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पटना: 2 शिक्षकों को शिक्षा जगत में उत्कृष्ट कार्य के लिए मिला राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार

पटना के हंसराज और आयुषी बीते पांच-छह सालों से राजधानी के स्लम बस्तियों में रहने वाले बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगा रहे हैं. शिक्षा के क्षेत्र में इनके द्वारा किए जा रहे इस उत्कृष्ट कार्य के लिए मुबंई में दोनों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (National Teachers Award) ने सम्मानित किया गया है. पढ़ें पूरी खबर..

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार
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Published : May 26, 2022, 1:42 PM IST

पटना : शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई तरह के मुहिम चला रही है और कई प्रयास किए जा रहे हैं. इसके साथ ही कई ऐसी संस्थाएं हैं, जो समाज को शिक्षित बनाने के लिए लगातार काम कर रही है. वहीं, कई ऐसे शिक्षक हैं जो खुद के प्रयास से बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है पटना के रहने वाले राजहंस और आयुषी की. जो पीछले पांच-छह सालों से स्लम बस्ती में जाकर बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. इसी को देखते दोनों को मुंबई में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (National Award for excellent work in education) से नवाजा गया है.

ये भी पढ़ें-VIDEO : देखिए किस तरह बिहार में दरी पर बैठकर परीक्षा दे रहे BA के छात्र

स्लम बस्ती में बच्चों को शिक्षा दे रहे दो शिक्षक: बता दें कि, पटना के कंकड़बाग के रहने वाले राजहंस और आयुषी लगभग पांच-छह सालों से कंकड़बाग के स्लम बस्ती के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. दोनों घूम-घूम कर स्लम बस्ती के बच्चों को शिक्षा के लिए जागरूक करते हैं. साथ ही साथ जो बच्चा पढ़ना चाहते है, उन्हें स्कूल में भी दाखिला दिला कर फ्री में शिक्षा दिलाने का काम करते हैं. उनके इस मुहिम से लगभग 2 से ढाई सौ बच्चे जुड़े हुए हैं. यहां तक कि बच्चों को कंपटीशन की तैयारी करवा कर नवोदय विद्यालय और सैनिक विद्यालय में भी भेजने का काम करते हैं.

मुंबई में मिला राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार: शिक्षक राजहंस और आयुषी के उत्कृष्ट कार्य को देखते हुए उन्हें मुंबई बुलाकर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा गया है. बिहार में यह पुरस्कार पहली बार इन्हीं दोनों को दिया गया है. इस संबंध में राजहंस ने बताया कि "हम 5 सालों से इस काम में लगे हुए हैं और घूम-घूम कर स्लम बस्तियों के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम करते हैं. जो बच्चे नहीं पढ़ना चाहते हैं उन्हें किसी तरह गिफ्ट देकर शिक्षा से जोड़ने का काम करते हैं. कॉपी किताब कलम से लेकर स्कूलों में दाखिला तक भी दिलाने का काम करते हैं."

"हम लड़कियों को शिक्षा से जोड़ने का काम करते हैं. बच्चों का मन चंचल होता है, लेकिन उन्हें किसी तरह बहला-फुसलाकर शिक्षा से जोड़ते हैं और समाज को शिक्षित बनाने का प्रयास करते हैं. इन्हीं सभी कामों को देखते हुए यह पुरस्कार हम लोगों को दिया गया है. जब एक लड़की शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है. साथ-साथ समाज भी शिक्षित और अनुशासित होता है."- आयुषी, महिला शिक्षक

ये भी पढ़ें-नीतीश सरकार के 15 साल.. फिर भी शिक्षा बदहाल, कॉमन स्कूल सिस्टम से सुधरेगी व्यवस्था?

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पटना : शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई तरह के मुहिम चला रही है और कई प्रयास किए जा रहे हैं. इसके साथ ही कई ऐसी संस्थाएं हैं, जो समाज को शिक्षित बनाने के लिए लगातार काम कर रही है. वहीं, कई ऐसे शिक्षक हैं जो खुद के प्रयास से बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है पटना के रहने वाले राजहंस और आयुषी की. जो पीछले पांच-छह सालों से स्लम बस्ती में जाकर बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा रहे हैं. इसी को देखते दोनों को मुंबई में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (National Award for excellent work in education) से नवाजा गया है.

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स्लम बस्ती में बच्चों को शिक्षा दे रहे दो शिक्षक: बता दें कि, पटना के कंकड़बाग के रहने वाले राजहंस और आयुषी लगभग पांच-छह सालों से कंकड़बाग के स्लम बस्ती के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. दोनों घूम-घूम कर स्लम बस्ती के बच्चों को शिक्षा के लिए जागरूक करते हैं. साथ ही साथ जो बच्चा पढ़ना चाहते है, उन्हें स्कूल में भी दाखिला दिला कर फ्री में शिक्षा दिलाने का काम करते हैं. उनके इस मुहिम से लगभग 2 से ढाई सौ बच्चे जुड़े हुए हैं. यहां तक कि बच्चों को कंपटीशन की तैयारी करवा कर नवोदय विद्यालय और सैनिक विद्यालय में भी भेजने का काम करते हैं.

मुंबई में मिला राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार: शिक्षक राजहंस और आयुषी के उत्कृष्ट कार्य को देखते हुए उन्हें मुंबई बुलाकर राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से नवाजा गया है. बिहार में यह पुरस्कार पहली बार इन्हीं दोनों को दिया गया है. इस संबंध में राजहंस ने बताया कि "हम 5 सालों से इस काम में लगे हुए हैं और घूम-घूम कर स्लम बस्तियों के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का काम करते हैं. जो बच्चे नहीं पढ़ना चाहते हैं उन्हें किसी तरह गिफ्ट देकर शिक्षा से जोड़ने का काम करते हैं. कॉपी किताब कलम से लेकर स्कूलों में दाखिला तक भी दिलाने का काम करते हैं."

"हम लड़कियों को शिक्षा से जोड़ने का काम करते हैं. बच्चों का मन चंचल होता है, लेकिन उन्हें किसी तरह बहला-फुसलाकर शिक्षा से जोड़ते हैं और समाज को शिक्षित बनाने का प्रयास करते हैं. इन्हीं सभी कामों को देखते हुए यह पुरस्कार हम लोगों को दिया गया है. जब एक लड़की शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है. साथ-साथ समाज भी शिक्षित और अनुशासित होता है."- आयुषी, महिला शिक्षक

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