलीप का कहना है कि, किसी तरह से वो एक-एक पैसा बचा कर अपने बच्चों को जिले के बेस्ट स्कूल और कोचिंग में पढ़ाते थे, लेकिन तनख्वाह नहीं मिलने से वो अपने बच्चों की फीस नहीं जमा कर पाए. जिसके चलते उनके बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया और उनकी पढ़ाई रुक गई.

Intro:5 महीने की तनख्वाह भुगतान न किये जाने से नाराज एक साथ 80 एम्बुलेंसकर्मी के एक सप्ताह से स्ट्राइक पर हैं। लिहाजा एक साथ सभी 80 एम्बुलेंसकर्मी का हड़ताल पर जाना जहां जिले के लिए एक नई मुसीबत बनकर सामने आया है। किसी स्ट्रोम में तब्दील हो चुके इस स्ट्राइक से एक ओर मरीजों के प्राण आफत में हैं। तो वहीं तनख्वाह की लेटलतीफी कर्मियों के घरों में क्लेश व घमासान लिए सामने आई है। हैरत की बात है कि बावजूद इसके न एनजीओ को इनकी परवाह है न स्वास्थ्य महकमें के कान में जु तक नहीं रेंग रहा है।



Body:पेश है पूर्णिया से पर्दे के पीछे छिपे उन गुमनाम 102 एम्बुलेंस कर्मियों की आपबीती जो फ़ोन के एक रिंग पर एम्बुलेंस के 'हांय-हांय' करते हॉर्न के साथ पलक झपकते आपके चौखट पर एम्बुलेंस लिए आ पहुंचते हैं और बगैर किसी लेटलतीफी के हॉस्पिटल पहुंचकर अब तक हजारों लोगों की जानें बचाई है।


80 एम्बुलेंसकर्मी स्ट्राइक पर बेपटरी 102 सेवा...


5 महीने की अटकी तनख्वाह सहित कई दूसरे मांगों को लेकर एम्बुलेंसकर्मियों का हड़ताल आज सातवें दिन भी जारी रहा। हालांकि एनजीओ द्वारा संविदा पर बहाल ये एम्बुलेंसकर्मी अपने 13 सूत्री मांगों को ले सीएस ऑफिस के ठीक बाहर डटे हैं। मगर वह मूल कारण जिसे हड़ताल की सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है। वह इनकी 5 माह से अटकी पड़ी तनख्वाह है। यही वजह है कि जब लाख कोशिशों के बाद भी इनके बटुए में इनकर खून-पसीने की पैसे नहीं आए। तो सभी 80 एम्बुलेंस कर्मियों ने 102 सेवा को बेपटरी करने का मन बनाया। अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए।


एम्बुलेंसकर्मियों के स्ट्राइक से 40 लाख की आबादी त्राहिमाम..


जिले की 40 लाख की आबादी को 102 एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराने वाले सभी 80 कर्मियों के एक साथ स्ट्राइक पर चले जाने से जिले की आबादी के लिए एक बड़ी समस्या सामने आ खड़ी हुई है। अनिश्चितकालीन स्ट्राइक के बाद सरकारी एम्बुलेंस सेवा के पूरी तरह बेपटरी हो जाने से जिले की बड़ी आबादी को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ लोगों की शिकायत है कि प्राइवेट एम्बुलेंस कर्मी पेसेंट को घर की दहलीज से अस्पताल और अस्पताल से घर तक पहुंचाने के नाम पर मनमाना किराया बसूल कर रहे हैं।


102 स्ट्राइक पर ,प्राइवेट एम्बुलेंसकर्मियों की बल्ले-बल्ले...


