पटना: केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) ने जातीय जनगणना और आरक्षण पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हमें समझना होगा कि आखिर इसकी जरूरत क्यों है. उन्होंने कहा कि जेडीयू की भी ये पुरानी मांग रही है, लेकिन हमारे नेता नीतीश कुमार इससे काफी आगे बढ़ चुके हैं.
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पटना पहुंचने के बाद जेडीयू कार्यालय में मीडिया से बातचीत में आरसीपी सिंह ने कहा कि जातीय जनगणना का मुद्दा इन दिनों बिहार में काफी उठ रहा है. मैं बताना चाहूंगा कि हड़प्पा सभ्यता के समय भी इसकी मांग होती थी. जब मगध साम्राज्य था, तभी भी बात आती थी लेकिन गणना क्यों कराना चाहते थे. लक्ष्य था कि ज्यादा से ज्यादा सरकार को टैक्स की कैसे वसूली हो, तो इस नजरिये से ऐसा कराते थे.
जहां तक आधुनिक जनगणना की बात है तो 1801 में इंग्लैंड से शुरू हुई. भारत में भी सबसे पहले 1878 में जनगणना हुई, फिर 1881 के बाद हर 10 साल पर जनगणना होने लगी. 1941 तक जो जनगणना होती थी, उसमें एक कॉलम होता था, जिसमें कास्ट और कास्ट में भी सब-कास्ट लिखा जाता था.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 1951 में आजाद भारत का पहला सेन्सस हुआ तो इस कॉलम को हटा दिया गया. हर जनगणना में सवालों की संख्या बढ़ती गई, लेकिन जाति वाला कॉलम कभी नहीं रखा गया, हालांकि बाद के दिनों में इसकी मांग जरूर होने लगी.
आरसीपी सिंह ने कहा कि जातीय जनगणना की मांग सालों से होती रही है. देश की कई राजनीतिक पार्टियां इसकी मांग करती रही है. एक समय में इसकी मांग इसलिए भी होती थी, क्योंकि इस देश में आरक्षण एक मुद्दा था.
केंद्रीय इस्पात मंत्री ने कहा कि जनगणना में एससी-एसटी की काउंटिंग होती है, क्योंकि संविधान इसका प्रावधान देता है कि जितनी उनकी आबादी होगी, उतना आरक्षण देना होगा, इसलिए उनकी गणना होती है.
आरसीपी सिंह ने कहा कि बाद में आपने देखा कि पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई. इनमें क्रीमीलेयर (Creamy Layer) के जो ऊपर थे, उन्हें इसका लाभ नहीं मिला. सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं हो सकता है. बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामान्य श्रेणी के आर्थिक रुप से कमजोर लोगों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था दी. ऐसे में आज आरक्षण एक तरह से उस प्रकार का मुद्दा नहीं है, जो 70, 80 और 90 के दशक में होता था. सवाल है कि आरक्षण क्यों चाहिए?
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आरसीपी सिंह ने कहा कि जातीय जनगणना तो जेडीयू की पुरानी मांग रही है. हमारे नेता नीतीश कुमार भी हमेशा से इसकी मांग कर रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री तो इससे काफी आगे बढ़ चुके हैं. सीएम का जो न्याय के साथ विकास है, समावेशी समाज का निर्माण है और सात निश्चय है, यह इस बात को दिखाता है कि समाज के सभी वर्गों के लोगों का विकास करना है.