पटना: शिक्षक नियुक्ति की मांग को लेकर एसटीईटी अभ्यर्थी (STET Candidates) हर दिन प्रदर्शन कर रहे हैं. कभी मुख्यमंत्री के आवास (CM residence) का घेराव करने की कोशिश कर रहे हैं, तो कभी शिक्षा मंत्री के आवास पर धरना दे रहे हैं. इसी कड़ी में मंगलवार को कुछ महिला अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम रेणु देवी (Deputy CM Renu Devi) के आवास के बाहर घेराव किया. इन अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार इनके साथ नाइंसाफी कर रही है. महिला जनप्रतिनिधि होने के कारण हम गुहार लगाने यहां पहुंचे हैं, लेकिन हमें डिप्टी सीएम से मिलने नहीं दिया जा रहा है.
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नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर प्रदर्शन
एसटीईटी पास अभ्यर्थी लगातार नियुक्ति पत्र की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. इसी कड़ी में शिक्षा मंत्री के आवास का घेराव करने पहुंचे शिक्षक अभ्यर्थियों पर पुलिस द्वारा लाठियां बरसाई गई. उसके बाद महिला अभ्यर्थियों ने डिप्टी सीएम रेणु देवी के आवास के बाहर घेराव किया. एसटीईटी महिला अभ्यर्थियों ने कहा कि उप मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के लिए यहां घंटों इंतजार कर रहे हैं. लेकिन अभी तक हमें उनसे मिलने नहीं दिया जा रहा है. अभ्यर्थियों ने बताया कि महिलाओं को 45% पर क्वालिफाइड करने की बात कही गई थी .लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया.
सरकार से न्याय चाहिए
महिला अभ्यर्थियों का कहना है कि बोर्ड से हम लोगों को डिसक्वालिफाइड कर दिया गया है. जबकि नियम प्रक्रिया कुछ और ही है. जब कुछ महिलाओं को 45% पर क्वालिफाइड किया गया, तो हम लोगों को डिसक्वालिफाइड क्यों किया गया. इसलिए हमें सरकार से न्याय चाहिए. अभ्यर्थियों ने कहा कि इससे पहले शिक्षा मंत्री के आवास के पास भी गए थे. वहां पहले तो मिलने नहीं दिया गया. लेकिन जब बाद में मुलाकात हुई तो मंत्री विजय चौधरी की तरफ से हमें आश्वासन दिया गया है कि मामले को देखते हैं. उन्होंने कहा कि जबसे रिजल्ट प्रकाशित हुआ है, तब से सुधार को लेकर लगातार हम लोग शिक्षा बोर्ड ऑफिस के कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन हमें वहां से भगा दिया जा रहा है.
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हक के लिए दर-दर भटक रही महिलाएं
अभ्यर्थियों का कहना है कि बिहार बोर्ड की गलतियों का खामियाजा आज हमें क्यों भुगतना पड़ रहा है. महिला जनप्रतिनिधि और सरकार में मंत्री होने के कारण हमें डिप्टी सीएम उम्मीद है. इसलिए हम उनसे मिलने आए थे. लेकिन हमें मिलने नहीं दिया जा रहा है. महिला अभ्यर्थियों ने कहा कि महिलाओं को न्याय और सशक्त बनाने के लिए सरकार की तरफ से लंबे-लंबे दावे तो किए जाते हैं. लेकिन उनका दावा जमीन पर नहीं दिखता है. महिलाएं अपने हक के लिए दर-दर भटक रही हैं. लेकिन सरकार महिलाओं की बातों को नहीं सुन रही है.