पटना: बिहार में लगातार सियासी पारा चढ़ने लगा है. सत्ता पक्ष और विपक्ष लगातार अपने अपने मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. वहीं कांग्रेस भी सियासी संग्राम में कूदने के लिए तैयार हो चुकी है. बिहार प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल 3 दिवसीय दौरे पर मंगलवार को पटना पहुंचे. आने वाले दिनों में कांग्रेस किस तरह से चुनाव को लेकर रणनीति बनाएगी, इस संबंध में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर से ईटीवी भारत ने विशेष बातचीत की.
'केंद्रीय नेतृत्व करेगा फैसला'
प्रदेश की कमान सौंपी जाने के सवाल पर तारिक अनवर ने कहा कि इसका फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा. उन्होंने कहा कि बिहार प्रदेश कांग्रेस के लिए जो भी हितकर होगा, वही फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा. प्रदेश नेतृत्व के बदलाव पर तारिक अनवर ने किसी तरह का खंडन नहीं किया. इससे स्पष्ट है कि बिहार प्रदेश कांग्रेस में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है.
कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने का आरजेडी को दिया समय
कोऑर्डिनेशन कमेटी के सवाल पर तारिक अनवर ने कहा कि कमेटी का नहीं बनना महागठबंधन के लिए बड़ा नुकसान का कारण बन सकता है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में भी कोऑर्डिनेशन कमेटी नहीं बनी थी. अगर विधानसभा चुनाव में भी कमेटी का निर्माण नहीं हुआ, तो इसका असर आगामी चुनाव परिणाम में दिखेगा. 31 जुलाई तक कांग्रेस ने कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने का समय आरजेडी को दिया है. अगर कमेटी का गठन नहीं हुआ, तो उसके बाद क्या फैसला होगा या केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा.
अधिक सीटों की बारगेनिंग करवाना चाहती है कांग्रेस
गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सीट को लेकर राहुल गांधी और लालू प्रसाद में बात नहीं बनने की स्थिति में गठबंधन टूटने के कगार पर पहुंच चुका था. लेकिन तारिक अनवर के हस्तक्षेप के बाद ही गठबंधन बरकरार रह पाया था. सूत्रों की माने तो कांग्रेस आलाकमान तारिक अनवर को प्रदेश की कमान सौंपकर महागठबंधन में बेहतर कोऑर्डिनेशन और अधिक सीटों की बारगेनिंग करवाना चाहता है.
पिछले चुनाव की तुलना में मिलनी चाहिए अधिक सीटें
सीट शेयरिंग के सवाल पर तारिक अनवर ने कहा कि 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 41 सीटों पर लड़ी थी. लेकिन उस वक्त नीतीश कुमार गठबंधन के साथ थे. वर्तमान समय में नीतीश कुमार गठबंधन से अलग हैं. इसलिए कांग्रेस को पिछले चुनाव की तुलना में अधिक सीटें मिलनी चाहिए. सूत्रों की मानें तो तारिक अनवर को केंद्रीय नेतृत्व ने एमएलसी के साथ-साथ प्रदेश की कमान सौंपने का वादा किया था. तकनीकी कारणों से तारिक अनवर एमएलसी नहीं बन पाए, लेकिन सवाल यह है कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी उन्हें प्रदेश नेतृत्व की कमान सौंपती हैं या नहीं?