नई दिल्ली/पटना : सरकारी आंकड़ों के मुताबिक चमकी बुखार (एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) की वजह से मुजफ्फपुर में मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 108 हो गई है. इनमें से 89 मौतें श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज और 19 मौतें केजरीवाल अस्पताल में हुई हैं. वहीं, यहां के सांसद अजय निषाद ने बेतुका बयान दिया है.
मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद ने बच्चों की मौत के लिए 4जी कारक को जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा कि गांव, गर्मी, गरीबी और गंदगी की वजह से बुखार का प्रकोप हुआ है. अजय निषाद ने कहा, 'ये लोग अति पिछड़ा समाज के हैं, उनका रहन-सहन नीचे है. बीमारी के बारे में जानकारी हो चुकी है, लेकिन मौतों की संख्या जीरो कैसे हो इस पर काम करने की जरूरत है.'
'लोगों को जागरूक करने की जरूरत'
सांसद अजय निषाद ने कहा, 'जो मरीज आ रहे हैं वे बेहद गरीब हैं. उनमें से अधिकतर एसी और बैकवर्ड कैटगरी से हैं. उनका जीवन स्तर बहुत निम्न स्तर का है. इसे उठाने की जरूरत है. बच्चे जब बीमार होते हैं तो उनके परिवार समझने में समय लग जाता है. उन्हें जागरूक करने की जरूरत है.'
'अब तक 200 बच्चों का इलाज किया गया है'
वहीं, बिहार के मंत्री, सुरेश शर्मा ने बताया, 'चमकी बुखार यानी एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के प्रकोप की समीक्षा के लिए एक बैठक आयोजित की गई. अब तक, लगभग 200 बच्चों का इलाज किया गया है और उन्हें अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है.'
नीतीश कुमार वापस जाओ के लगे नारे
मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज पहुंचे बिहार सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ अस्पताल के बाहर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया.
18 दिन बाद पहुंचे सीएम
- मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से अब तक 108 बच्चों की मौत हो चुकी है.
- नीतीश कुमार 18 दिनों बाद मुजफ्फरपुर पहुंचे हैं.
- 8 साल में 1134 बच्चे हुए एईएस के शिकार- सरकारी रिकॉर्ड
- इनमें से 344 बच्चों की मौत हो गई.कई बच्चे विकलांगता के शिकार भी हुए.
- यह बीमारी मुजफ्फरपुर ही नहीं बल्कि बिहार के 12 जिलों को प्रभावित करती है.
- मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी और वैशाली जिले में सबसे अधिक इस मामले में बच्चे की मौत हुई है.
- बीमारी की शुरुआत मई-जून के महीने में तापमान में बढ़ोतरी के साथ शुरू होती है.
- बारिश के बाद यह बीमारी अपने आप समाप्त हो जाती है.