पटना: एनडीए में सीट शेयरिंग के मुद्दे को लेकर खींचातानी शुरू हो गई है. वहीं, लोजपा के लिए कौन सी पार्टी कुर्बानी देगी इसे लेकर संशय बरकार है. जबकि बीजेपी और जेडीयू दोनों दलों ने सीट शेयरिंग को लेकर अपने मंसूबे जाहिर कर दिए हैं.
बता दें कि लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी और जेडीयू के बीच सीट बंटवारे का फॉर्मूला सामने आया था. दोनों दलों ने 50-50 के फॉर्मूले पर सहमति जताई थी. उम्मीद यही की जा रही थी कि विधानसभा में भी 50-50 के फॉर्मूले पर दोनों दलों में आम सहमति बन जाएगी. लेकिन इन उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है. जदयू नेता प्रशांत किशोर ने 50-50 के फॉर्मूले को खारिज कर 2010 के फॉर्मूले पर सीट बंटवारे की वकालत की. जिस पर बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि 2010 की परिस्थितियां अलग थीं और उसके बाद नीतीश कुमार गठबंधन से अलग हुए थे. नई परिस्थितियों में गठबंधन का निर्माण हुआ था नए सिरे से सीटों के बंटवारे पर बातचीत होनी चाहिए.
दोनों पार्टी के नेता अधिकारिक तौर पर कहने से बचते हैं
सीट शेयरिंग के मुद्दे को लेकर दोनों पार्टी नेता आधिकारिक तौर पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि विधानसभा चुनाव में विलंब है. उचित समय पर सीएम नीतीश कुमार और अमित शाह मिल बैठकर निर्णय ले लेंगे. इस पर किसी तरह की कोई बयान देना उचित नहीं है. वहीं, भाजपा प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि कुछ एक नेताओं के बयान देने से कोई फर्क नहीं पड़ता. जो नेता बयान दे रहे उनके व्यक्तिगत बयान हैं और समय आने पर सीट शेयरिंग का मुद्दा सुलझा लिया जाएगा. जिस तरीके से लोकसभा चुनाव के दौरान सहमति बन गई थी उसी तरीके से विधानसभा चुनाव में भी सहमति बन जाएगी.