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दिखने लगा महागठबंधन में हार का असर, आरजेडी और कांग्रेस के बीच बढ़ी तकरार - patna

कांग्रेस ने सीट बंटवारे पर सवाल खड़ा किया है. विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को अपने पैरों पर खड़ा होने की तैयारी शुरू करने की बात कही जा रही है.

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Published : Jun 14, 2019, 8:13 PM IST

पटना: लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की बुरी तरह पराजय के बाद अब उसका असर भी दिखने लगा है. महागठबंधन दल के बीच तकरार बढ़ रहा है. हम के जीतन राम मांझी का तेजस्वी को लेकर जिस ढ़ंग से बयान आ रहा है. उसके बाद कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने भी कहा है कि कांग्रेस को अब अपने पैरों पर खड़ा हो जाना चाहिए. महागठबंधन में शामिल नेताओं के ये बयान आने वाले समय में आरजेडी के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाली हैं.

महागठबंधन में आरोप-प्रत्यारोप
लोकसभा चुनाव में आरजेडी का पूरी तरह सफाया हो गया. कांग्रेस के एक मात्र सांसद किशनगंज से जीत पाए. महागठबंधन के अन्य दलों का खाता भी नहीं खुला. ऐसे में महागठबंधन में एक- दूसरे के खिलाफ बयानबाजी शुरू हो गई है. एक तरफ तेजस्वी यादव को नेता मानने से इंकार किया जा रहा है. दूसरी तरफ अब कांग्रेस ने सीट बंटवारे पर सवाल खड़ा किया है. तो वहीं कांग्रेस नेता विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को अपने पैरों पर खड़ा होने की बात कह रहे हैं.
भाई वीरेंद्र ने दिया जवाब
इसका जवाब आरजेडी नेता भाई वीरेंद्र ने दिया है. भाई वीरेंद्र ने कहा कि सदानंद सिंह के आजकल दूसरे दलों के नेताओं से भी रिश्ते बढ़ रहे हैं. आरजेडी कोई छोटी-मोटी पार्टी नहीं है. आरजेडी के 80 विधायक हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को तय करना है कि राजद के साथ आगे चलना है या नहीं. वहीं जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि हालात बिगड़ रहे हैं. हम पहले से कह रहे थे कि चुनाव बाद महागठबंधन बिखर जाएगा. तेजस्वी ने चुनाव में हालात ऐसे कर दिए हैं कि अब महागठबंधन की एकता संभव ही नहीं है.

पटना से खास रिपोर्ट

कांग्रेस ने विधानमंडल दल की बुलाई बैठक
अगले साल 2020 में विधानसभा का चुनाव होना है. लेकिन कांग्रेस की ओर से तैयारी अभी से शुरू हो गई है. कांग्रेस के कई नेता चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव पार्टी अकेले दम पर लड़े. सदानंद सिंह ने विधानमंडल दल की बैठक भी बुलाई है. 15 जून को होने वाली बैठक में हार के साथ आगे की रणनीति पर भी चर्चा होगी. ऐसे में साफ लग रहा है कि आने वाला समय आरजेडी के लिए मुश्किलों भरा होगा. क्योंकि अन्य सहयोगियों का भी समर्थन आरजेडी को उस तरह से नहीं मिल रहा है.

तेजस्वी के नेतृत्व पर उठ रहे सवाल
आरजेडी के अंदर भी कई तरह की परेशानियां हैं. चुनाव के बाद तेजस्वी यादव लगातार बिहार से बाहर हैं. तेजस्वी के नेतृत्व को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में महागठबंधन आगे बना रह पाता है कि नहीं यह तो देखने वाली बात होगी. लेकिन आरजेडी को एकजुट रखना भी एक बड़ी चुनौती होगी. फिलहाल महागठबंधन में कितनी एकता है, इसका अंदाजा मॉनसून सत्र के दौरान लग जाएगा.

पटना: लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की बुरी तरह पराजय के बाद अब उसका असर भी दिखने लगा है. महागठबंधन दल के बीच तकरार बढ़ रहा है. हम के जीतन राम मांझी का तेजस्वी को लेकर जिस ढ़ंग से बयान आ रहा है. उसके बाद कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने भी कहा है कि कांग्रेस को अब अपने पैरों पर खड़ा हो जाना चाहिए. महागठबंधन में शामिल नेताओं के ये बयान आने वाले समय में आरजेडी के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाली हैं.

महागठबंधन में आरोप-प्रत्यारोप
लोकसभा चुनाव में आरजेडी का पूरी तरह सफाया हो गया. कांग्रेस के एक मात्र सांसद किशनगंज से जीत पाए. महागठबंधन के अन्य दलों का खाता भी नहीं खुला. ऐसे में महागठबंधन में एक- दूसरे के खिलाफ बयानबाजी शुरू हो गई है. एक तरफ तेजस्वी यादव को नेता मानने से इंकार किया जा रहा है. दूसरी तरफ अब कांग्रेस ने सीट बंटवारे पर सवाल खड़ा किया है. तो वहीं कांग्रेस नेता विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को अपने पैरों पर खड़ा होने की बात कह रहे हैं.
भाई वीरेंद्र ने दिया जवाब
इसका जवाब आरजेडी नेता भाई वीरेंद्र ने दिया है. भाई वीरेंद्र ने कहा कि सदानंद सिंह के आजकल दूसरे दलों के नेताओं से भी रिश्ते बढ़ रहे हैं. आरजेडी कोई छोटी-मोटी पार्टी नहीं है. आरजेडी के 80 विधायक हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को तय करना है कि राजद के साथ आगे चलना है या नहीं. वहीं जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि हालात बिगड़ रहे हैं. हम पहले से कह रहे थे कि चुनाव बाद महागठबंधन बिखर जाएगा. तेजस्वी ने चुनाव में हालात ऐसे कर दिए हैं कि अब महागठबंधन की एकता संभव ही नहीं है.

