पटना: जिले के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों गांव की महिलाएं किसी पर निर्भर नहीं हैं. वह हर मामले में आत्मनिर्भर और स्वतंत्र हो चुकी हैं और पुरुषों के बराबर सब कुछ करने में सक्षम भी हैं. अब महिलाओं को सम्मान जेंडर के कारण नहीं बल्कि स्वयं की पहचान से होने लगी है. घर और समाज की बेहतरी के लिए पुरुष और महिला दोनों समान रूप से योगदान करने लगे हैं.
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आत्मनिर्भर महिलाएं
बता दें कि ग्रामीण इलाकों में महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं और खुद ही अपना मुकाम तय कर रही हैं. धीरे-धीरे ही सही लेकिन महिलाओं में आत्म निर्भरता बढ़ रही है और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए ही महिला दिवस मनाया जाता है.
अबला नहीं सबला महिलाएं
पटना के ग्रामीण इलाकों की बात करें तो मसौढ़ी अनुमंडल के विभिन्न गांव में अब महिलाएं अबला नहीं सबला बन रही हैं. आत्मनिर्भर बनकर स्वावलंबी की राह पर चल रही हैं. गांव में महिलाएं एक समूह बनाकर पारंपरिक चीजों को बना रही हैं. जैसे अचार, पापड़, बिंदी, डिटर्जेंट पाउडर, फिनाइल, तेल इत्यादि कई तरह की चीजों को प्रशिक्षण लेकर हाथों में रोजगार लेकर वो आगे बढ़ रही हैं. आज हर क्षेत्र में महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं.
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स्वावलंबी की राह पर चल रही महिलाएं
एक वक्त था जब हर महिला घूंघट में अपने आंगन में और चारदीवारी में कैद थी. लेकिन आज बदलते जमाने और दस्तूर के साथ में वह चारदीवारी के बाहर पांव रखकर हाथों में रोजगार लेकर खुद को सक्षम बना रही हैं और अपने बच्चों की परवरिश भी कर रही हैं. और तो और गांव की हर महिलाओं को घर के आंगन से बाहर निकाल कर उन्हें सक्षम बना रही हैं.