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महिमा छठी माई केः छठ के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य और पारण - Surya Argha Chhath Puja

छठ के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठी माई की पूजा करते है. इसके बाद परवैतिन पारण कर 36 घंटे का उपवास खत्म करती हैं. इसके बाद ये महापर्व सम्पन्न हो जाता है. इस बार उगते सूर्य को अर्घ्य 21 नवंबर को दिया जाएगा.

Surya Argha Chhath Puja 2020
Surya Argha Chhath Puja 2020
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Published : Nov 20, 2020, 1:12 PM IST

रांची/पटनाः सूर्य नौ ग्रहों के राजा हैं और सिंह राशि के स्वामी हैं. सूर्य देव शनि, यमराज और यमुना नदी के पिता हैं. सूर्य देव को मान-सम्मान का कारक ग्रह माना गया है. छठ के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठी माई की पूजा करते हैं और पारण के बाद ये महापर्व सम्पन्न हो जाता है.

चौथे दिन सूर्य उदय होने से पहले ही परवैतिन और परिवार के लोग दउरा लेकर घाट के लिए निकल पड़ते हैं. इस पर्व में गीतों का खास महत्व होता है. छठ पर्व के दौरान घरों से लेकर घाटों तक छठ गीत गूंजते रहते हैं. परवैतिन जब घाट की ओर जाती हैं, तब भी वे छठी माई की गीत गाती हैं.

उगते सूर्य को अर्घ्य और पारण

ये भी पढ़ें-महिमा छठी माई केः कैसे हुई महापर्व छठ की शुरुआत, देखिए पूरी कहानी

घाट पहुंचने के बाद परवैतिन शाम की तरह ही कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य के उगने का इंतजार करती हैं. उगते हुए सूर्य को सूप में रखकर प्रसाद अर्पित करते हैं और सूप को तीन बार जल से स्पर्श करवाते हैं. परिवार के लोग गाय के कच्चे दूध का अर्घ्य देते हैं.

ये भी पढ़ें-महिमा छठी माई केः नहाय खाय से शुरू होता है महापर्व छठ, देखिए पहले दिन का विधान

इसके बाद परवैतिन घाट के पास छठ माई की कथा सुनते हैं और पानी में भिगोये हुए केराव को प्रसाद के तौर पर बांटते हैं. पूजा होने के बाद छठ घाट पर लोगों को प्रसाद बांटने की भी परंपरा है. प्रसाद का अर्थ होता है दूसरे का आशीर्वाद लेने की प्रक्रिया. प्रसाद ग्रहण करने से अंतःकरण के तमाम विकार खत्म हो जाते हैं.

ये भी पढ़ें-महिमा छठी माई केः छठ के दूसरे दिन से शुरू होता है 36 घंटे का उपवास, जानिए खरना की विधि

इसके बाद सभी लोग घर लौट आते हैं और साफ-सफाई के साथ भोजन बनाया जाता है. इस भोजन को खाकर परवैतिन अपना व्रत खत्म करती हैं, जिसे पारण कहा जाता है. इस तरह 36 घंटों के उपवास के बाद परवैतिन का व्रत पूरा होता है.

ये भी पढ़ें- महिमा छठी माई केः क्यों सबसे खास होता है छठ का तीसरा दिन, देखिए ठेकुआ बनाने की विधि

सुख, समृद्धि और मनोवांछित फल देने वाले इस महापर्व पर लोगों की आस्था इतनी गहरी होती जा रही है कि दूसरे धर्म, भाषा और राज्य के लोग भी इसे करने लगे हैं. तो देर किस बात की है, आप भी सूर्य और छठी माई की पूजा शुरू कर सकते हैं. जय छठी मइया.

रांची/पटनाः सूर्य नौ ग्रहों के राजा हैं और सिंह राशि के स्वामी हैं. सूर्य देव शनि, यमराज और यमुना नदी के पिता हैं. सूर्य देव को मान-सम्मान का कारक ग्रह माना गया है. छठ के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठी माई की पूजा करते हैं और पारण के बाद ये महापर्व सम्पन्न हो जाता है.

चौथे दिन सूर्य उदय होने से पहले ही परवैतिन और परिवार के लोग दउरा लेकर घाट के लिए निकल पड़ते हैं. इस पर्व में गीतों का खास महत्व होता है. छठ पर्व के दौरान घरों से लेकर घाटों तक छठ गीत गूंजते रहते हैं. परवैतिन जब घाट की ओर जाती हैं, तब भी वे छठी माई की गीत गाती हैं.

उगते सूर्य को अर्घ्य और पारण

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घाट पहुंचने के बाद परवैतिन शाम की तरह ही कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य के उगने का इंतजार करती हैं. उगते हुए सूर्य को सूप में रखकर प्रसाद अर्पित करते हैं और सूप को तीन बार जल से स्पर्श करवाते हैं. परिवार के लोग गाय के कच्चे दूध का अर्घ्य देते हैं.

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इसके बाद परवैतिन घाट के पास छठ माई की कथा सुनते हैं और पानी में भिगोये हुए केराव को प्रसाद के तौर पर बांटते हैं. पूजा होने के बाद छठ घाट पर लोगों को प्रसाद बांटने की भी परंपरा है. प्रसाद का अर्थ होता है दूसरे का आशीर्वाद लेने की प्रक्रिया. प्रसाद ग्रहण करने से अंतःकरण के तमाम विकार खत्म हो जाते हैं.

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इसके बाद सभी लोग घर लौट आते हैं और साफ-सफाई के साथ भोजन बनाया जाता है. इस भोजन को खाकर परवैतिन अपना व्रत खत्म करती हैं, जिसे पारण कहा जाता है. इस तरह 36 घंटों के उपवास के बाद परवैतिन का व्रत पूरा होता है.

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सुख, समृद्धि और मनोवांछित फल देने वाले इस महापर्व पर लोगों की आस्था इतनी गहरी होती जा रही है कि दूसरे धर्म, भाषा और राज्य के लोग भी इसे करने लगे हैं. तो देर किस बात की है, आप भी सूर्य और छठी माई की पूजा शुरू कर सकते हैं. जय छठी मइया.

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