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बिहार में लॉकडाउन का असर: बेरोजगारी दर में इजाफा, कई क्षेत्रों के लाखों लोग प्रभावित

कोरोना और लॉकडाउन के कारण 84% परिवारों की आय घट गई है. बिहार सहित पूरे देश में लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं. यही नहीं लोगों ने पीएफ खाते से भी राशि निकालना शुरू कर दी है और बैंकों के फिक्स डिपाजिट भी आधे हो गए हैं. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना
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Published : May 23, 2021, 5:28 PM IST

Updated : May 23, 2021, 7:00 PM IST

पटना: 2020 में कोरोना और लॉकडाउन के कारण अप्रैल में बेरोजगारी दर में 23.5% की वृद्धि हुई थी, हालांकि जब कोरोना के मामले कम होने लगे तो इस स्थिति में सुधार भी हुआ. इस साल मार्च में रोजगार में 6.5 % की वृद्धि हुई, लेकिन अप्रैल में बेरोजगारी दर 8% फिर बढ़ गई और 16 मई तक 14% से अधिक हो गई. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण देश में बेरोजगारी की दर तेजी से बढ़ रही है और नई ऊंचाइयों को छू रही है.

ये भी पढ़ें- कोरोना संकट: लॉकडाउन का बिहार की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर, प्रतिदिन 300 से 400 करोड़ का नुकसान

बेरोजगारी में लगातार इजाफा
9 मई को बेरोजगारी दर ग्रामीण इलाकों में 7.29% थी, जो केवल 1 सप्ताह में बढ़कर 16 मई को 16.34 % हो गई. इसी तरह शहरी इलाकों में 9 मई को 11.72% बेरोजगारी दर थी, जो 1 सप्ताह में बढ़कर 16 मई को 14.71% हो गई है और इसमें लगातार इजाफा हो रहा है. बेरोजगारी दर 7 मई 2021 से 19 मई 2021 तक ग्रामीण इलाके में 7.29% से 14.71% और शहरी इलाके में 11.72% से 14.71% हो गई.

बेरोजगारी दर में लगातार इजाफा
बेरोजगारी दर में लगातार इजाफा

बैंकों की जमा राशि पर असर
बिहार में कुल 7600 बैंकों की शाखाओं से राशि की निकासी ज्यादा और जमा कम होने लगी. बिहार के बैंकों में 31 दिसंबर तक 3,02,498 करोड़ राशि जमा थी, लेकिन इसमें मार्च 2021 तक 16% की कमी आई है. अप्रैल और मई में इसमें और इजाफा हुआ है. पटना की 960, बेगूसराय की 248, नालंदा की 243, गोपालगंज की 166 और अन्य जिलों में बैंक शाखाओं से लगातार निकासी बढ़ी है.

ईटीवी भारत GFX
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पीएफ खाते से भी निकाल रहे राशि
लोग फिक्स डिपॉजिट भी लोग तोड़ रहे हैं. इसका एक बड़ा कारण कोरोना के कारण कामकाज ठप होना और रोजगार जाना भी है. देश में 3.5 करोड़ लोगों ने पीएफ खाता से 1.25 लाख करोड़ की राशि कोरोना काल में निकाल ली है. रियल स्टेट में दो हजार करोड़ की योजनाओं पर असर पड़ा है और बड़ी संख्या में लोग प्रभावित भी हुए हैं. नौकरी डॉट कॉम के अनुसार होटल और अतिथि क्षेत्र में इस साल मार्च में भर्ती में 8 फीसदी की गिरावट आई थी, जो मई तक 36 फीसदी से अधिक पहुंच गयी.

ये भी पढ़ें- EXCLUSIVE: बोले स्वास्थ्य मंत्री- बीमारी से निपटने में बिहार सक्षम, महामारी से जंग की बड़ी तैयारी जारी

''कोरोना के कारण बेरोजगारी देश के साथ बिहार में भी चरम पर है. ग्रामीण इलाकों में भी लॉकडाउन के कारण असर पड़ा है. पर्यटन और सेवा क्षेत्र पूरी तरह से ठप हैं. ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में लोग लौट रहे हैं, लेकिन वहां भी रोजगार नहीं है. सरकार की तरफ से गरीबों के लिए जरूर कदम उठाए गए हैं, उससे जरूर कुछ राहत मिली है. लेकिन इसके बावजूद लोगों की आय घटी है और रोजगार नहीं मिलने से लोगों की परेशानी बढ़ रही है.''- प्रोफेसर एनके चौधरी, आर्थिक विशेषज्ञ

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन की वजह से इस साल भी हवा से गायब हुआ 'जहर', पटना में AQI 63 पर पहुंचा

