पटना: उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने मंत्री आलोक मेहता का 10 फीसदी आरक्षण वाले बयान पर बचाव किया है. उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि शहीद जगदेव प्रसाद की जयंती का कार्यक्रम था. जिस तरह शहीद जगदेव प्रसाद ने कहा था 100 में 90 शोषित हैं 90 भाग हमारा है, वह उनका नारा था और हमारे नेता ने जो कहा वह उन्हीं के नारे का भाग था.
आलोक मेहता के बयान पर तेजस्वी यादव का जवाब: जब तेजस्वी यादव से सवाल किया गया कि राजद के नेता कहते हैं कि 10% लोग समाज में शोषक की भूमिका में काम कर रहे हैं, इसके जवाब में तेजस्वी यादव ने कहा कि देखिए हम सामाजिक न्याय का नारा बुलंद करने वाले लोग हैं. समाज के सभी वर्गों को एक साथ लेकर चलना चाहते हैं. शोषित, दलित, पीड़ित, गरीब, किसान, मजदूर, युवा, बेरोजगार सभी के लिए हमें काम करना है. उन्होंने कहा कि अभी भी वैसे लोगों का हम विरोध करते हैं जो समाज में वर्ण व्यवस्था को ज्यादा मान्यता देते हैं. उस को आधार बनाकर राजनीति करते हैं.
"सबके बारे में हम सोचते हैं. आप खुद बताइए कि क्या जयप्रकाश नारायण के आदर्श को हम नहीं मानते हैं. लोहिया के विचारधारा को नहीं मानते हैं. हम वैसे लोगों के आदर्श को लगातार मानते रहे हैं जिन्होंने सामाजिक न्याय के नारे को बुलंद किया है. उसी नारे को बुलंद करने के लिए हम भी काम कर रहे हैं. मनु स्मृति और बंच ऑफ थॉट को मानने वाले लोग हैं."- तेजस्वी यादव, डिप्टी सीएम, बिहार
'मंत्रिमंडल का विस्तार अभी नहीं': तेजस्वी यादव से जब पूछा गया कि बिहार में मंत्रिमंडल का विस्तार कब होगा तो उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है. अगर आप लोग चाहते हैं तो हम विचार करेंगे. लेकिन फिलहाल बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा महागठबंधन के बीच नहीं चल रही है. वहीं जब उनसे पूछा गया कि राजद विधायक सुधाकर सिंह ने नोटिस का जवाब दे दिया है, उन्होंने कहा कि सुधाकर सिंह ने नोटिस का जवाब पार्टी फोरम में दिया है. क्या जवाब दिया है क्या नहीं हमें नहीं पता है. इन सब बातों पर निर्णय फोरम में ही किया जाता है.
आलोक मेहता ने क्या कहा थाः राजस्व मंत्री आलोक मेहता ने 10 फीसदी आरक्षण पाने वाले को अंग्रेजों का दलाल बताया था. उन्होंने कहा था कि ये लोग अंग्रेजों के जमाने में मंदिरों में घंटी बजाते थे. जगदेव बाबू ने दलित, शोषित, पिछड़े और वंचितों के उत्थान की लड़ाई लड़ी, जिनकी हिस्सेदारी 90 प्रतिशत है. उन्हें समाज में कोई सम्मान नहीं मिलता था. अंग्रेजों ने जाते वक्त सैकड़ों एकड़ जमीन देकर जमींदार बना दिया. जबकि मेहनत, मजदूरी करने वाले आज तक भूमिहीन बने हुए हैं. मंत्री आलोक मेहता का इशारा आर्थिक आधार पर मिलने वाले आरक्षण (ईडब्ल्यूएस) में शामिल लोगों की तरफ था.