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बिहार सरकार ने जारी की व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी की अधिसूचना, जानें आम आदमी के लिए कितना है फायदेमंद

केन्द्र सरकार के बाद बिहार सरकार ने भी व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी की अधिसूचना जारी (Vehicle Scrap Policy Guideline Bihar) कर दी है. माना जा रहा है कि इस पॉलिसी से रोजगार के नए अवसर, प्रदूषण में कमी, राजस्व में बढ़ोत्तरी जैसे कई फायदे की बात कही जा रही है. समझें इस रिपोर्ट में...

स्क्रैप पॉलिसी
स्क्रैप पॉलिसी क्या है
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Published : Feb 3, 2022, 6:05 PM IST

पटनाः बिहार सरकार के परिवहन विभाग ने पुरानी गाड़ियों से संबंधित स्क्रैप पॉलिसी की अधिसूचना जारी (Vehicle Scrap Policy Guideline Bihar) कर दी है. केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक जारी अधिसूचना में पुरानी गाड़ियों को कबाड़ में बेचने और उसके बदले नई गाड़ियों की खरीद में टैक्स की छूट की बात कही गई है. माना जा रहा है कि इस नई पॉलिसी से प्रदूषण कम होने के साथ ही अन्य कई तरह के फायदे होंगे.

इसे भी पढ़ें- व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी 2021ः जानिए कौन ले सकेंगे फायदा, किसकी जेब होगी ढीली

बिहार सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के बाद अब स्क्रैप पॉलिसी के तहत सूबे में अब स्क्रैप सेटर खुलेंगे. यहां पुरानी और अनफिट गाड़ियों को लोग बेच सकेंगे. इसके बदले उपभोक्ताओं को सर्टिफिकेट दिया जाएगा, जिसके आधार पर नई गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन में छूट दी जाएगी. अधिसूचना के मुताबिक कोई वाहन जो आग, दंगा, प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना या किसी आपदा के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है, उसे स्क्रैप में दिया जा सकता है.

इसके अलावा कोई ऐसी एजेंसी जिसने स्क्रैपिंग के लिए नीलामी में वाहन खरीदा है, वह भी रजिस्टर्ड स्क्रैपिंग सेंटर पर शॉपिंग करा सकती है. वहीं, एनफोर्समेंट एजेंसी के द्वारा नीलाम किए गए या जब्त किए गए और छोड़ दिए गए वाहनों को भी स्क्रैप किया जा सकेगा. कोई ऐसा वाहन जो मालिक के द्वारा खुद प्रमाणित करके स्क्रैपिंग में डाला जाए वह भी स्क्रैप किया जा सकता है.

स्कैप पॉलिसी के नफा-नुकसान समझें
स्क्रैप पॉलिसी के नफा-नुकसान समझें

आसान भाषा में समझने के लिए अगर आपकी गाड़ी भी पुरानी हो चुकी है, चाहे वह प्राइवेट हो या कॉमर्शियल तो आप भी उसे स्क्रैपिंग सेंटर पर स्क्रैप करा सकते हैं. इसके लिए गाड़ी के रजिस्ट्रेशन का मूल प्रमाण पत्र और रजिस्ट्रीकृत स्वामी से प्राधिकार जरूरी है. यहां एक बात जानना जरूरी है कि बिहार में कॉमर्शियल वाहनों के लिए वाहन की उम्र सीमा 15 साल है, जबकि निजी वाहनों के लिए 20 साल की उम्र सीमा तय की गई है.

इसके बाद गाड़ी का फिटनेस प्रमाण पत्र जरूरी होता है. स्क्रैप कराने के फायदा होंगे, इसे आंकड़ा के मुताबिक देंखें तो नई गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन में 15 साल के लिए 25 प्रतिशत की छूट मिलेगी. जबकि, कमर्शियल गाड़ी खरीदने पर 8 साल के लिए 15 फीसदी छूट का लाभ मिलेगा. बात रही स्क्रैप सेंटर खोलने की तो इसके लिए उस सेंटर को खोलने के लिए 1 लाख रुपये का रजिस्ट्रेशन शुल्क और 10 लाख रुपये की बैंक गारंटी सरकार को देनी होगी.