सरकारी एम्बुलेंस सेवा के पूरी तरह ठप हो जाने से पेसेंट की मजबूरी का फायदा उठाकर डिस्टेंस के हिसाब से 3 गुनी रकम तक बसूली जा रही है। नाम न बताने के शर्त पर एक निजी एम्बुलेंस कर्मी ने बताया कि 102 एम्बुलेंस के स्ट्राइक पर चले जाने का इन्हें सीधा फायदा मिल रहा है। आम दिनों में वे जहां 10-12 रुपये किलोमीटर के हिसाब से तकरीबन 3 हजार कमा लेते हैं। इस वक़्त ये आमदनी 5 से साढ़े पांच हजार के आस-पास है। वहीं ऐसा भी नहीं यह बात स्ट्राइक पर गए एम्बुलेंसकर्मियों
के कानों तक नहीं पहुंच रही। अपनी आंखों के सामने अपने पेशे को कालजयी होते देखना इन एम्बुलेंसकर्मियों की मजबूरी है।


एक-एक पैसे को मोहताज 102 एम्बुलेंस कर्मी....


102 एम्बुलेंस कर्मचारी संघ के प्रेसिडेंट दिलीप कुमार बताते हैं कि ऐसा नहीं कि वेतन भुगतान की लेटलतीफी के भुक्तभोगी वे अकेले हैं। उनकी तरह ही 79 और भी हैं। ये बताते हैं कि दो माह तक तो वे किसी तरह काम चलाते रहे। महज 8 हजार की तनख्वाह पर बहाल सभी 80 कर्मी किसी तरह दो माह तक बचे रुपयों से घर चलाते रहें। मगर वक़्त बीतने के साथ थोड़ी-बहुत जमापूंजी भी खर्च हो गई। तो तीसरे माह थक हारकर इन्होंने एनजीओ से लेकर जिला प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य महकमे तक को आवेदन दिया। आपबीती बताई हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।


राशन दुकानदारों ने बंद किया एम्बुलेंसकर्मी के घरों का हुक्का-पानी....


हालांकि जब लाख उपायों के बाद भी किसी ने इनकी एक नहीं सुनी। चौथे माह के आखिरी सप्ताह में सभी 102 एम्बुलेंस सीएस कैंपस के ठीक बाहर खड़े कर एम्बुलेंस कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। एम्बुलेंसकर्मी संजय कुमार बताते हैं कि आज आलम यह है। कि किसी तरह चार माह तक मुहल्ले के दुकानदारों ने राशन दिया। मगर अब राशन दुकानदारों ने इनके आश्वसनों के आगे हाथ जोड़ दिया है। यही वजह है कि कई एम्बुलेंस कर्मियों ने अपने बीबी-बच्चों को खुद से दूर मायके भेज दिया है।


स्कूलों से बेदखल हुए कर्मियों के बच्चे ,ट्यूशन भी छूटा...


वहीं दिलीप जैसे ही कुछ एम्बुलेंस कर्मी बताते हैं, कि किसी तरह वे अपने बच्चों को जिले के सीबीएसई पैटर्न पर बेस्ड स्कूलों में पढ़ा रहे थे। बच्चों को पढ़ाई में कोई रुकावट न आये सो कुछ के घर पर ट्यूशन तो कुछ निजी ट्यूशन में पढ़ने जाया करते थे। दो महीने तक तो स्कूल से लेकर ट्यूशन तक किसी तरह बच्चों व एम्बुलेंसकर्मियों की दलील सुनते रहे। मगर तीसरे महीने बच्चों को स्कूल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। तो वहीं ट्यूशन की ओर से पैसे साथ लाने पर एम्बुलेंस कर्मियों के बच्चे को ट्यूशन आने की हिदायत दी गयी। फिलहाल पढ़ाई रोके 3 महीने होने को है। अब तक न एम्बुलेंस कर्मियों को उनकी तनख्वाह मिली। न बच्चे ही स्कूल या ट्यूशन जा सके।








Conclusion:बहरहाल 5 माह के काम के बदले एम्बुलेंसकर्मियों को उनके पारिश्रमिक से दूर रखना संविधान में निहित मौलिक अधिकारों की सीधी अवहेलना है। भारतीय संविधान के भाग 3 में निहित मौलिक अधिकारों में से एक शोषण के विरुद्ध अधिकारों
का कुचला जाना न स्वस्थ्य समाज के लिए कतई शुभ संकेत है और न स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए।
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