पटना: विजिलेंस की टीम बिहार में शिक्षकों के नियोजन में हुए फर्जीवाड़े की जांच कर रही है. हालांकि यह जांच अब तक पूरी नहीं हो पायी है. विजिलेंस की टीम को 74 हजार नियोजित शिक्षकों का रिकॉर्ड अब तक नहीं मिल पाया है. वहीं, जांच के संबंध में 1 अगस्त को होने वाली निगरानी विभाग की समीक्षा बैठक भी आखिरी वक्त में रद्द कर दी गई थी. अगली बैठक 21 अगस्त को होगी.
आनाकानी करने वालों पर कार्रवाई की छूट
विजिलेंस की टीम लंबे समय से नियोजित शिक्षकों की कुंडली खंगाल रही है. लेकिन रिकॉर्ड की जांच कर रही टीम अपनी जांच पूरी नहीं कर पायी है. शिक्षकों का रिकॉर्ड मुहैया कराने का निर्देश सभी जिला इकाइयों को दी गई थी. लेकिन जिला इकाइयों की तरफ से आनाकानी भी की गई. इस पर शिक्षा विभाग ने ऐसी नियोजन इकाइयों पर तुरंत कार्रवाई करने की टीम को छूट दे दी.
2006 में शुरू हुई थी नियोजन की प्रक्रिया
गौरतलब है कि बिहार में नियोजन की प्रक्रिया साल 2006 में शुरू हुई थी. इसके तहत सूबे में करीब चार लाख नियोजित शिक्षक हैं. कुल नियोजित शिक्षकों में से करीब 74 हजार शिक्षकों का रिकॉर्ड विजिलेंस के हाथ नहीं लग पाया है.
डिग्री एक, पर कर रहे दो जगह नौकरी
विजिलेंस की टीम शिक्षकों के कागजात की जांच कर रही है. विजलेंस विभाग फर्जी कागजात वाले शिक्षकों को दबोचने का लगातार प्रयास कर रही है. शिक्षकों के रिकॉर्ड में हेराफेरी और फर्जी सर्टिफिकेट का रिकॉर्ड गायब किए जाने की भी बात कही जा रही है. जांच में कई शिक्षक ऐसे भी मिले हैं, जो एक ही डिग्री पर दो-दो जगह नौकरी करते हुए पाए गए हैं. साथ ही दोनों जगह से वेतन भी उठा रहे थे.
मुखिया, बीईओ, डीईओ और डीपीओ रडार पर
इस मामले में ना सिर्फ नियोजन इकाई बल्कि कई मुखिया और विभाग के कई अधिकारी भी निगरानी के रडार पर हैं. जानकारी के मुताबिक निगरानी टीम ने 450 फर्जी शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. विजलेंस ने नवादा में सर्वाधिक 45 शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज किया है. विजलेंस की अगली बैठक में कार्रवाई के जद में आए शिक्षक के साथ-साथ नियोजन इकाई, मुखिया, बीईओ, डीईओ और डीपीओ पर भी समीक्षा की जायेगी.