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जातीय जनगणना पर CM नीतीश ने स्वीकार किया तेजस्वी का प्रस्ताव, कहा- मिलने के लिए PM मोदी से मांगेंगे वक्त

सीएम नीतीश से मुलाकात के बाद तेजस्वी ने कहा कि जातीय जनगणना देश में अभी सबसे बड़ा मुद्दा है. एनडीए सरकार देश के 70 फीसदी पिछडे़ और अति पिछडे़ हिंदुओं की जातीय जनगणना ( Caste Census ) क्यों नहीं करना चाहती? इसका जवाब तलाशना होगा. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Jul 30, 2021, 3:47 PM IST

पटना: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ( Tejashwi Yadav ) विपक्षी नेताओं के साथ शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) से मुलाकात की. विधानसभा स्थित मुख्यमंत्री के चेंबर में यह मुलाकात हुई. तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हम लोगों का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है.

तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम दिल्ली जा रहे हैं. दिल्ली से लौटने के बाद 2 अगस्त को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर समय मांगेंगे. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हम लोगों ने दूसरा प्रस्ताव मुख्यमंत्री को दिया है कि कर्नाटक की तरह बिहार सरकार भी अपने पैसे से जातीय जनगणना कराए यदि केंद्र सरकार तैयार नहीं होती है तब.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- चाचा-भतीजे का जातीय जनगणना वाला राग- 'मैं राह बताऊं, तू आगे चल

आरजेडी नेता ने कहा कि इस पर भी मुख्यमंत्री ने सकारात्मक रुख दिखाया है. उन्होंने कहा है कि इसका क्या लीगल पक्ष है और किस तरह से कर्नाटक ने कराया है उसे हम देखेंगे, उसके बाद फैसला लिया जाएगा.

गौरतलब है कि जातीय जनगणना को लेकर बिहार में पहले भी खूब सियासत होती रही है. अब केंद्र सरकार की ओर से जातीय जनगणना कराने से इनकार करने के बाद यह मामला फिर से तूल पकड़ लिया है. नीतीश कुमार ने विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार कर एक नई राजनीतिक सियासत के संकेत भी दिए हैं. अब देखना है कि बीजेपी इसे किस ढंग से लेती है.

गौरतलब है कि मानसून सत्र ( Monson Session ) के पहले दिन ही तेजस्वी यादव ने विधानसभा में कहा था कि विधानसभा से पहले भी दो बार जातिगत जनगणना कराए जाने का सर्व सहमति से प्रस्ताव पेश कर केंद्र सरकार को भेजा गया है, इसलिए एक बार फिर से यह प्रस्ताव विधान सभा से केंद्र सरकार को भेजा जाए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए. पूरा सदन इस मुद्दे पर उनके साथ है.

ये भी पढ़ें- JDU के लिए अगले 24 घंटे काफी अहम, नीतीश के लिए आसान नहीं होगा फैसला

तेजस्वी और आरजेडी का मानना है कि अगर जातिगत जनगणना नहीं कराई जाती है तो पिछड़े, अति पिछड़े हिंदुओं के आर्थिक और सामाजिक प्रगति का सही आकलन नहीं हो सकेगा. जातीय जनगणना कराने के लिए बिहार विधानसभा की एक उच्च स्तरीय सर्वदलीय कमेटी प्रधानमंत्री से मिलकर अनुरोध करें. यदि भारत सरकार अड़ियल रवैया अपनाते हुए जातिगत जनगणना नहीं कराती है तो बिहार सरकार अपने संसाधनों से राज्य में जातीय जनगणना कराए, जिससे राज्य में रहने वाले सभी वर्ग के आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति का सही पता चल सके.

तेजस्वी ने कहा कि जातीय जनगणना का मसला उनकी पार्टी उठाती रही है और अगर केंद्र सरकार ने यह फैसला किया है कि जातीय जनगणना नहीं कराई जाएगी तो इसके बावजूद राज्य सरकार अपने खर्च पर इसे करा सकती है. कई राज्यों ने ऐसा अपने खर्च पर कराया है.