''कोरोना महामारी के समय बेरोजगारी की समस्या सबसे बड़ी है. पिछले साल की तरह बड़ी संख्या में लोग दूसरे राज्यों से नहीं आए हैं, लेकिन जो लोग यहां काम कर रहे हैं उनके सामने तो रोजगार की समस्या जरूर खड़ी है. केवल सरकार को दोष देने से काम नहीं चलेगा. सरकार जरूर कदम उठा रही है, लेकिन अब हमें दूर दृष्टि से काम लेना होगा और शॉर्ट टर्म नहीं लॉन्ग टर्म योजना बनानी होगी. स्वास्थ्य क्षेत्र में इस बार अपार संभावनाएं हैं. इंडस्ट्रीज एरिया में भी स्वास्थ्य क्षेत्र को अधिक से अधिक अभी तरजीह देने की जरूरत है.''- राम लाल खेतान, अध्यक्ष, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

ईटीवी भारत GFX
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सरकार की ओर से मदद की कोशिश
सरकार की ओर से मनरेगा और विभिन्न योजनाओं में लोगों को रोजगार देने की कोशिश हो रही है, लेकिन जितने बड़े पैमाने पर कारोबार पर असर पड़ा है. दूसरे राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग बिहार लौटे हैं. उन सब को उनकी योग्यता और क्षमता के अनुसार रोजगार देना सरकार के लिए संभव नहीं है. बिहार में 14,87,000 से अधिक निबंधित निर्माण कामगार हैं और सरकार ने 3000 के हिसाब से 446 करोड़ की राशि वार्षिक चिकित्सा सहायता योजना के तहत उनके खातों में भेजी है.

ये भी पढ़ें- बिहार के इन चार अस्पतालों में होगा ब्लैक फंगस का इलाज

लॉकडाउन ने बढ़ाई मुश्किल
2019-20 में निबंधित निर्माण कामगारों को 282.48 करोड़ की राशि सरकार की तरफ से दी गई थी. बिहार सरकार ने मई और जून 2 महीने मुफ्त अनाज देने की भी घोषणा गरीब परिवार के लिए की है और इनकी संख्या 8.71 करोड़ है. गरीबों को सरकार कम्युनिटी किचन के माध्यम से मुफ्त खाना भी खिला रही है. सरकार की तरफ से प्रयास हो रहे हैं, लेकिन सच्चाई ये भी है कि लाखों लोग कोरोना लॉकडाउन से प्रभावित हुए हैं. ऐसे में लॉकडाउन लंबा खींचा तो लोगों की मुश्किलें और बेरोजगारी दर और अधिक बढ़ेगी.

ये भी पढ़ें- बिहार में ब्लैक फंगस महामारी घोषित, कोरोना मरीजों की तरह रखा जाएगा रिकॉर्ड

ये भी पढ़ें- यात्रीगण कृपया ध्यान दें: पूर्व मध्य रेल के स्टेशनों से चलने वाली 5 जोड़ी एक्सप्रेस और 6 जोड़ी पैसेंजर स्पेशल ट्रेनें रद्द

पटना: 2020 में कोरोना और लॉकडाउन के कारण अप्रैल में बेरोजगारी दर में 23.5% की वृद्धि हुई थी, हालांकि जब कोरोना के मामले कम होने लगे तो इस स्थिति में सुधार भी हुआ. इस साल मार्च में रोजगार में 6.5 % की वृद्धि हुई, लेकिन अप्रैल में बेरोजगारी दर 8% फिर बढ़ गई और 16 मई तक 14% से अधिक हो गई. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण देश में बेरोजगारी की दर तेजी से बढ़ रही है और नई ऊंचाइयों को छू रही है.

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बेरोजगारी में लगातार इजाफा
9 मई को बेरोजगारी दर ग्रामीण इलाकों में 7.29% थी, जो केवल 1 सप्ताह में बढ़कर 16 मई को 16.34 % हो गई. इसी तरह शहरी इलाकों में 9 मई को 11.72% बेरोजगारी दर थी, जो 1 सप्ताह में बढ़कर 16 मई को 14.71% हो गई है और इसमें लगातार इजाफा हो रहा है. बेरोजगारी दर 7 मई 2021 से 19 मई 2021 तक ग्रामीण इलाके में 7.29% से 14.71% और शहरी इलाके में 11.72% से 14.71% हो गई.

बेरोजगारी दर में लगातार इजाफा
बेरोजगारी दर में लगातार इजाफा

बैंकों की जमा राशि पर असर
बिहार में कुल 7600 बैंकों की शाखाओं से राशि की निकासी ज्यादा और जमा कम होने लगी. बिहार के बैंकों में 31 दिसंबर तक 3,02,498 करोड़ राशि जमा थी, लेकिन इसमें मार्च 2021 तक 16% की कमी आई है. अप्रैल और मई में इसमें और इजाफा हुआ है. पटना की 960, बेगूसराय की 248, नालंदा की 243, गोपालगंज की 166 और अन्य जिलों में बैंक शाखाओं से लगातार निकासी बढ़ी है.

