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जलजमाव से एक बार फिर डूबी राजधानी, बारिश ने स्वच्छता अभियान की खोली पोल

पटना के दानापुर में जलजमाव (Water Logging) की स्थिति बनी हुई हैं. जिसे लोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है. नगर परिषद और छावनी परिषद के नाला उड़ाही में हर साल करोड़ों रुपये खर्च होता है. लेकिन कुछ ही देर की वर्षा में इलाके की स्थिति बद से बदतर हो जाती है.

जलजमाव
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Published : Jul 29, 2021, 8:31 AM IST

Updated : Jul 29, 2021, 2:08 PM IST

पटना: बिहार की राजधानी पटना (Patna) में 2019 में हुए जलजमाव (Water Logging) को भला कौन पटनावासी भूल सकता है. राजधानी में तीन दिनों की बारिश (Heavy Rain) के कारण हुए जलजमाव में लोग फंसे थे. सरकार और सरकारी तैयारियों की तब खूब किरकिरी हुई थी. इस वर्ष भी पटना में बारिश के कारण हुए जलजमाव से सड़क झील में तब्दील हो गई है.

इसे भी पढ़ें: विधानमंडल कैंपस में जलजमाव: 'विधायकों को पिटवाने से ही सरकार को फुर्सत नहीं कि इस ओर ध्यान दे'

दानापुर के परिषद वार्ड -23 और छावनी परिषद वार्ड -3 के इमलितल मोहल्ले के लोग जलजमाव की समस्या से परेशान हो गए हैं. झमाझम बारिश के बाद दानापुर के हर गली-मोहल्लों में जलजमाव देखने को मिल रहा है. कई लोगों के घरों में नाले का पानी घुस चुका है जो बारिश स्वच्छता अभियान (Cleanliness Campaign) की पोल खोलने के लिए काफी है.

देखें रिपोर्ट.

बारिश के कारण हुए जलजमाव के बाद हालात ये हो गए हैं कि लोगों को घुटने भर पानी में होकर आना-जाना पड़ रहा है. स्थानीय लोग दानापुर नगर परिषद और छावनी परिषद पर उदासीनता का आरोप लगते हुए जलजमाव के लिए नाला का ठीक ढंग से उड़ाही का न होना बता रहे हैं.

ये भी पढ़ें: 2 घंटे की बारिश में लबालब हुआ गर्दनीबाग अस्पताल, स्वास्थ्य कर्मियों की बढ़ी परेशानी

'नगर परिषद दानापुर और छावनी परिषद का यह बॉर्डर है. यहां जलजमाव होने के कारण हमलोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. नाले का उड़ाही न होने के कारण लोगों के घरों में पानी घुस चुका है. जिससे जनता त्राही-त्राही है. जलजमाव की समस्या को लेकर सरकार बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है.' -राकेश कुमार, स्थानीय

बता दें कि राजधानी पटना में मॉनसून आने पर जलजमाव नहीं होगा, सरकार की तरफ से यह दावा किया गया था. नगर विकास मंत्री सह उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tarkishore Prasad) ने मॉनसून आने से पहले कहा था कि निगम के कार्यों से वह संतुष्ट हैं. शहर में जलजमाव नहीं होगा. लेकिन एक बार फिर बारिश ने पोल खोलकर रख दी है.

शहर तो छोड़ दीजिए बिहार विधानमंडल (Bihar Legislature) कैंपस के अंदर भी जलजमाव हो गया था. जिसे लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. विपक्षी दलों का साफ तौर पर कहना है कि सरकार बहुत कुछ कहती है, लेकिन उनसे होता कुछ नहीं है, क्योंकि ये सरकार अधिकारियों के भरोसे ही चल रही है.

बता दें कि पटना में नलों की संख्या कुल 535 हैं. जिनमें 9 बड़े नाले, 14 मीडियम नाले हैं और 172 छोटे वाले हैं. साथ ही इन नालों का पानी शहर से बाहर निकाला जाए. इसके लिए सरकार की तरफ से 42 संप हाउस लगाए गए हैं. ताकि अधिक बारिश होने और नालों का पानी संप हाउस के माध्यम से निकाला जा सकें. पटना शहर में कुल 46,837 मेनहोल है और 36,241 कैचपिट है.