ये भी पढ़ें- Monsoon Session: सदन में RJD ने बदली रणनीति, नीतीश सरकार को 'सड़क' पर ला किया खड़ा

बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कई बार जातीय जनगणना की मांग कर चुके हैं. हाल में भी उन्होंने कहा था कि हम लोगों का मानना है कि जनगणना जाति आधारित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार विधान मंडल ने 18 फरवरी 2019 को और बिहार विधानसभा ने 27 फरवरी 2020 को सर्वसम्मति से यह जातीय जनगणना का प्रस्ताव पास किया था. नीतीश कुमार ने कहा कि यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था, केंद्र सरकार को इस संबंध में पुनर्विचार करना चाहिए.

पटना: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ( Tejashwi Yadav ) विपक्षी नेताओं के साथ शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) से मुलाकात की. विधानसभा स्थित मुख्यमंत्री के चेंबर में यह मुलाकात हुई. तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हम लोगों का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है.

तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम दिल्ली जा रहे हैं. दिल्ली से लौटने के बाद 2 अगस्त को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर समय मांगेंगे. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हम लोगों ने दूसरा प्रस्ताव मुख्यमंत्री को दिया है कि कर्नाटक की तरह बिहार सरकार भी अपने पैसे से जातीय जनगणना कराए यदि केंद्र सरकार तैयार नहीं होती है तब.

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आरजेडी नेता ने कहा कि इस पर भी मुख्यमंत्री ने सकारात्मक रुख दिखाया है. उन्होंने कहा है कि इसका क्या लीगल पक्ष है और किस तरह से कर्नाटक ने कराया है उसे हम देखेंगे, उसके बाद फैसला लिया जाएगा.

गौरतलब है कि जातीय जनगणना को लेकर बिहार में पहले भी खूब सियासत होती रही है. अब केंद्र सरकार की ओर से जातीय जनगणना कराने से इनकार करने के बाद यह मामला फिर से तूल पकड़ लिया है. नीतीश कुमार ने विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार कर एक नई राजनीतिक सियासत के संकेत भी दिए हैं. अब देखना है कि बीजेपी इसे किस ढंग से लेती है.

गौरतलब है कि मानसून सत्र ( Monson Session ) के पहले दिन ही तेजस्वी यादव ने विधानसभा में कहा था कि विधानसभा से पहले भी दो बार जातिगत जनगणना कराए जाने का सर्व सहमति से प्रस्ताव पेश कर केंद्र सरकार को भेजा गया है, इसलिए एक बार फिर से यह प्रस्ताव विधान सभा से केंद्र सरकार को भेजा जाए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए. पूरा सदन इस मुद्दे पर उनके साथ है.

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तेजस्वी और आरजेडी का मानना है कि अगर जातिगत जनगणना नहीं कराई जाती है तो पिछड़े, अति पिछड़े हिंदुओं के आर्थिक और सामाजिक प्रगति का सही आकलन नहीं हो सकेगा. जातीय जनगणना कराने के लिए बिहार विधानसभा की एक उच्च स्तरीय सर्वदलीय कमेटी प्रधानमंत्री से मिलकर अनुरोध करें. यदि भारत सरकार अड़ियल रवैया अपनाते हुए जातिगत जनगणना नहीं कराती है तो बिहार सरकार अपने संसाधनों से राज्य में जातीय जनगणना कराए, जिससे राज्य में रहने वाले सभी वर्ग के आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति का सही पता चल सके.

तेजस्वी ने कहा कि जातीय जनगणना का मसला उनकी पार्टी उठाती रही है और अगर केंद्र सरकार ने यह फैसला किया है कि जातीय जनगणना नहीं कराई जाएगी तो इसके बावजूद राज्य सरकार अपने खर्च पर इसे करा सकती है. कई राज्यों ने ऐसा अपने खर्च पर कराया है.

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बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कई बार जातीय जनगणना की मांग कर चुके हैं. हाल में भी उन्होंने कहा था कि हम लोगों का मानना है कि जनगणना जाति आधारित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार विधान मंडल ने 18 फरवरी 2019 को और बिहार विधानसभा ने 27 फरवरी 2020 को सर्वसम्मति से यह जातीय जनगणना का प्रस्ताव पास किया था. नीतीश कुमार ने कहा कि यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था, केंद्र सरकार को इस संबंध में पुनर्विचार करना चाहिए.

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