पटना: बिहार में सातवां चरण शिक्षक बहाली (seventh phase teacher recruitment) को लेकर जारी नई नियमावली का विरोध शुरू हो गया है. सोमवार को टीईटी शिक्षक संघ ने राज्य सरकार पर और महागठबंधन के अन्य घटक दलों पर बड़ा आरोप लगाया है. संघ का कहना है कि नियमावली वादाखिलाफी का दस्तावेज है. पहले से कार्यरत शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा प्रदान नहीं किये जाने से संघ ने निराशा व्यक्त किया. बताया कि सरकार को अपने चुनाव के दौरान किये गये वादों को अमल करते हुए शीघ्र पूरा करना चाहिए.
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टीईटी शिक्षकों को ठगने का प्रयासः टीईटी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमित विक्रम ने कहा कि टीईटी शिक्षक संघ महिला शिक्षिका के स्थानान्तरण को लेकर शुरुआत से ही मुखर रहा है. जिसके इस नियमावली के आने से सुलभ एवं शीघ्र पूरी होने की संभावनाएं क्षीण हो गई है. वर्तमान में जो नियमावली आई है, वो पूर्व से कार्यरत टीईटी शिक्षकों को ठगने का प्रयास मात्र है. जिसे संघ कभी सफल नहीं होने देगी. हालांकि ये नियमावली सातवें चरण में होने वाले शिक्षकों की बहाली के लिए लाभकारी हो सकती है। इस नियमावली के भी कैबिनेट से पास होने में बिहार के तमाम शिक्षक अभ्यर्थी का बहुत बड़ा योगदान है. जिन्होने सड़क पर अपने अनवरत जीवन्त संघर्ष से सरकार को नियमावली लाने को बाध्य किया.
"नई नियमावली के तहत सरकार ने टीईटी शिक्षकों को ठगने का प्रयास किया है. यह सातवें शिक्षक बहाली के लिए सही साबित हो सकती है, लेकिन जो शिक्षक लंबे समय से इंतजार कर रहे थे, उनके लिए यह सही नहीं है. ये उन शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ सरासर नाइंसाफी है जो इतने दिनों से इस नियमावली के आने की राह देख रहे थे." - अमित विक्रम, प्रदेश अध्यक्ष, टीईटी शिक्षक संघ
वादों से मुकर जाने का जीता जागता सबूतः संघ के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष उदय शंकर सिंह व प्रदेश संगठन महामंत्री राहुल देव सिंह ने संयुक्त रूप से बताया कि नए नियम के तहत अब शिक्षक बहाली के लिए आयोग परीक्षा लेगी. अभी जो शिक्षक काम कर रहे हैं, उनका भी परीक्षा में भाग लेना जरूरी है. ये उन शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ सरासर नाइंसाफी है जो इतने दिनों से इस नियमावली के आने की राह देख रहे थे. यह नियमावली महागठबंधन के घटक दलों के द्वारा चुनाव के समय अपने घोषणापत्र में किए गए वादों से मुकर जाने का जीता जागता सबूत है. महागठबंधन के घटक दलों ने नियोजित शिक्षकों को ठगने का काम किया है. इसका खामियाजा महागठबंधन को आने वाले चुनावों में भुगतना पड़ेगा.