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NDA में सीट शेयरिंग को लेकर फंसा पेंच, बड़ा सवाल- LJP के लिए कौन देगा कुर्बानी? - Controversy over seat sharing in NDA

एनडीए में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर खींचतानी जारी है. बीजेपी और जेडीयू ने अपने अपने मंसूबे जाहिर कर दिए है. लेकिन लोजपा की क्या स्थिति होगी इस पर संशय बरकार है.

पटना
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Published : Jan 3, 2020, 9:52 PM IST

पटना: एनडीए में सीट शेयरिंग के मुद्दे को लेकर खींचातानी शुरू हो गई है. वहीं, लोजपा के लिए कौन सी पार्टी कुर्बानी देगी इसे लेकर संशय बरकार है. जबकि बीजेपी और जेडीयू दोनों दलों ने सीट शेयरिंग को लेकर अपने मंसूबे जाहिर कर दिए हैं.

पटना
मिथिलेश तिवारी, बीजेपी, प्रदेश उपाध्यक्ष

बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी और जेडीयू के बीच सीट बंटवारे का फॉर्मूला सामने आया था. दोनों दलों ने 50-50 के फॉर्मूले पर सहमति जताई थी. उम्मीद यही की जा रही थी कि विधानसभा में भी 50-50 के फॉर्मूले पर दोनों दलों में आम सहमति बन जाएगी. लेकिन इन उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है. जदयू नेता प्रशांत किशोर ने 50-50 के फॉर्मूले को खारिज कर 2010 के फॉर्मूले पर सीट बंटवारे की वकालत की. जिस पर बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि 2010 की परिस्थितियां अलग थीं और उसके बाद नीतीश कुमार गठबंधन से अलग हुए थे. नई परिस्थितियों में गठबंधन का निर्माण हुआ था नए सिरे से सीटों के बंटवारे पर बातचीत होनी चाहिए.

पेश है रिपोर्ट

दोनों पार्टी के नेता अधिकारिक तौर पर कहने से बचते हैं
सीट शेयरिंग के मुद्दे को लेकर दोनों पार्टी नेता आधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि विधानसभा चुनाव में विलंब है. उचित समय पर सीएम नीतीश कुमार और अमित शाह मिल बैठकर निर्णय ले लेंगे. इस पर किसी तरह की कोई बयान देना उचित नहीं है. वहीं, भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि कुछ एक नेताओं के बयान देने से कोई फर्क नहीं पड़ता. जो नेता बयान दे रहे उनके व्यक्तिगत बयान हैं और समय आने पर सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझा लिया जाएगा. जिस तरीके से लोकसभा चुनाव के दौरान सहमति बन गई थी उसी तरीके से विधानसभा चुनाव में भी सहमति बन जाएगी.

पटना: एनडीए में सीट शेयरिंग के मुद्दे को लेकर खींचातानी शुरू हो गई है. वहीं, लोजपा के लिए कौन सी पार्टी कुर्बानी देगी इसे लेकर संशय बरकार है. जबकि बीजेपी और जेडीयू दोनों दलों ने सीट शेयरिंग को लेकर अपने मंसूबे जाहिर कर दिए हैं.

पटना
मिथिलेश तिवारी, बीजेपी, प्रदेश उपाध्यक्ष

बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी और जेडीयू के बीच सीट बंटवारे का फॉर्मूला सामने आया था. दोनों दलों ने 50-50 के फॉर्मूले पर सहमति जताई थी. उम्मीद यही की जा रही थी कि विधानसभा में भी 50-50 के फॉर्मूले पर दोनों दलों में आम सहमति बन जाएगी. लेकिन इन उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है. जदयू नेता प्रशांत किशोर ने 50-50 के फॉर्मूले को खारिज कर 2010 के फॉर्मूले पर सीट बंटवारे की वकालत की. जिस पर बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि 2010 की परिस्थितियां अलग थीं और उसके बाद नीतीश कुमार गठबंधन से अलग हुए थे. नई परिस्थितियों में गठबंधन का निर्माण हुआ था नए सिरे से सीटों के बंटवारे पर बातचीत होनी चाहिए.