पटना से खास रिपोर्ट

कांग्रेस ने विधानमंडल दल की बुलाई बैठक
अगले साल 2020 में विधानसभा का चुनाव होना है. लेकिन कांग्रेस की ओर से तैयारी अभी से शुरू हो गई है. कांग्रेस के कई नेता चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव पार्टी अकेले दम पर लड़े. सदानंद सिंह ने विधानमंडल दल की बैठक भी बुलाई है. 15 जून को होने वाली बैठक में हार के साथ आगे की रणनीति पर भी चर्चा होगी. ऐसे में साफ लग रहा है कि आने वाला समय आरजेडी के लिए मुश्किलों भरा होगा. क्योंकि अन्य सहयोगियों का भी समर्थन आरजेडी को उस तरह से नहीं मिल रहा है.

तेजस्वी के नेतृत्व पर उठ रहे सवाल
आरजेडी के अंदर भी कई तरह की परेशानियां हैं. चुनाव के बाद तेजस्वी यादव लगातार बिहार से बाहर हैं. तेजस्वी के नेतृत्व को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में महागठबंधन आगे बना रह पाता है कि नहीं यह तो देखने वाली बात होगी. लेकिन आरजेडी को एकजुट रखना भी एक बड़ी चुनौती होगी. फिलहाल महागठबंधन में कितनी एकता है, इसका अंदाजा मॉनसून सत्र के दौरान लग जाएगा.

Intro:पटना-- लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की बुरी तरह पराजय के बाद अब उसका असर भी दिखने लगा है । महागठबंधन दल के बीच तकरार भी बढ़ रहा है। हम के जीतन राम मांझी का तेजस्वी को लेकर जिस ढंग से बयान आ रहा है और उसके बाद कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने भी कहा है कि कांग्रेस को अब अपने पैरों पर खड़ा हो जाना चाहिए । ये बयान आने वाले समय में आरजेडी के लिए मुश्किलें बढाने वाली है।
पेश है रिपोर्ट--


Body:लोकसभा चुनाव में आरजेडी का पूरी तरह सफाया हो गया कॉन्ग्रेस के एक सांसद किशनगंज से जीत पाए लेकिन महागठबंधन के अन्य दलों का खाता भी नहीं खुला । ऐसे में महागठबंधन में एक दूसरे के खिलाफ बयान बाजी शुरू हो गई है एक तरफ तेजस्वी यादव को नेता मानने से इनकार किया जा रहा है तो वही अब कांग्रेस ने सीट बंटवारे पर सवाल खड़ा किया है और विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को अपने पैरों पर खड़ा होने की तैयारी शुरू करने की बात कही है इसका जवाब भी आरजेडी नेता भाई वीरेंद्र ने दिया है भाई वीरेंद्र ने कहा कि सदानंद सिंह के आजकल दूसरे दलों के नेताओं से भी रिस्ते बढ़ रहे हैं और आरजेडी कोई छोटी मोटी पार्टी नहीं है 80 विधायक हैं कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व को तय करना है कि राजद के साथ आगे चलना है या नहीं तो वहीं जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा की हालात बिगड़ रहे हैं हम लोग तो पहले से कह रहे थे कि चुनाव बाद महागठबंधन बिखर जाएगा और तेजस्वी ने चुनाव में हालात ऐसे कर दिए हैं कि अब महागठबंधन की एकता संभव ही नहीं है। बाइट्स- सदानंद सिंह विधानमंडल दल नेता कांग्रेस
भाई बिरेंद्र आरजेडी मुख्य प्रवक्ता
राजीव रंजन प्रवक्ता जदयू


Conclusion:विधानसभा का चुनाव अगले साल 2020 में होना है लेकिन कांग्रेस की ओर से कसरत अभी से शुरू हो गई है कांग्रेस के कई नेता चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव पार्टी अकेले दम पर लड़े। सदानंद सिंह ने विधानमंडल दल की बैठक भी बुलाई है 15 जून को होने वाली बैठक में हार के साथ आगे की रणनीति पर भी चर्चा होगी। ऐसे में साफ लग रहा है कि आने वाला समय आरजेडी के लिए मुश्किलों भरा है क्योंकि अन्य सहयोगियों का भी समर्थन आरजेडी को उस तरह से नहीं मिल रहा है । इसके साथ आरजेडी के अंदर भी कई तरह की परेशानियां हैं चुनाव के बाद तेजस्वी यादव लगातार बिहार से बाहर हैं और उनके नेतृत्व को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं ऐसे में महागठबंधन आगे बना रह पाता है कि नहीं यह तो देखने वाली बात होगी लेकिन आरजेडी को एकजुट रखना भी एक बड़ी चुनौती होगी। फिलहाल महागठबंधन की एकता का इतिहास टेस्ट मानसून सत्र के दौरान ही हो जाएगा।
अविनाश, पटना।
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