स्कैप पॉलिसी के नफा-नुकसान समझें
स्क्रैप पॉलिसी के नफा-नुकसान समझें

माना जा रहा है कि इस पूरी प्रक्रिया में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. प्रदूषण कम होने, सड़क दुर्घटनाओं में कमी भी होगी. जाहिर है इससे नई गाड़ियों की बिक्री बढ़ेगी, जिससे ऑटोमोबाइल सेक्टर को काफी फायदा होगा. इससे सरकार को जाने वाला राजस्व बढ़ेगा.

इसे भी पढ़ें- बिहार में प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों की एडवांस तरीके से होगी निगरानी

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पटनाः बिहार सरकार के परिवहन विभाग ने पुरानी गाड़ियों से संबंधित स्क्रैप पॉलिसी की अधिसूचना जारी (Vehicle Scrap Policy Guideline Bihar) कर दी है. केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक जारी अधिसूचना में पुरानी गाड़ियों को कबाड़ में बेचने और उसके बदले नई गाड़ियों की खरीद में टैक्स की छूट की बात कही गई है. माना जा रहा है कि इस नई पॉलिसी से प्रदूषण कम होने के साथ ही अन्य कई तरह के फायदे होंगे.

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बिहार सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के बाद अब स्क्रैप पॉलिसी के तहत सूबे में अब स्क्रैप सेटर खुलेंगे. यहां पुरानी और अनफिट गाड़ियों को लोग बेच सकेंगे. इसके बदले उपभोक्ताओं को सर्टिफिकेट दिया जाएगा, जिसके आधार पर नई गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन में छूट दी जाएगी. अधिसूचना के मुताबिक कोई वाहन जो आग, दंगा, प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना या किसी आपदा के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है, उसे स्क्रैप में दिया जा सकता है.

इसके अलावा कोई ऐसी एजेंसी जिसने स्क्रैपिंग के लिए नीलामी में वाहन खरीदा है, वह भी रजिस्टर्ड स्क्रैपिंग सेंटर पर शॉपिंग करा सकती है. वहीं, एनफोर्समेंट एजेंसी के द्वारा नीलाम किए गए या जब्त किए गए और छोड़ दिए गए वाहनों को भी स्क्रैप किया जा सकेगा. कोई ऐसा वाहन जो मालिक के द्वारा खुद प्रमाणित करके स्क्रैपिंग में डाला जाए वह भी स्क्रैप किया जा सकता है.

स्कैप पॉलिसी के नफा-नुकसान समझें
स्क्रैप पॉलिसी के नफा-नुकसान समझें

आसान भाषा में समझने के लिए अगर आपकी गाड़ी भी पुरानी हो चुकी है, चाहे वह प्राइवेट हो या कॉमर्शियल तो आप भी उसे स्क्रैपिंग सेंटर पर स्क्रैप करा सकते हैं. इसके लिए गाड़ी के रजिस्ट्रेशन का मूल प्रमाण पत्र और रजिस्ट्रीकृत स्वामी से प्राधिकार जरूरी है. यहां एक बात जानना जरूरी है कि बिहार में कॉमर्शियल वाहनों के लिए वाहन की उम्र सीमा 15 साल है, जबकि निजी वाहनों के लिए 20 साल की उम्र सीमा तय की गई है.

इसके बाद गाड़ी का फिटनेस प्रमाण पत्र जरूरी होता है. स्क्रैप कराने के फायदा होंगे, इसे आंकड़ा के मुताबिक देंखें तो नई गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन में 15 साल के लिए 25 प्रतिशत की छूट मिलेगी. जबकि, कमर्शियल गाड़ी खरीदने पर 8 साल के लिए 15 फीसदी छूट का लाभ मिलेगा. बात रही स्क्रैप सेंटर खोलने की तो इसके लिए उस सेंटर को खोलने के लिए 1 लाख रुपये का रजिस्ट्रेशन शुल्क और 10 लाख रुपये की बैंक गारंटी सरकार को देनी होगी.

स्कैप पॉलिसी के नफा-नुकसान समझें
स्क्रैप पॉलिसी के नफा-नुकसान समझें

माना जा रहा है कि इस पूरी प्रक्रिया में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे. प्रदूषण कम होने, सड़क दुर्घटनाओं में कमी भी होगी. जाहिर है इससे नई गाड़ियों की बिक्री बढ़ेगी, जिससे ऑटोमोबाइल सेक्टर को काफी फायदा होगा. इससे सरकार को जाने वाला राजस्व बढ़ेगा.

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