पेश है रिपोर्ट

दोनों पार्टी के नेता अधिकारिक तौर पर कहने से बचते हैं
सीट शेयरिंग के मुद्दे को लेकर दोनों पार्टी नेता आधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि विधानसभा चुनाव में विलंब है. उचित समय पर सीएम नीतीश कुमार और अमित शाह मिल बैठकर निर्णय ले लेंगे. इस पर किसी तरह की कोई बयान देना उचित नहीं है. वहीं, भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि कुछ एक नेताओं के बयान देने से कोई फर्क नहीं पड़ता. जो नेता बयान दे रहे उनके व्यक्तिगत बयान हैं और समय आने पर सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझा लिया जाएगा. जिस तरीके से लोकसभा चुनाव के दौरान सहमति बन गई थी उसी तरीके से विधानसभा चुनाव में भी सहमति बन जाएगी.

Intro:राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर खींचतान शुरू हो चुकी है लोक जनशक्ति पार्टी के लिए कौन पार्टी कुर्बानी देगी इसे लेकर भी संशय है भाजपा और जदयू दोनों दलों ने अपने मंसूबे जाहिर कर दिए हैं


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फार्मूले को लेकर संशय की स्थिति बरकरार
लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा और जदयू के बीच सीट बंटवारे का फार्मूला सामने आया था दोनों दलों ने 5050 के फार्मूले पर सहमति जताई थी उम्मीद यह किया गया था कि विधानसभा में भी 5050 के फार्मूले पर दोनों दलों में आम सहमति बन जाएगी साल के शुरुआत होते ही उम्मीदों पर पानी फिरता दिखा और जदयू नेता प्रशांत किशोर ने 5050 के फार्मूले को खारिज कर 2010 के फार्मूले पर सीट बंटवारे की वकालत की ।
आपको बता दें कि 2010 के विधानसभा चुनाव में लोजपा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा नहीं थी और उस चुनाव में 102 सीटों पर भाजपा चुनाव लड़ी थी और बाकी के 141 सीटें जदयू के खाते में थी इसी फार्मूले पर जदयू आगे बढ़ना चाहती है जदयू की मंशा यह है कि लोजपा के खाते में अगर 30 सीटें जाती है तो ऐसी स्थिति में भाजपा और जदयू बराबर बराबर सीटें लोजपा के लिए छोड़े अगर इस फार्मूले पर सीटों का बंटवारा होता है तो भाजपा के खाते में 80 से 50 के बीच सीटें आएंगी और जदयू का दावा 120 सीटों पर रहेगा इस समीकरण के हिसाब से भाजपा किसी भी सूरत में बहुमत के इर्द-गिर्द नहीं पहुंच सकती


Conclusion:भाजपा को 2010 का फार्मूला मंजूर नहीं
भाजपा की ओर से 2010 के फार्मूले को खारिज किया गया है भाजपा के उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी ने कहा है कि 2010 की परिस्थितियां अलग थी और उसके बाद नीतीश कुमार गठबंधन से अलग हुए थे नई परिस्थितियों में गठबंधन का निर्माण हुआ था नए सिरे से सीटों के बंटवारे पर बातचीत होनी चाहिए।
भाजपा यह चाहती है कि लोकसभा चुनाव के दौरान जैसे सीटों के बंटवारे पर सहमति बन गई थी उसी तरीके से सीटों के बंटवारे पर सहमति बन जाए भाजपा की मंशा है कि लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी बराबर बराबर सीटों पर समझौता हो और सहमति से लोजपा के लिए सीटें छोड़ दी जाए। भाजपा जदयू अगर बराबर बराबर सीटों पर लड़ती है तो ऐसी स्थिति में 100 सीटों से अधिक पर दोनों दलों के उम्मीदवार होंगे।
सीट शेयरिंग को लेकर तकरार के बीच पार्टी नेता अधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में विलंब है और उचित समय पर नीतीश कुमार और अमित शाह मिल बैठकर निर्णय ले लेंगे ।
भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि कुछ एक नेताओं के बयान देने से कोई फर्क नहीं पड़ता जो नेता बयान दे रहे उनके व्यक्तिगत बयान हैं और समय आने पर सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझा लिया जाएगा जिस तरीके से लोकसभा चुनाव के दौरान सहमति बन गई थी उसी तरीके से विधानसभा चुनाव में भी सहमति बन जाएगी।
नीतीश कुमार ने 2015 के विधानसभा चुनाव से सीख ली है और बराबर बराबर सीटें मिलने की स्थिति में जदयू को राजद से कम सीटें मिली थी लिहाजा इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ज्यादा सीटों पर लड़ना चाहेंगे लेकिन भाजपा को इस बात के लिए मनाना आसान नहीं होगा
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