पटना: आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि जिस तरह का बयान अब बीजेपी के नेताओं के द्वारा दिया जा रहा है, इससे स्पष्ट है कि अब खुलेआम लोग ब्राह्मण का अपमान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आरजेडी सांसद मनोज झा ने जो बातें राज्यसभा में कहीं, उसमें कहीं भी किसी जाति विशेष की चर्चा नहीं की थी. इसलिए बीजेपी विधायक जिस तरह से मनोज झा और ब्राह्मणों को लेकर अनाप-शनाप बोल रहे हैं, वह देश बर्दाश्त नहीं करेगा.
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शक्ति यादव ने मनोज झा का समर्थन किया: शक्ति यादव ने कहा कि कहीं से भी आरजेडी सांसद का यह उद्देश्य नहीं था कि किसी जाति के लोगों को इससे आहत किया जाए. उन्होंने जिस कविता को राज्यसभा में पढ़ा है, उसमें किसी जाति की बात नहीं थी. वह तो ठाकुर प्रवृति की बात है. ऐसी प्रवृति हम सब लोगों के भीतर है, जिसे मनोज झा ने मारने की अपील की थी.
"ब्राह्मणों का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान. मनोज झा ने किसी जाति का तो नाम लिया नहीं. उन्होंने ठाकुर प्रवृति के संदर्भ में बयान दिया था. बिगड़ैल बोल उसके संस्कार पर सवाल खड़ा कर देता है. बीजेपी के एमएलए ने जिस शब्द का इस्तेमाल किया है, वह उसके संस्कार और अतीत का बोध करा रहा है. उनकी राजनीतिक हैसियत क्या है. हर वर्ग के अंदर हमने राजनीतिक चेतना इतनी भर दी कि अब अगर कोई स्वरूप सामने लाएगा तो ईंट का जवाब पत्थर से मिलेगा"- शक्ति यादव, प्रवक्ता, आरजेडी
आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी के विधायक और नेता समाज में विद्वेष पैदा करने के लिए इस तरह की बात कर रहे हैं, जो कहीं से भी उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि अब वह ब्राह्मणों के अपमान करने पर तुल गए हैं लेकिन मैं उनको बता देता हूं कि न तो आरजेडी और न ही देश ब्राह्मण समाज का अपमान बर्दास्त करेगा. शक्ति यादव ने कहा कि आज हर वर्ग के अंदर इतनी राजनीतिक चेतना इतनी भर गई है कि अब अगर कोई ऐसा कुछ करेगा तो ईंट का जवाब पत्थर से मिलेगा.
मनोज झा पर क्या बोला था बीजेपी विधायक ने?: दरअसल, ठाकुरों को लेकर मनोज झा के कविता पाठ पर बीजेपी विधायक नीरज सिंह बबलू ने कहा था कि ठाकुरों ने इस देश की रक्षा की है. अगर ठाकुर नहीं होते तो हिंदुस्तान का नाम मुगलिस्तान होता. उन्होंने कहा कि अगर वे मेरे सामने ऐसा बयान दिया होता तो मैं उनका मुंह तोड़ देता.
क्यों मनोज झा के बयान पर बवाल मचा?: महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान आरजेडी सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता 'ठाकुर का कुआं' पढ़कर जिक्र किया था कि हम सब के अंदर ठाकुर है, जिसे हमें मार देना चाहिए. इस बयान का राजपूत समाज के नेता विरोध कर रहे हैं. आपको बताएं कि देश के कई इलाकों में 'ठाकुर' आमतौर पर राजपूत विरादरी के लिए इस्तेमाल किया जाता है.