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जानिए नवरात्रि के अंतिम दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने के फायदे - लोहानीपुर में पूजा

आज नवरात्रि के अंतिम मंदिरों में पटना स्थित लोहानीपुर दुर्गा मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिल रही है. आज के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना के साथ ही नौ कन्याओं का पूजन कर भोजन कराने की मान्यता है.

लोहानीपुर दुर्गा मंदिर
लोहानीपुर दुर्गा मंदिर
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Published : Oct 14, 2021, 5:34 PM IST

पटनाः शारदीय नवरात्रि (Navratri) का आज (गुरुवार) अंतिम दिन है. भक्तजन पूरे श्रद्धा भाव से मां भगवती की पूजा अर्चना कर रहे हैं. वहीं पटना स्थित लोहानीपुर दुर्गा मंदिर में माता के पूजा-अर्चना के बाद हवन और उसके बाद नौ कन्याओं को मां दुर्गा के नव रूप मानकर के भोजन कराया गया. वहीं एक बालक को भी भैरव बाबा के रूप में भोजन कराया गया.

इन्हें भी पढ़ें- नवमी के दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की होती है पूजा, जानें इसका महत्व

ज्ञात हो कि मान्यता है कि नवरात्र में कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने से मां भवानी काफी प्रसन्न होती हैं और भक्तों का मनोरथ पूर्ण होता है. इसी प्रथा के तहत आज के दिन भक्त मंदिरों और घरों में हवन के बाद कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने में जुटे हुए हैं. वहीं लोहानीपुर में पूजा कर रही भक्त ने बताया कि मां की पूजा से शक्ति मिलती है.

देखें वीडियो...

उन्होंने आगे बताया कि मंदिर में पूजा अर्चना के बाद आज कुंवारी कन्याओं का पहले पैर धोया गया. इसके बाद पैर को रंगा गया. कुमकुम और चंदन लगाकर कन्याओं को चुनरी ओढ़ाकर शृंगार किया गया. यानी पूरे विधि-विधान के साथ कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया गया. इस दौरान कन्याओं को दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त किया. वहीं नवरात्र के अंतिम दिन श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. पूजा पंडालों में लोग माता की पूजा-अर्चना कर शृंगार का सामान और भोग भी समर्पित कर रहे हैं.

इन्हें भी पढ़ें- शारदीय नवरात्र: पटना के नौलखा मंदिर में बाबा नागेश्वर ने अपनी छाती पर स्थापित किया 21 कलश

सिद्धिदात्री सर्व सिद्धियां देती हैं
मां सिद्धिदात्री सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं. मां की कृपा से उनके उपासक या भक्त के कठिन से कठिन कार्य भी चुटकी में संभव हो जाते हैं. नवरात्रि में मां भगवती के सभी 9 रूपों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है. मान्यता है कि इन नौ दिनों में माता की पूजा अर्चना करने से सुख, शांति, यश, वैभव और मान-सम्मान हासिल होता है.

ऐसे करें पूजा
माता के नौवें रूप सिद्धिदात्री की भी पूजा मां के अन्य रूपों की तरह ही की जाती है, लेकिन इनकी पूजा में नवाह्न प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ किस्म के फूल और नौ प्रकार के फल अर्पित करने चाहिए. पूजा में सबसे पहले कलश और उसमें मौजूद देवी देवताओं की पूजा करें. इसके बाद माता के मंत्र का जाप करें.

मां सिद्धिदात्री का मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

कन्या पूजन का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार नवरात्रों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. मां भगवती के भक्त अष्टमी या नवमी को कन्याओं की विशेष पूजा करते हैं. 9 कुंवारी कन्याओं को सम्मानित ढंग से बुलाकर उनके पैर धोकर आसन पर बैठा कर भोजन कराकर सबको दक्षिणा और भेंट दी जाती है.

