नई दिल्ली/पटना: 2018 से समान काम समान वेतन पर फैसले का इंतजार कर रहे 3 लाख 70 नियोजित शिक्षकों को झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में डबल बेंच के जज अभय मनोहर सप्रे और यू यू ललित की कोर्ट ने फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की अपील को मंजूर किया.
- प्रदेश में 3 लाख 70 हजार नियोजित शिक्षक हैं.
- नियोजित शिक्षकों (ट्रेंड) को फिलहाल 20-25 हजार रुपया वेतन मिलता है.
- फैसले के बाद मिलता 35-44 हजार रुपया मासिक वेतन.
- सैलरी में 70 प्रतिशत केन्द्र जबकि 30 प्रतिशत राज्य सरकार देती है.
क्या है मामला?
दरअसल, 31 अक्टूबर 2017 को पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिहार सरकार को समान काम के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया था. इसके बाद बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी. यहां नियोजित शिक्षकों ने भी अर्जी दाखिल कर कोर्ट से यह मांग की थी कि समान काम के लिए समान वेतन उनका अधिकार है. नियोजित शिक्षकों को उनका ये हक मिलना ही चाहिए.
एक साल तक चली सुनवाई
करीब एक साल तक सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई चली. इसके बाद 3 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था.
रूकी हुई है शिक्षकों की नियुक्ति
बता दें कि इस फैसले के इंतजार में बिहार में शिक्षकों की नियुक्ति भी रूकी हुई थी. बिहार में बड़ी संख्या में स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं. समान काम समान वेतन पर फैसला नहीं आने कारण सरकार इन शिक्षकों की बहाली पर रोक लगा रखी है.