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दोनों पैरों से दिव्यांग विनोद चलाते हैं फ्री क्लासेस, बोले- एजुकेशन को ना बनाया जाए बिजनेस

विनोद दोनों पैरों से दिव्यांग हैं. वो तकरीबन 100 बच्चों को फ्री में पढ़ाते हैं. विनोद का मानना है कि एजुकेशन को बिजनेस ना बनाया जाए.

शिक्षक दिवस
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Published : Sep 5, 2020, 9:34 PM IST

Updated : Sep 19, 2020, 2:37 PM IST

पटना (मसौढ़ी) : कोरोना के साये में देशभर में शिक्षक दिवस मनाया गया. ऐसे में उन शिक्षकों को सम्मानित भी किया गया, जो कई वर्षों से निस्वार्थ भाव से अपने विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं. मसौढ़ी में ऐसे ही एक शिक्षक विनोद को सम्मानित किया गया. दरअसल, विनोद दोनों पैरों से दिव्यांग हैं. बावजूद इसके, वो निशुल्क कोचिंग चलाते हैं.

देखें ये रिपोर्ट

दसवीं तक फ्री में कोचिंग पढ़ाने वाले विनोद प्रतियोगी परीक्षा की भी तैयारी करवाते हैं. उनका कोचिंग संस्थान आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए वरदान साबित होता है. ऐसे में शिक्षक दिवस के मौके पर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हुए विनोद कुमार को भी सम्मानित किया गया. विनोद बताते है कि 100 बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं. वहीं कुछ बच्चे अपने मन से जो पैसा दे देते हैं, उसी से उनका गुजारा होता है.

एजुकेशन को ना बनाया जाए बिजनेस
विनोद का मानना है शिक्षा व्यापार करने का जरिया नहीं है. आजकल एजुकेशन को बिजनेस बना लिया गया है. इसके चलते देश के होनहार बच्चे काफी पीछे छूट जाते हैं. जरूरत है, प्रतिभा को निखारने और शिक्षा की अलख जगाए रखने की.

पटना (मसौढ़ी) : कोरोना के साये में देशभर में शिक्षक दिवस मनाया गया. ऐसे में उन शिक्षकों को सम्मानित भी किया गया, जो कई वर्षों से निस्वार्थ भाव से अपने विद्यार्थियों को पढ़ा रहे हैं. मसौढ़ी में ऐसे ही एक शिक्षक विनोद को सम्मानित किया गया. दरअसल, विनोद दोनों पैरों से दिव्यांग हैं. बावजूद इसके, वो निशुल्क कोचिंग चलाते हैं.

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दसवीं तक फ्री में कोचिंग पढ़ाने वाले विनोद प्रतियोगी परीक्षा की भी तैयारी करवाते हैं. उनका कोचिंग संस्थान आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए वरदान साबित होता है. ऐसे में शिक्षक दिवस के मौके पर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हुए विनोद कुमार को भी सम्मानित किया गया. विनोद बताते है कि 100 बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं. वहीं कुछ बच्चे अपने मन से जो पैसा दे देते हैं, उसी से उनका गुजारा होता है.

एजुकेशन को ना बनाया जाए बिजनेस
विनोद का मानना है शिक्षा व्यापार करने का जरिया नहीं है. आजकल एजुकेशन को बिजनेस बना लिया गया है. इसके चलते देश के होनहार बच्चे काफी पीछे छूट जाते हैं. जरूरत है, प्रतिभा को निखारने और शिक्षा की अलख जगाए रखने की.

Last Updated : Sep 19, 2020, 2:37 PM IST
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