पटना: बिहार में जहरीली शराबकांड को लेकर जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुआवाजा नहीं देने की बात पर अड़े हैं वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (BJP Rajya Sabha MP Sushil Modi) ने कहा है कि सीएम को मशरख में हुई जहरीली शराबकांड के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए सहमति बनानी चाहिए और एक सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए. सुशील मोदी ने कहा कि पिछले साल दिसम्बर की दुखद घटना पर मुख्यमंत्री ने 'जो पियेगा, सो मरेगा' वाला कड़ा बयान देकर पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने से इनकार किया था, लेकिन बाद में विपक्ष के दबाव में उन्होंने इस मामले पर सहमति बनाने बात की थी. उनका कहना है कि मशरख जहरीली शराब कांड पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में भी पीड़ितों को उत्पाद कानून की धारा- 42 के तहत मुआवजा देने की सिफारिश की गई है.
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"सीएम को मशरख में हुई जहरीली शराबकांड के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए सहमति बनानी चाहिए और एक सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए. पिछले साल दिसम्बर की दुखद घटना पर मुख्यमंत्री ने 'जो पियेगा, सो मरेगा' वाला कड़ा बयान देकर पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने से इनकार किया था, लेकिन बाद में विपक्ष के दबाव में उन्होंने इस मामले पर सहमति बनाने बात की थी."-सुशील कुमार मोदी, BJP राज्यसभा सदस्य
2016 में 30 मृतकों के आश्रितों को मिला था मुआवजा: सुशील मोदी ने गोपालगंज के खजूरबन्ना में 2016 में हुए जहरीली शराबकांड में 30 लोगों की मौत में मुआवजा दिए जाने की बात को सामने रखा. उस समय पीड़ितों को 4-4 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिए गए थे. हालांकि मशरख के पीड़ितों को कुछ नहीं दिया जा रहा है. मौत के आकड़ों पर भी उन्होंने ने सरकार को घेरते हुए कहा कि हालिया मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट से ये साफ हो गया है कि 77 लोगों की इस शराबकांड में मौत हुई थी. वहीं सरकार ने ये आकड़ा सिर्फ 42 बताया था. शराबकांड में लगातार हो रही मौत और तस्करी ये साफ करती है कि ये कानून पूरी तरह राज्य में विफल रहा है. सीएम इस बात को मान नहीं रहे हैं और उलटा पड़ित परिवारों को सजा दे रहे हैं.
सुशील मोदी ने लगाया आरोप: उन्होंने मौत आकड़ों पर आए आयोग के रिपोर्ट की बात करते हुए कहा कि जहरीली शराब पीने से मरने वाले 77 में से 57 लोग अनुसूचित और पिछड़ी जातियों से आते थे. जिसमें सात लोगों के आंख की रौशनी चली गई. उन्होंने सरकार पर और भी कई आरोप लगाते हुए कहा कि इस घटना में स्थानीय प्रशासन द्वारा मामला दबाने की कोशिश की गई है और मृतकों की संख्या को कम बताने के लिए दबाव बनाया गया है. यहां तक कि पोस्टमार्टम भी बहुत लोगों का नहीं कराया गया और बाद में मौत की वजह किसी बिमारी को बताया गया. सरकार ने शराब माफियाओं के को लेकर नरमी दिखाई है.