कन्या पूजन के नियम
श्रीमद् देवीभागवत के मुताबिक कन्या पूजन के कुछ नियम भी हैं. इनमें एक साल की कन्या को नहीं बुलाना चाहिए, क्योंकि वह कन्या गंध भोग आदि पदार्थों के स्वाद से बिल्कुल अनजान रहती है. ‘कुमारी’ कन्या वह कहलाती है जो दो वर्ष की हो चुकी हो, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छ वर्ष की कालिका, सात वर्ष की चण्डिका,आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं.

पटनाः शारदीय नवरात्रि (Navratri) का आज (गुरुवार) अंतिम दिन है. भक्तजन पूरे श्रद्धा भाव से मां भगवती की पूजा अर्चना कर रहे हैं. वहीं पटना स्थित लोहानीपुर दुर्गा मंदिर में माता के पूजा-अर्चना के बाद हवन और उसके बाद नौ कन्याओं को मां दुर्गा के नव रूप मानकर के भोजन कराया गया. वहीं एक बालक को भी भैरव बाबा के रूप में भोजन कराया गया.

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ज्ञात हो कि मान्यता है कि नवरात्र में कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने से मां भवानी काफी प्रसन्न होती हैं और भक्तों का मनोरथ पूर्ण होता है. इसी प्रथा के तहत आज के दिन भक्त मंदिरों और घरों में हवन के बाद कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने में जुटे हुए हैं. वहीं लोहानीपुर में पूजा कर रही भक्त ने बताया कि मां की पूजा से शक्ति मिलती है.

देखें वीडियो...

उन्होंने आगे बताया कि मंदिर में पूजा अर्चना के बाद आज कुंवारी कन्याओं का पहले पैर धोया गया. इसके बाद पैर को रंगा गया. कुमकुम और चंदन लगाकर कन्याओं को चुनरी ओढ़ाकर शृंगार किया गया. यानी पूरे विधि-विधान के साथ कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया गया. इस दौरान कन्याओं को दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त किया. वहीं नवरात्र के अंतिम दिन श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. पूजा पंडालों में लोग माता की पूजा-अर्चना कर शृंगार का सामान और भोग भी समर्पित कर रहे हैं.

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सिद्धिदात्री सर्व सिद्धियां देती हैं
मां सिद्धिदात्री सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं. मां की कृपा से उनके उपासक या भक्त के कठिन से कठिन कार्य भी चुटकी में संभव हो जाते हैं. नवरात्रि में मां भगवती के सभी 9 रूपों की पूजा अलग-अलग दिन की जाती है. मान्यता है कि इन नौ दिनों में माता की पूजा अर्चना करने से सुख, शांति, यश, वैभव और मान-सम्मान हासिल होता है.

ऐसे करें पूजा
माता के नौवें रूप सिद्धिदात्री की भी पूजा मां के अन्य रूपों की तरह ही की जाती है, लेकिन इनकी पूजा में नवाह्न प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ किस्म के फूल और नौ प्रकार के फल अर्पित करने चाहिए. पूजा में सबसे पहले कलश और उसमें मौजूद देवी देवताओं की पूजा करें. इसके बाद माता के मंत्र का जाप करें.

मां सिद्धिदात्री का मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

कन्या पूजन का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार नवरात्रों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. मां भगवती के भक्त अष्टमी या नवमी को कन्याओं की विशेष पूजा करते हैं. 9 कुंवारी कन्याओं को सम्मानित ढंग से बुलाकर उनके पैर धोकर आसन पर बैठा कर भोजन कराकर सबको दक्षिणा और भेंट दी जाती है.

कन्या पूजन के नियम
श्रीमद् देवीभागवत के मुताबिक कन्या पूजन के कुछ नियम भी हैं. इनमें एक साल की कन्या को नहीं बुलाना चाहिए, क्योंकि वह कन्या गंध भोग आदि पदार्थों के स्वाद से बिल्कुल अनजान रहती है. ‘कुमारी’ कन्या वह कहलाती है जो दो वर्ष की हो चुकी हो, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पांच वर्ष की रोहिणी, छ वर्ष की कालिका, सात वर्ष की चण्डिका,आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं.

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