ईटीवी भारत GFX
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पटना नगर निगम क्षेत्र में अवस्थित सभी सर्विस नालों की कुल लंबाई 17,03,568 लाख फिट है. हालांकि हजारों, मैनहोल आज भी खुले पड़े हैं जो दुर्घटना को निमंत्रण दे रहे हैं. बता दें कि निगम प्रशासन ने इस बार नाले की सफाई पर कुल 8 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. निगम प्रशासन की मानें तो सरकार से मात्र अभी तक तीन करोड़ रुपये मिल पाए हैं. इतना रुपये लगने के बावजूद भी पटनावासियों को ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है.

पटना: बिहार की राजधानी पटना (Patna) में 2019 में हुए जलजमाव (Water Logging) को भला कौन पटनावासी भूल सकता है. राजधानी में तीन दिनों की बारिश (Heavy Rain) के कारण हुए जलजमाव में लोग फंसे थे. सरकार और सरकारी तैयारियों की तब खूब किरकिरी हुई थी. इस वर्ष भी पटना में बारिश के कारण हुए जलजमाव से सड़क झील में तब्दील हो गई है.

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दानापुर के परिषद वार्ड -23 और छावनी परिषद वार्ड -3 के इमलितल मोहल्ले के लोग जलजमाव की समस्या से परेशान हो गए हैं. झमाझम बारिश के बाद दानापुर के हर गली-मोहल्लों में जलजमाव देखने को मिल रहा है. कई लोगों के घरों में नाले का पानी घुस चुका है जो बारिश स्वच्छता अभियान (Cleanliness Campaign) की पोल खोलने के लिए काफी है.

देखें रिपोर्ट.

बारिश के कारण हुए जलजमाव के बाद हालात ये हो गए हैं कि लोगों को घुटने भर पानी में होकर आना-जाना पड़ रहा है. स्थानीय लोग दानापुर नगर परिषद और छावनी परिषद पर उदासीनता का आरोप लगते हुए जलजमाव के लिए नाला का ठीक ढंग से उड़ाही का न होना बता रहे हैं.

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'नगर परिषद दानापुर और छावनी परिषद का यह बॉर्डर है. यहां जलजमाव होने के कारण हमलोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. नाले का उड़ाही न होने के कारण लोगों के घरों में पानी घुस चुका है. जिससे जनता त्राही-त्राही है. जलजमाव की समस्या को लेकर सरकार बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है.' -राकेश कुमार, स्थानीय

बता दें कि राजधानी पटना में मॉनसून आने पर जलजमाव नहीं होगा, सरकार की तरफ से यह दावा किया गया था. नगर विकास मंत्री सह उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Tarkishore Prasad) ने मॉनसून आने से पहले कहा था कि निगम के कार्यों से वह संतुष्ट हैं. शहर में जलजमाव नहीं होगा. लेकिन एक बार फिर बारिश ने पोल खोलकर रख दी है.

शहर तो छोड़ दीजिए बिहार विधानमंडल (Bihar Legislature) कैंपस के अंदर भी जलजमाव हो गया था. जिसे लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. विपक्षी दलों का साफ तौर पर कहना है कि सरकार बहुत कुछ कहती है, लेकिन उनसे होता कुछ नहीं है, क्योंकि ये सरकार अधिकारियों के भरोसे ही चल रही है.

बता दें कि पटना में नलों की संख्या कुल 535 हैं. जिनमें 9 बड़े नाले, 14 मीडियम नाले हैं और 172 छोटे वाले हैं. साथ ही इन नालों का पानी शहर से बाहर निकाला जाए. इसके लिए सरकार की तरफ से 42 संप हाउस लगाए गए हैं. ताकि अधिक बारिश होने और नालों का पानी संप हाउस के माध्यम से निकाला जा सकें. पटना शहर में कुल 46,837 मेनहोल है और 36,241 कैचपिट है.

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पटना नगर निगम क्षेत्र में अवस्थित सभी सर्विस नालों की कुल लंबाई 17,03,568 लाख फिट है. हालांकि हजारों, मैनहोल आज भी खुले पड़े हैं जो दुर्घटना को निमंत्रण दे रहे हैं. बता दें कि निगम प्रशासन ने इस बार नाले की सफाई पर कुल 8 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. निगम प्रशासन की मानें तो सरकार से मात्र अभी तक तीन करोड़ रुपये मिल पाए हैं. इतना रुपये लगने के बावजूद भी पटनावासियों को ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है.

Last Updated : Jul 29, 2021, 2:08 PM IST
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