पटना: पूर्व फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली के निधन की खबर के बाद देश भर में शोक की लहर दौड़ गई. वहीं, जेटली के निधन से नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा है. पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच गहरे रिश्ते थे. बीजेपी और जदयू के बीच जेटली सेतु की तरह काम करते थे और जब भी गठबंधन पर संकट आता था, तब वो तारणहार की भूमिका में होते थे. सीएम नीतीश कुमार ने पूर्व फाइनेंस मिनिस्टर के निधन की खबर सुनते ही अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं.
बीजेपी के चाणक्य और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली अब दुनिया में नहीं हैं. उनकी यादों को नम आंखों से याद किया जा रहा है. अरुण जेटली के निधन से बीजेपी को तो क्षति हुई है लेकिन सीएम नीतीश कुमार के लिए यह व्यक्तिगत तौर पर बड़ी क्षति है. सीएम नीतीश कुमार और अरुण जेटली के बीच गहरे रिश्ते थे.
'जेटली बने थे सेतु'
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने पुरानी यादों को दोहराते हुए बताया कि नीतीश कुमार और अरुण जेटली के बीच आत्मीय संबंध था. अरुण जेटली जब बिहार के प्रभारी हुआ करते थे, तब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे. बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को आकार देने में जेटली की भूमिका अहम रही थी. जब दूसरी बार जब महागठबंधन छोड़कर नीतीश एनडीए का हिस्सा बने, तब भी जेटली जी ने सेतु की भूमिका निभाई थी. नीतीश कुमार और अरुण जेटली के बीच व्यक्तिगत रिश्ते भी थे. नितीश कुमार जब गठबंधन में नहीं भी थे, तब भी दिल्ली जाते थे तो जेटली के यहां जरूर जाते थे.
नीतीश के साथ-साथ पार्टी में भी शोक
बीजेपी नेता अरुण जेटली की मौत पर जदयू ने गहरा शोक व्यक्त किया है. पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि सीएम नीतीश के बेहद करीबी रहे अरुण जेटली बिहार के मित्र राजनेता थे. उनकी कमी बिहार को ज्यादा खेलेगी. देश ने एक कुशल राजनेता को खो दिया है. हिंदुस्तान की राजनीति में उनकी अलग पहचान थी. छात्र संघ समिति की शुरुआत करने वाले जेटली देश के शिखर तक पहुंचे. उनके कंधे पर जो भी जिम्मेवारी सौंपी गईं, उसका उन्होंने बखूबी निर्वहन किया, उनके चाहने वाले लोग बीजेपी से अलग और सभी पार्टियों में हैं. राज्य उन्हें एक मित्र राजनेता के रूप में चाहता है. उनकी कमी बिहार को हमेशा खलेगी.
ऐसा था दोस्ताना...
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का बिहार के सीएम नीतीश कुमार से गहरी दोस्ती थी. कहा जाता है कि बीजेपी में नीतीश सबसे ज्यादा करीब जेटली से ही थी. उनकी बातों को सीएम न के बराबर टालते थे. साल 2005 में बिहार में गठबंधन के लिए अरुण जेटली ने ही नीतीश कुमार को मनाया था.
पहली बार मिली थी जीत
इसका असर ये हुआ कि जेडीयू-बीजेपी गठबंधन को राज्य में भारी जीत हुई थी. दोनों को चुनावों में 88 और 55 सीटें मिलीं, इस जीत के बाद आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की भद पिट गई थी. करीब 15 साल के शासन के बाद उन्हें सत्ता से बेदखल होना पड़ा. इसका श्रेय जेटली-नीतीश की दोस्ती को ही जाता है.
आपातकाल के थे साथी
वहीं, पीएम मोदी की छवि से भी नीतीश कुमार को आपत्ति रही है. इसको लेकर कभी कई बार वो बीजेपी के साथ आने से इनकार करते थे. लेकिन, जेटली ने नीतीश को हर बार बीजेपी में आने के लिए मना लिया था. जेटली और नीतीश आपातकाल के दिनों के पुराने साथी थे. वे जयप्रकाश नारायण के अनुयायी थे.
जब नाराज हो गए थे जेटली
साल 2015 में गठबंधन टूटने के बाद अरुण जेटली ने नाराजगी भी जताई. किशनगंज में एक सभा के दौरान उन्होंने नीतीश कुमार पर निशाना भी साधा था. पूर्व वित्त मंत्री ने कहा था कि नीतीश ने जंगलराज के डायरेक्टर से दोस्ती कर ली है. अवसरवादिता का यह सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है. उन्होंने कहा था कि लालू से मुक्ति के लिए नीतीश को सत्ता सौंपी गई, लेकिन वे सत्ता के मद में चूर होकर इसे भूल गए. इसका खामियाजा उन्हें चुनाव में भुगतना पड़ेगा.
विरोध के बावजूद रही दोस्ती
नीतीश कुमार और अरुण जेटली के बीच अच्छी मित्रता थी. दोनों राजनीतिक रूप से साथ रहें हों या अलग-अलग दोनों के रिश्ते बेहद मधुर रहे. नीतीश कुमार ने 2017 के उत्तरार्द्ध में भाजपा से एक बार फिर गठबंधन कर सरकार बनाई. इसमें अरुण जेटली की भूमिका से कम से कम इनकार तो नहीं ही किया जा सकता है.
सीएम नीतीश कुमार एम्स में भर्ती अपने मित्र अरुण जेटली को देखने भी गए थे. 16 अगस्त को दिल्ली पहुंचे नीतीश कुमार एयरपोर्ट से सीधे एम्स पहुंचे. आज जेटली ने इस दुनिया से अलविदा कह दिया है. राजनीतिक जगत का एक अरुण आज अस्त हो गया है. ईटीवी भारत बिहार परिवार जेटली के निधन पर शोक व्यक्त करता है.