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पीएफ खाते से भी निकाल रहे राशि
लोग फिक्स डिपॉजिट भी लोग तोड़ रहे हैं. इसका एक बड़ा कारण कोरोना के कारण कामकाज ठप होना और रोजगार जाना भी है. देश में 3.5 करोड़ लोगों ने पीएफ खाता से 1.25 लाख करोड़ की राशि कोरोना काल में निकाल ली है. रियल स्टेट में दो हजार करोड़ की योजनाओं पर असर पड़ा है और बड़ी संख्या में लोग प्रभावित भी हुए हैं. नौकरी डॉट कॉम के अनुसार होटल और अतिथि क्षेत्र में इस साल मार्च में भर्ती में 8 फीसदी की गिरावट आई थी, जो मई तक 36 फीसदी से अधिक पहुंच गयी.

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''कोरोना के कारण बेरोजगारी देश के साथ बिहार में भी चरम पर है. ग्रामीण इलाकों में भी लॉकडाउन के कारण असर पड़ा है. पर्यटन और सेवा क्षेत्र पूरी तरह से ठप हैं. ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में लोग लौट रहे हैं, लेकिन वहां भी रोजगार नहीं है. सरकार की तरफ से गरीबों के लिए जरूर कदम उठाए गए हैं, उससे जरूर कुछ राहत मिली है. लेकिन इसके बावजूद लोगों की आय घटी है और रोजगार नहीं मिलने से लोगों की परेशानी बढ़ रही है.''- प्रोफेसर एनके चौधरी, आर्थिक विशेषज्ञ

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''कोरोना महामारी के समय बेरोजगारी की समस्या सबसे बड़ी है. पिछले साल की तरह बड़ी संख्या में लोग दूसरे राज्यों से नहीं आए हैं, लेकिन जो लोग यहां काम कर रहे हैं उनके सामने तो रोजगार की समस्या जरूर खड़ी है. केवल सरकार को दोष देने से काम नहीं चलेगा. सरकार जरूर कदम उठा रही है, लेकिन अब हमें दूर दृष्टि से काम लेना होगा और शॉर्ट टर्म नहीं लॉन्ग टर्म योजना बनानी होगी. स्वास्थ्य क्षेत्र में इस बार अपार संभावनाएं हैं. इंडस्ट्रीज एरिया में भी स्वास्थ्य क्षेत्र को अधिक से अधिक अभी तरजीह देने की जरूरत है.''- राम लाल खेतान, अध्यक्ष, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX

सरकार की ओर से मदद की कोशिश
सरकार की ओर से मनरेगा और विभिन्न योजनाओं में लोगों को रोजगार देने की कोशिश हो रही है, लेकिन जितने बड़े पैमाने पर कारोबार पर असर पड़ा है. दूसरे राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोग बिहार लौटे हैं. उन सब को उनकी योग्यता और क्षमता के अनुसार रोजगार देना सरकार के लिए संभव नहीं है. बिहार में 14,87,000 से अधिक निबंधित निर्माण कामगार हैं और सरकार ने 3000 के हिसाब से 446 करोड़ की राशि वार्षिक चिकित्सा सहायता योजना के तहत उनके खातों में भेजी है.

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लॉकडाउन ने बढ़ाई मुश्किल
2019-20 में निबंधित निर्माण कामगारों को 282.48 करोड़ की राशि सरकार की तरफ से दी गई थी. बिहार सरकार ने मई और जून 2 महीने मुफ्त अनाज देने की भी घोषणा गरीब परिवार के लिए की है और इनकी संख्या 8.71 करोड़ है. गरीबों को सरकार कम्युनिटी किचन के माध्यम से मुफ्त खाना भी खिला रही है. सरकार की तरफ से प्रयास हो रहे हैं, लेकिन सच्चाई ये भी है कि लाखों लोग कोरोना लॉकडाउन से प्रभावित हुए हैं. ऐसे में लॉकडाउन लंबा खींचा तो लोगों की मुश्किलें और बेरोजगारी दर और अधिक बढ़ेगी.

ये भी पढ़ें- बिहार में ब्लैक फंगस महामारी घोषित, कोरोना मरीजों की तरह रखा जाएगा रिकॉर्ड

ये भी पढ़ें- यात्रीगण कृपया ध्यान दें: पूर्व मध्य रेल के स्टेशनों से चलने वाली 5 जोड़ी एक्सप्रेस और 6 जोड़ी पैसेंजर स्पेशल ट्रेनें रद्द

Last Updated : May 23, 2021, 7:00 PM IST
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